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पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देकर फिर चर्चा में तेज बहादुर यादव, पढ़िए अब तक का पूरा मामला - पीएम मोदी

साल 2017 में सेना में सैनिकों को घटिया खाना देने की वीडियो वायरल करने के बाद से ही तेज बहादुर चर्चा में रहे. वो फिर चर्चा मे तब आए जब उन्हें बर्खास्त कर दिया. इसके बाद वो लगातार सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते रहे. चर्चा में तब दोबारा आए जब उन्होंने वाराणसी से पर्चा भरा उसके बाद उनका पर्चा रद्द कर दिया गया तब से वो कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

दो सालों से 'सरकार' को सीधी टक्कर दे रहे हैं तेज प्रताप, जानें किन-किन वजहों से हुई चर्चा
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Published : Jul 8, 2019, 7:15 PM IST

Updated : Jul 8, 2019, 8:09 PM IST

रेवाड़ी: साल 2017 की शुरुआत में ही बीएसएफ में बतौर जवान रहे तेज बहादुर यादव की एक वीडियो ने बवाल मचा दिया था. सोशल मीडिया पर ये वीडियो खूब वायरल हुआ. तेज बहादुर यादव ने इस वीडियो के जरिए फौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत की. ऐसा पहली बार हुआ था कि एक फौजी ने सार्वजनिक तौर पर सेना की खिलाफत की थी चाहे वो सिर्फ खाने को लेकर हुआ हो. ये वीडियो रातो रात वायरल हुआ और मुद्दा सेना क्षेत्र से बाहर राजनीतिक हो चुका था. कुछ दिनों बाद तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया. तेज बहादुर ने इस कार्रवाई को अपने साथा नाइंसाफी समझा और अपने साथ राजनीति होना बताया था.

मोदी को हराने की ख्वाहिश लिए वाराणसी पहुंचे थे!
ये वहीं तेज बहादुर यादव हैं जो दोबारा पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से पर्चा भरा था. तेज बहादुर यादव बर्खास्त होने के बाद लगातार सरकार का विरोध करते रहे. यही वजह थी आम चुनाव में उन्होंने सीधे पीएम मोदी को वाराणसी से निर्दलीय टक्कर देने का विचार बनाया और निर्दलीय पर्चा भरने चुनाव कार्यालय पहुंच गए, हालांकि तेज बहादुर यादव को बाद में सपा ने टिकट दे दी थी.

सुप्रीम कोर्ट से निराश लौटे थे तेज बहादुर!
वाराणसी से महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है.

मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने दिया था साथ
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो टूक जवाब मिलने के बाद तेज बहादुर की ओर से प्रशान्त भूषण ने सफाई दी थी कि उनका मकसद चुनाव को चुनौती नहीं था बल्कि उनका तो बस ये कहना था कि तेज बहादुर का नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है. प्रशांत भूषण ने कहा था कि मैंने तेज बहादुर के बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न किया था. हमें जवाब रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया.

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट से जागी उम्मीद
अब दोबारा तेज बहादुर चर्चा में आ चुके हैं. तेज बहादुर की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को रद्द करने के लिए रविवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. निर्वाचन रद्द करने की यह याचिका बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव ने दायर की है. तेजबहादुर ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष याचिका दाखिल की. याचिका का आधार तेजबहादुर ने वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन नियम के विरुद्ध रद्द करना बताया है. इस याचिका को हाई कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया.

रेवाड़ी: साल 2017 की शुरुआत में ही बीएसएफ में बतौर जवान रहे तेज बहादुर यादव की एक वीडियो ने बवाल मचा दिया था. सोशल मीडिया पर ये वीडियो खूब वायरल हुआ. तेज बहादुर यादव ने इस वीडियो के जरिए फौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत की. ऐसा पहली बार हुआ था कि एक फौजी ने सार्वजनिक तौर पर सेना की खिलाफत की थी चाहे वो सिर्फ खाने को लेकर हुआ हो. ये वीडियो रातो रात वायरल हुआ और मुद्दा सेना क्षेत्र से बाहर राजनीतिक हो चुका था. कुछ दिनों बाद तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया. तेज बहादुर ने इस कार्रवाई को अपने साथा नाइंसाफी समझा और अपने साथ राजनीति होना बताया था.

मोदी को हराने की ख्वाहिश लिए वाराणसी पहुंचे थे!
ये वहीं तेज बहादुर यादव हैं जो दोबारा पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से पर्चा भरा था. तेज बहादुर यादव बर्खास्त होने के बाद लगातार सरकार का विरोध करते रहे. यही वजह थी आम चुनाव में उन्होंने सीधे पीएम मोदी को वाराणसी से निर्दलीय टक्कर देने का विचार बनाया और निर्दलीय पर्चा भरने चुनाव कार्यालय पहुंच गए, हालांकि तेज बहादुर यादव को बाद में सपा ने टिकट दे दी थी.

सुप्रीम कोर्ट से निराश लौटे थे तेज बहादुर!
वाराणसी से महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है.

मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने दिया था साथ
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो टूक जवाब मिलने के बाद तेज बहादुर की ओर से प्रशान्त भूषण ने सफाई दी थी कि उनका मकसद चुनाव को चुनौती नहीं था बल्कि उनका तो बस ये कहना था कि तेज बहादुर का नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है. प्रशांत भूषण ने कहा था कि मैंने तेज बहादुर के बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न किया था. हमें जवाब रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया.

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट से जागी उम्मीद
अब दोबारा तेज बहादुर चर्चा में आ चुके हैं. तेज बहादुर की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को रद्द करने के लिए रविवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. निर्वाचन रद्द करने की यह याचिका बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव ने दायर की है. तेजबहादुर ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष याचिका दाखिल की. याचिका का आधार तेजबहादुर ने वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन नियम के विरुद्ध रद्द करना बताया है. इस याचिका को हाई कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया.

Intro:रेवाड़ी, 8 जुलाई।
ख़राब खाने को लेकर वीडियो वायरल करने के बाद सुर्खियों में आए पूर्व BSF जवान तेज बहादुर ने वाराणसी चुनाव को रद्द करने के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट में पिटीशन फ़ाइल दाख़िल कर चुनाव रद्द करने की मांग की गई है।


Body:आपको बता दे कि जनवरी 2017 को ख़राब खाने को लेकर सुर्खियों में आएं पूर्व बीएसएफ़ जवान तेज बहादुर को सेना ने जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। जिसको लेकर तेज बहादुर ने पीएम मोदी के ख़िलाफ़ वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए नॉमिनेशन दाख़िल किया था।
तेज बहादुर के अनुसार उन्होंने सभी रूल्स फॉलो किये थे उसके बावजूद उनका नॉमिनेशन फॉम रद्द कर दिया गया। उसी को लेकर अब उन्होंने रविवार को इलाहबाद हाईकोर्ट में पिटीशन फ़ाइल दाख़िल की है। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए 6 अधिकारियों सहित पीएम नरेंद्र मोदी को भी पार्टी बनाया गया है। तेज बहादुर ने बताया कि नरेंद्र मोदी ने पीएम रहते अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल करते हुए चुनाव अधिकारियों पर दवाब मनाकर उनका नॉमिनेशन रद्द करवाया गया था। जी की स्वम मोदी ने अपने परिवार का ब्यौरा नही दिया।
अब उन्हें कोर्ट पर यकीन है कि उन्हें न्याय मिलेगा और वाराणसी चुनाव रद्द होगा।
बाइट--तेज बहादुर यादव, पूर्व BSF जवान, एवं वाराणसी से समाजवादी पार्टी के लोकसभा के प्रत्याशी।



Conclusion:अब देखना होगा कि भ्र्ष्टाचार की लड़ाई लड़ने वाले इस जवान को न्याय मिलेगा या फ़िर सत्ता के आगे इमानदारी दम तोड़ देगी।
Last Updated : Jul 8, 2019, 8:09 PM IST
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