ETV Bharat / state

9 साल के चिराग का दिमाग कैलकुलेटर जैसा ! 10 हजार तक पहाड़े सुनाता है बिना अटके

हरियाणा के गूगल बॉय कौटिल्य को हर कोई जानता है. कौटिल्य के जैसे ही हरियाणा में और भी कई होनहार हैं जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है. यहां हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी के रहने वाले 9 वर्षीय चिराग की जिसका दिमाग किसी कैलकुलेटर से कम नहीं है.

chirag
author img

By

Published : Aug 6, 2019, 10:23 AM IST

रेवाड़ी: रोड आई गांव के रहने वाला चिराग यादव 10 हजार तक के पहाड़े जानता है और वह 100 की संख्या तक वर्ग भी कुछ समय में ही निकाल देता है. चिराग ने कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं लिया बल्कि खुद ही मेहनत करके ये सब याद किया है.

क्लिक कर देखें वीडियो

चिराग के पिता कुलदीप और माता दीपक कुमारी ने सैनिक स्कूल की तैयारी के लिए पहले 30 तक पहाड़े याद कराए बस उसके बाद चिराग ने 1 महीने में ही इतनी संख्या तक पहाड़े याद कर लिए. पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले चिराग की इस क्षमता को देखकर स्कूल में भी उसे सीधे दूसरी कक्षा से चौथी में प्रवेश मिल गया. चिराग ने बताया कि वह सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहता है और इसके प्रवेश की तैयारी कर रहा है. चिराग का कहना है कि वह बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है.

चिराग के पिता ने बताया कि वह गणित में शुरू से ही मेधावी रहा है. गणित में हर परीक्षा में नंबर भी अच्छे आते हैं. इसके अलावा उसकी एक विशेषता यह भी है कि वह अंग्रेजी के ज्यादातर कठिन शब्द बिना गलती के लिख लेता है. वहीं चिराग की मां ने बताया कि चिराग की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है और इसे कुछ मदद मिले तो यह अपने गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर सकता है क्योंकि हम गरीबी के चलते उसे महंगी कोचिंग नहीं दिलवा सकते हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलस्वाल ने चिराग को पुरस्कार देने और सम्मानित करने की बात कही और साथ ही सरकारी मदद दिलवाने की कोशिश करने का वादा किया. चिराग के टैंलेट की तो हर किसी ने तारीफ की है लेकिन अब देखना होगा कि क्या गरीब मां-बाप के इस होनहार बेटे की मदद के लिए सरकार हाथ बढ़ाएगी या नहीं.

रेवाड़ी: रोड आई गांव के रहने वाला चिराग यादव 10 हजार तक के पहाड़े जानता है और वह 100 की संख्या तक वर्ग भी कुछ समय में ही निकाल देता है. चिराग ने कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं लिया बल्कि खुद ही मेहनत करके ये सब याद किया है.

क्लिक कर देखें वीडियो

चिराग के पिता कुलदीप और माता दीपक कुमारी ने सैनिक स्कूल की तैयारी के लिए पहले 30 तक पहाड़े याद कराए बस उसके बाद चिराग ने 1 महीने में ही इतनी संख्या तक पहाड़े याद कर लिए. पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले चिराग की इस क्षमता को देखकर स्कूल में भी उसे सीधे दूसरी कक्षा से चौथी में प्रवेश मिल गया. चिराग ने बताया कि वह सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहता है और इसके प्रवेश की तैयारी कर रहा है. चिराग का कहना है कि वह बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है.

चिराग के पिता ने बताया कि वह गणित में शुरू से ही मेधावी रहा है. गणित में हर परीक्षा में नंबर भी अच्छे आते हैं. इसके अलावा उसकी एक विशेषता यह भी है कि वह अंग्रेजी के ज्यादातर कठिन शब्द बिना गलती के लिख लेता है. वहीं चिराग की मां ने बताया कि चिराग की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है और इसे कुछ मदद मिले तो यह अपने गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर सकता है क्योंकि हम गरीबी के चलते उसे महंगी कोचिंग नहीं दिलवा सकते हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलस्वाल ने चिराग को पुरस्कार देने और सम्मानित करने की बात कही और साथ ही सरकारी मदद दिलवाने की कोशिश करने का वादा किया. चिराग के टैंलेट की तो हर किसी ने तारीफ की है लेकिन अब देखना होगा कि क्या गरीब मां-बाप के इस होनहार बेटे की मदद के लिए सरकार हाथ बढ़ाएगी या नहीं.

Intro:स्पेशल स्टोरी
रेवाड़ी, 5 अगस्त।
रोड आई गांव के 9 वर्षीय चिराग का दिमाग केलकुलेटर से कम नहीं है चिराग 10000 तक के पहाड़े जानता है और वह 100 की संख्या तक वर्ग भी कुछ समय में ही निकाल देता है पहाड़े लिखना वह वर्ग निकालना उसके टिप्स पर है।



Body:चिराग ने इस काम के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं लिया बल्कि खुद की मेहनत है पिता कुलदीप वह माता दीपक कुमारी ने सैनिक स्कूल की तैयारी के लिए पहले 30 तक पहाड़े याद कराएं बस उसके बाद चिराग ने ऐसा मेथड निकाला कि 1 महीने में ही कितनी संख्या तक पहाड़े याद कर लिए पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले चिराग की दक्षता को देखकर स्कूल में भी उसे सीधे दूसरी कक्षा से चौथी में प्रवेश मिल गया शकूर में भी साथी बच्चे कोई पहाड़े में अटक जाते हैं तो उनको चिराग ही बताता है चिराग ने बताया कि वह सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहता है इसके प्रवेश की तैयारी कर रहा है चिराग के पिता कुलदीप ने बताया कि वह गणित में शुरू से ही मेधावी रहा है गणित में हर परीक्षा में नंबर भी अच्छे आते हैं इसके अलावा उसकी एक विशेषता यह भी है कि वह अंग्रेजी के ज्यादातर कठिन शब्द बिना गलती के लिख लेता है उसकी विशेषता को 1000 तक के पहाड़े 20 तक सुना दे देना और खास बनाता है पिता का कहना है कि अगर चिराग को पढ़ाई का और बेहतर मौका मिले तो है गणित में दक्षता हासिल कर सकता है चिराग का कहना है कि फिलहाल वह घर पर होमवर्क करने के लिए अपने पिता का सहयोग लेता है वह खेलता बहुत कम है ज्यादातर पढ़ाई पर ही ध्यान देता है स्कूल से घर जाने के बाद वह होमवर्क करता है उसके बाद उसे डिवाइस भी करता है जब कुछ समय मिलता है तो वह थोड़ा बहुत खेल लेता है चिराग बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है उसकी माता ने बताया की चिराग की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है और इसे कुछ मदद मिले तो यह अपने गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर सकता है क्योंकि उसके माता पिता गरीबी के चलते उसे महंगी कोचिंग नहीं करवा सकते जिससे कि वह वंचित है ऐसे में प्रशासन बच्चे की क्या मदद करता है। चिराग के दिमाग में ही केलकुलेटर चलता है वह गणना दिमाग में ही करता है।
बाइट---पवन भारद्वाज, स्कूल संचालक।
बाइट--कुलदीप यादव, चिराग के पिता।
बाइट--दीपक कुमारी, चिराग की माता।
बाइट--चिराग यादव, छात्र।
बाइट--रामकुमार फलस्वाल, जिला शिक्षा अधिकारी।


Conclusion:अब देखना होगा कि गरीबी इस बच्चे के आगे बढ़ते कदम रोकती है या फिर इसे सरकार की तरफ से कोई सहायता मिलेगी।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.