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हरियाणा: परिवार का पहला नाबालिग मुखिया बना रितिक, सीएम के आदेश पर बना विशेष BPL कार्ड

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पहल से रेवाड़ी जिले के जाटूसाना का नाबालिग बच्चा रितिक विशेष बीपीएल कार्डधारक बन गया है.

हरियाणा का पहला नाबालिग मुखिया बना रितिक
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Published : Jul 26, 2019, 11:10 PM IST

Updated : Jul 27, 2019, 2:35 PM IST

रेवाड़ीः मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से रितिक हरियाणा का पहला ऐसा नाबालिग हो गया है जिसका विशेष बीपीएल कार्ड बनाया गया है. 13 जुलाई की रितिक का ये मामला सामने आया था, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए रेवाड़ी के उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने इस बच्चे को बुलाकर राशन कार्ड की कार्रवाई को पूरा कराया.

हरियाणा का पहला नाबालिग मुखिया बना रितिक, देखें वीडियो

उपायुक्त ने सीएम तक पहुंचाया मामला
इससे पहले राशनकार्ड बनवाने को लेकर आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर उपायुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया गया था. इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल केस बनाकर सम्बंधित विभाग को तुरंत प्रभाव से कार्रवाई कर राशनकार्ड बनाने के आदेश दिए.

सातवीं क्लास का छात्र है रितिक
जाटूसाना निवासी रितिक सरकारी स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा है. 5 साल की उम्र में ही रितिक की माता का निधन हो गया और 9 साल की उम्र में पिता भी चल बसे. रितिक के दादा- दादी जिंदा हैं, लेकिन वे खुद ही बीमार रहते हैं. इसी दौरान रितिक राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहुंचा.

मुख्यमंत्री ने की मदद
यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नहीं था, जो कि अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से बन गया है. बता दें कि राशन कार्ड बनवाने के लिए परिवार के मुखिया का बालिग होना जरूरी है. रितिक परिवार में अकेला था, ऐसे में उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था जोकि अब सीएम हस्तक्षेप से बन गया है.

रेवाड़ीः मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से रितिक हरियाणा का पहला ऐसा नाबालिग हो गया है जिसका विशेष बीपीएल कार्ड बनाया गया है. 13 जुलाई की रितिक का ये मामला सामने आया था, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए रेवाड़ी के उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने इस बच्चे को बुलाकर राशन कार्ड की कार्रवाई को पूरा कराया.

हरियाणा का पहला नाबालिग मुखिया बना रितिक, देखें वीडियो

उपायुक्त ने सीएम तक पहुंचाया मामला
इससे पहले राशनकार्ड बनवाने को लेकर आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर उपायुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया गया था. इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल केस बनाकर सम्बंधित विभाग को तुरंत प्रभाव से कार्रवाई कर राशनकार्ड बनाने के आदेश दिए.

सातवीं क्लास का छात्र है रितिक
जाटूसाना निवासी रितिक सरकारी स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा है. 5 साल की उम्र में ही रितिक की माता का निधन हो गया और 9 साल की उम्र में पिता भी चल बसे. रितिक के दादा- दादी जिंदा हैं, लेकिन वे खुद ही बीमार रहते हैं. इसी दौरान रितिक राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहुंचा.

मुख्यमंत्री ने की मदद
यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नहीं था, जो कि अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से बन गया है. बता दें कि राशन कार्ड बनवाने के लिए परिवार के मुखिया का बालिग होना जरूरी है. रितिक परिवार में अकेला था, ऐसे में उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था जोकि अब सीएम हस्तक्षेप से बन गया है.

Intro:रेवाड़ी, 24 जुलाई।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दिल में गरीबों के प्रति उदारता और सवेदनशीलता का एक और अदभुत उदाहरण उस समय सामने आया जब उनके हस्तक्षेप से जिला के जाटूसाना का नाबालिग बच्चा रितिक विशेष बीपीएल कार्डधारक बन गया।



Body:उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से रितिक हरियाणा का पहला ऐसा नाबालिग हो गया है जिसका विशेष बीपीएल कार्ड बनाया गया है। गत 13 जुलाई की रितिक का यह मामला सामने आया था, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए रेवाड़ी के उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने इस बच्चे को बुलाकर राशन कार्ड की कार्रवाई को।पूरा कराया गया। इसस पहले राशनकार्ड बनवाने को लेकर आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर उपायुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल केस बनाकर सम्बंधित विभाग को तुरंत प्रभाव से कार्रवाई कर राशनकार्ड बनाने के आदेश दिए।
इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने कुरुक्षेत्र के शाहबाद में कड़ी धूप में काम कर रहे जूता मरम्मत करने वाले एक बुजुर्ग की देखा तो उनका हालचाल जाना और 50 हजार रुपये खोखा बनाने के लिए दिलवाए और साथ ही मकान की मरम्मत तथा औजारों के लिए भी आर्थिक सहायता देने के निर्देश भी दिए थे।
ऐसा ही एक अन्य मामला करनाल के प्रमोद तलवार जो ह्रदय रोगी थे और उनकी सर्जरी की जानी थी। उनकी बेटी रचना तलवार ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करावा दिया और उनकी सर्जरी करवाने में मदद की गई थी। जिसकी पेमेंट करने में तलवार परिवार असमर्थ था। यह मामला सीएम के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत आत्मियता और मानवता का उदाहरण देते हुए दो लाख रुपये की राशि देकर मदद की गई।
गांव जाटूसाना के राजकीय स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा रितिक जब वह 5 साल का हुआ मां उसे छोड़कर कहीं चली गई। जब वह 9 साल का हुआ तो पिता टीबी की बीमारी के कारण चल बसा। दादा-दादी जिंदा है लेकिन वे खुद अपना पेट भर ले तो बड़ी बात है। रितिक की दिनचर्या यह है कि वह घर में अकेला रहता है। तंगी के हालातों के चलते उसके पिता 8 साल पहले गांव छोड़कर मजदूरी करने लग गया था। उनके पीछे से गांव में बीपीएल सर्वे की टीम आईं और उसके कार्ड को रद्द कर उन्हें सरकार से मील 100 वर्ग गज के प्लाट को कैन्सिल करके चली गई। उसके पिता 4 दिसंबर 2012 को गांव वापस आया। नया बीपीएल राशनकार्ड बनवाया, जिससे उनका किसी तरह गुजारा हो जाता।
2016 में टीबी की बीमारी के चलते उसके पिता की मृत्यु हो गई। राशनकार्ड को दुरुस्त कराने के लिए रितिक किसी के साथ राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग पहुंचा। यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नही था, जोकि अब सीएम के हस्तक्षेप से बन गया।
बाइट--अमित, जिला पार्षद।
बाइट--रितिक, राशनकार्ड धारी बच्चा।
बाइट---यशेन्द्र सिंह, जिला उपायुक्त रेवाड़ी।


Conclusion:अब देखना होगा कि नाबालिग रितिक को जो सुविधा मिली है, उसी तरह प्रदेश के अन्य बेसहारा बच्चों को मिल पाएगी या नही!
Last Updated : Jul 27, 2019, 2:35 PM IST
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