रेवाड़ी: सरकार के बेहतर शिक्षा के तमाम दावे रेवाड़ी के इस स्कूल को देखकर खोखले साबित हो रहें है. करीब 100 साल पुरानी खंडहर बिल्डिंग, टूटी डेस्क, बदबूदार पानी, टपकती छत, काले धुएं से अटी दीवारें. ये पहचान है रेवाड़ी शहर के बीचोंबीच स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला नंबर 4 की.
इस सरकारी स्कूल में पहली से पांचवी तक करीबन 59 बच्चें है और दो शिक्षकों इन्हें पढ़ाते हैं. यहां केवल वही बच्चें आने को मजबूर है जो परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते. इस स्कूल में बच्चे ही नहीं बल्कि टीचर तक पढ़ाने से डरते हैं.
प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
जानकारी के मुताबाति स्कूल स्टाफ और बच्चों ने पिछले कई सालों से शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक गुहार लगाई है लेकिन आज तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.
टॉयलेट की व्यवस्था नहीं
स्कूल के बच्चों ने बताया कि स्कूल में टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है. वहीं बरसात में स्कूल की छत टपकती है और कभी भी गिरने का खतरा उनके सिर पर मंडराता रहता है. स्कूल में मिड-डे-मील चूल्हे पर पकाया जाता है. चूल्हे से निकलने वाला धूंए से बच्चों की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं. क्योंकि धूंए का गुब्बार पूरे स्कूल में भर जाता है.
कांग्रेस विधायक ने किया दौरा
वहीं कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने स्कूल का दौरा किया. कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि हमारे लिए बच्चों का भविष्य बेहद जरूरी है. लेकिन जिस तरह सरकार सर्व शिक्षा अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते नहीं थक रही. वहीं स्वच्छ भारत जैसा यहां कुछ नहीं है और सरकार के दावे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमट कर रह गए हैं.
उन्होंने माना कि स्कूल में बहुत सारी खामियां है. जिसको लेकर वो उपायुक्त से बात करेंगे और नौनिहालों के लिए बने इस शिक्षा के मंदिर को शिफ्त या दुरुस्त कराने के लिए कोई विकल्प जल्द ही तलाश करेंगे.
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