रेवाड़ी: चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बावल स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र द्वारा सरसों की अच्छी उपज के लिए तैयार किए बीज की पूरे उत्तर भारत में धूम है. मांग के अनुसार बीच का उत्पादन भी कम पड़ रहा है. हालात ये है कि बेहतर बीज तैयार करने वाला जिला रेवाड़ी आज सरसों उत्पादन में पूरे भारत का सिरमौर बन गया है.
यहां के कृषि वैज्ञानिक जहां नए-नए प्रयोग करके उन्नत फसल के जरिए किसानों की उपज बढ़ाने में दिलचस्पी ले रहे हैं. वहीं किसान इनका पूरा लाभ उठा रहा हैं. रेवाडी जिला की 63,500 हेक्टेयर भूमि पर आज किसान सरसों बो कर खूब पैदावार कर रहा है. पूरे हरियाणा में क्षेत्रफल के हिसाब से सरसों उत्पादन में भिवानी का प्रथम और महेंद्रगढ़ का दूसरा स्थान आता है. रेवाडी का तीसरा स्थान है.
पूरे हरियाणा में टॉप पर है रेवाड़ी
दिलचस्प बात यह है कि भिवानी और महेंद्रगढ़ का क्षेत्रफल ज्यादा होने के बावजूद रेवाड़ी उपज में नंबर वन है. औसत उपज के अनुसार पूरे हरियाणा में रेवाड़ी जहां टॉप पर है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी पहला स्थान है. राजस्थान के अलवर, भरतपुर जिले रेवाड़ी से मुकाबला करते दिखाई दे रहे हैं. इन जिलों में भी सरसों का जबरदस्त उत्पादन हो रहा है.
'यहां के वैज्ञानिकों ने तैयार किया बीज'
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में सरसों के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. यशपाल यादव का कहना है कि हमारे केंद्र ने राया-बावल यानी आरबी-50 किस्म का सरसों का एक बेहतर बीच का अनुसंधान किया है. जिसकी पूरे उत्तर भारत में जबरदस्त मांग है हम तो इस बीच का उतना उत्पादन भी नहीं कर पा रहे जितनी मांग है. इस बार हमने 200 क्विंटल बीच तैयार किया था. जो 1 सप्ताह में ही उठ गया. किसान को जब हमारा बीज नहीं मिलता तो उसे मजबूरी में दूसरा बीज प्रयोग करना पड़ता है.
यहां की फसल कीड़ा और बीमारी मुक्त रहती है
वैज्ञानिकों ने इस बीज को बड़ी मेहनत से 4 साल पूर्व तैयार किया था. वैज्ञानिक उपज को लेकर लगातार प्रयोग करते रहते हैं. यहां का किसान बहुत मेहनती और वैज्ञानिक पर भरोसा करता है. सरसों की उपज के लिए यहां की जलवायु बहुत अच्छी है. यहां उत्पन्न फसल कीड़ा और बीमारी मुक्त रहती है इस उपज को केवल दो बार वर्षा की जरूरत होती है इस बार परिस्थिति पक्ष में हैं और उत्पादन में जिला रेवाड़ी सबसे आगे रहेगा.
'कम पानी में भी होती है अच्छी उपज'
डॉ. यादव का कहना है कि आरबी-50 किस्म में 33 मण यानी लगभग 13 क्विंटल से अधिक सरसों हो रही हैं. यह ऐसा ऑलराउंडर बीज है जो कम पानी में भी उपज देता है. बिना पानी के भी 18 मण व दो बार पानी मिल जाए तो 33 मण तक उपज हो जाती है. जिला में आरबी-50 किस्म का जबरदस्त प्रचलन है. इसकी फली लंबी और दाना मोटा होता है. जिसके कारण इसमें तेल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है.