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डॉक्टर्स आयुष्मान योजना की उड़ा रहे धज्जियां, मरीजों से कर रहे वसूली

जिले में डॉक्टर मरीजों से इलाज के नाम पर वसूली कर रहे हैं. वो भी तब जब अस्पताल आयुष्मान योजना के पैनल है.

अस्पतालों ने इलाज के नाम पर हो रही वसूली
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Published : Mar 20, 2019, 11:15 AM IST

रेवाड़ी: गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से एक योजना लागू की. इस योजना के तहत देश के करोड़ों गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए. लेकिन जब इलाज की बारी आती है तो मरीज अस्पताल के चक्कर काटते हैं.

अस्पताल में चल रही वसूली

इलाज के नाम पर वसूली
दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी की, जहां एक महिला की हालत बिगड़ने पर उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां अस्पताल आयुष्मान योजना के पैनल पर होने के बावजूद डॉक्टर ने मरीज की जांच और इलाज के नाम पर 15 हजार रुपए वसूल लिए और बाद में यह कहकर रेफर कर दिया गया कि सरकार ने आयुष्मान कार्ड के नाम पर यह तुम्हें झुनझुना दिया है.

क्लिक कर सुनिए पीड़ित परिजनों का क्या कहना है

मरीज को किया रेफर
इसके बाद परिजनों ने मरीज को दूसरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला का इलाज चल रहा है. इस पूरे मामले पर जब अस्पताल संचालक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीज जब उनके यहां भर्ती हुआ, तब मामूली सरदर्द और उल्टी की शिकायत थी. जांच कराने के बाद पता चला कि मरीज को दिमागी रोग है, जिस पर उन्होंने रेफर करते हुए सरकारी अस्पताल से सीटी स्कैन कराने को कहा.

आयुष्मान योजना के तहत इलाज का मिलता है पैसा
उन्होंने कहा कि जहां तक अस्पताल का पैनल पर होने का सवाल है, तो जो बीमारी मरीज को है उसके लिए उनका अस्पताल पैनल में नहीं है और जिस वसूली की बात परिजनों द्वारा कही जा रही है तो आयुष्मान योजना के तहत उन्हें इलाज के पैसे मिलते हैं. जबकि टेस्ट का कोई पैसा नहीं मिलता.

रेवाड़ी: गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से एक योजना लागू की. इस योजना के तहत देश के करोड़ों गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए. लेकिन जब इलाज की बारी आती है तो मरीज अस्पताल के चक्कर काटते हैं.

अस्पताल में चल रही वसूली

इलाज के नाम पर वसूली
दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी की, जहां एक महिला की हालत बिगड़ने पर उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां अस्पताल आयुष्मान योजना के पैनल पर होने के बावजूद डॉक्टर ने मरीज की जांच और इलाज के नाम पर 15 हजार रुपए वसूल लिए और बाद में यह कहकर रेफर कर दिया गया कि सरकार ने आयुष्मान कार्ड के नाम पर यह तुम्हें झुनझुना दिया है.

क्लिक कर सुनिए पीड़ित परिजनों का क्या कहना है

मरीज को किया रेफर
इसके बाद परिजनों ने मरीज को दूसरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला का इलाज चल रहा है. इस पूरे मामले पर जब अस्पताल संचालक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीज जब उनके यहां भर्ती हुआ, तब मामूली सरदर्द और उल्टी की शिकायत थी. जांच कराने के बाद पता चला कि मरीज को दिमागी रोग है, जिस पर उन्होंने रेफर करते हुए सरकारी अस्पताल से सीटी स्कैन कराने को कहा.

आयुष्मान योजना के तहत इलाज का मिलता है पैसा
उन्होंने कहा कि जहां तक अस्पताल का पैनल पर होने का सवाल है, तो जो बीमारी मरीज को है उसके लिए उनका अस्पताल पैनल में नहीं है और जिस वसूली की बात परिजनों द्वारा कही जा रही है तो आयुष्मान योजना के तहत उन्हें इलाज के पैसे मिलते हैं. जबकि टेस्ट का कोई पैसा नहीं मिलता.

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आयुष्मान कार्ड या कोई झुनझुना...
इलाज के लिए अस्पताल के धक्के खाने को विवश मरीज
परिजनों का आरोप; जांच के नाम पर वसूली कर किया रैफर
चिकित्सक बोले; मरीज कहीं से भी गरीब नहीं, टैस्ट के पैसे लगते हैं
शिकायत मिलने पर की जाएगी कार्यवाही: सीएमओ
रेवाड़ी 19 मार्च।
एंकर: गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से एक योजना लागू की। इस योजना के तहत देश के करोड़ों गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए, लेकिन जब इलाज की बारी आई तो मरीजों को अस्पताल में चक्कर काट रहे है और मरीज अपनी जेबें कटवाने को विवश है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि यह कहना है उन मरीजों के परिजनों का जो इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।

वीओ 1:
दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी की, जहां एक महिला की हालत बिगड़ने पर उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों की मानें तो यह अस्पताल आयुष्मान योजना के पैनल पर होने के बावजूद चिकित्सक ने मरीज की जांच व इलाज के नाम पर उनसे 15 हजार रुपये वसूली लिए और बाद में यह कहकर रेफर कर दिया गया कि सरकार ने आयुष्मान कार्ड के नाम पर यह झुनझुना तुम्हें दिया है। इसलिए यहां इलाज नहीं हो सकता। इसके बाद मरीज को दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला अभी उपचाराधीन है।
बाइट: मरीज का बेटा
बाइट: मरीज का पति
बाइट: परिजन

वीओ 2:
इसे लेकर जब अस्पताल संचालक का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि मरीज जब उनके यहां भर्ती हुआ, तब मामूली सरदर्द व उल्टी की शिकायत थी। जांच कराने के बाद पता चला कि मरीज को दिमागी रोग है, जिस पर उन्होंने रेफर करते हुए सरकारी अस्पताल से सीटी स्कैन कराने को कहा, लेकिन परिजन उसे निजी अस्पताल में ले गए। उन्होंने कहा कि मरीज कहीं से भी गरीब नहीं लगता, क्योंकि परिजन सरकारी अस्पताल में ले जाने की बजाय प्राइवेट अस्पताल से इलाज करा रहे हैं। जहां तक अस्पताल का पैनल पर होने का सवाल है तो जो बीमारी मरीज को है, उसके लिए उनका अस्पताल पैनल में नहीं है और जिस वसूली की बात परिजनों द्वारा कही जा रही है तो आयुष्मान के तहत उन्हें इलाज के पैसे मिलते हैं। जबकि टेस्ट का कोई पैसा नहीं मिलता।
बाइट: डॉ एसपी यादव, अस्पताल संचालक

वीओ 3:
अब जरा सुनिए इस पर स्वास्थ्य अधिकारी क्या कहते हैं। उनका कहना है कि जिस इलाज के लिए जो अस्पताल रजिस्टर्ड है, वह इलाज वही से ही संभव है। फिर भी अगर किसी मरीज को किसी अस्पताल से कोई शिकायत है तो उसकी शिकायत उनके कार्यालय में की जा सकती है, जिस पर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बाइट: डॉ कृष्ण कुमार, सिविल सर्जन रेवाड़ी

वीओ फाइनल:
मगर कुछ भी हो, अब इसे जागरूकता की कमी कहें या फिर सरकार के प्रचार की कमी। आयुष्मान कार्ड बनवाने के बावजूद मरीज अस्पतालों के धक्के खाने को विवश हैं। हालांकि यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जब इलाज के लिए मरीजों को अस्पताल के धक्के खाने पड़े। अब देखना होगा सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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