रेवाड़ी: गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से एक योजना लागू की. इस योजना के तहत देश के करोड़ों गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए. लेकिन जब इलाज की बारी आती है तो मरीज अस्पताल के चक्कर काटते हैं.
इलाज के नाम पर वसूली
दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी की, जहां एक महिला की हालत बिगड़ने पर उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां अस्पताल आयुष्मान योजना के पैनल पर होने के बावजूद डॉक्टर ने मरीज की जांच और इलाज के नाम पर 15 हजार रुपए वसूल लिए और बाद में यह कहकर रेफर कर दिया गया कि सरकार ने आयुष्मान कार्ड के नाम पर यह तुम्हें झुनझुना दिया है.
मरीज को किया रेफर
इसके बाद परिजनों ने मरीज को दूसरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला का इलाज चल रहा है. इस पूरे मामले पर जब अस्पताल संचालक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीज जब उनके यहां भर्ती हुआ, तब मामूली सरदर्द और उल्टी की शिकायत थी. जांच कराने के बाद पता चला कि मरीज को दिमागी रोग है, जिस पर उन्होंने रेफर करते हुए सरकारी अस्पताल से सीटी स्कैन कराने को कहा.
आयुष्मान योजना के तहत इलाज का मिलता है पैसा
उन्होंने कहा कि जहां तक अस्पताल का पैनल पर होने का सवाल है, तो जो बीमारी मरीज को है उसके लिए उनका अस्पताल पैनल में नहीं है और जिस वसूली की बात परिजनों द्वारा कही जा रही है तो आयुष्मान योजना के तहत उन्हें इलाज के पैसे मिलते हैं. जबकि टेस्ट का कोई पैसा नहीं मिलता.