रेवाड़ी: प्रशासन द्वारा 74वें स्वतंत्रता दिवस पर महाप्रबंधक के स्टेनो को कोरोना योद्धा सम्मान दिया गया था. जिसको लेकर रोडवेज चालकों और परिचालकों में भारी रोष देखने को मिल रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन ने असली कोरोना योद्धाओं को दरकिनार कर एक ऐसे कर्मचारी को सम्मानित किया गया जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि अगर ये सम्मान वापस नहीं लिया गया तो वो आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. रोडवेज एक्शन कमेटी ने लिपिक को दिए गए सम्मान की वापसी को लेकर रोड़वेज के जीएम को ज्ञापन भी सौंपा है.
ज्वाइंट एक्शन कमेटी हरियाणा राज्य परिवहन रेवाड़ी के पदाधिकारियों ने सीएम मनोहर लाल को पत्र भेजकर मांग की है कि 15 अगस्त को सम्मानित किए गए रेवाड़ी रोडवेज के एक कर्मचारी का सम्मान वापस लिया जाए. हरियाणा परिवहन कर्मचारी संघ के प्रधान यशपाल, हरियाणा रोडवेज चालक संघ के ट्रेड यूनियन के प्रधान धर्मेंद्र यादव, हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रधान प्रवीण कुमार ने भी इसका समर्थन किया है.
उनका कहना है कि कहा कि रेवाड़ी रोडवेज डिपो के लिपिक कैलाश चंद को 15 अगस्त को आयोजित जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया गया था. कैलाश कोरोना योद्धा न होकर एक भ्रष्ट कर्मचारी है और दोषी करार तक दिया जा चुका है. वहीं कुछ मामलों में अभी भी जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धा के सम्मान के असली हकदार चालक और परिचालक है. जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर प्रवासियों को उनके राज्यों तक पहुंचाया. साथ ही कोटा में फंसे हरियाणा के छात्र-छात्राओं को भी वापस लेकर उनके घर आए. उन्हें यूपी पुलिस की फटकार और मार तक झेलनी पड़ी और 14 दिन तक क्वारंटाइन होना पड़ा.
रेवाड़ी के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ऐसे योद्धाओं की अनदेखी कर कमरे में बैठकर आर्डर चलाने वाले भ्रष्ट कर्मचारी को सम्मानित कर रही है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी मुख्यालय द्वारा कैलाश को एक रिश्वत मामले में दोषी घोषित किया हुआ है. ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी को सरकार सम्मानित करके अन्य कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है. उनकी मांग है कि कैलाश चंद को दिया गया सम्मान वापस लिया जाए.
ये भी पढ़ें: बेहद संघर्ष भरा रहा रानी रामपाल का सफर, कोचिंग और किट के लिए भी नहीं थे पैसे
यूनियन पदाधिकारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस भ्रष्ट कर्मचारी से सम्मान वापस नहीं लिया गया तो वो आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. अब देखना होगा कि सरकार चालक परिचालक के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला सम्मान वापस लिया जाएगा या फिर यूनियन पदाधिकारियों की मांग को दरकिनार कर दिया जाएगा.