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लॉकडाउन से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की टूटी कमर, सिर्फ पानीपत में 2000 करोड़ के ऑर्डर कैंसिल

देश और प्रदेश के निर्यात में टेक्सटाइल उद्योग का अहम स्थान है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से इस उद्योग को तगड़ा झटका लगा है. सिर्फ पानीपत में ही 2000 करोड़ रुपये के ऑर्डर लॉकडाउन के कारण कैंसिल हो गए और करीब 2500 करोड़ रुपये के ऑर्डर का माल गोदामों में रखा है.

Textile business effected in lockdown
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Published : Apr 21, 2020, 8:24 PM IST

Updated : Apr 23, 2020, 7:17 PM IST

पानीपतः कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में हुए लॉकडाउन का असर हर कारोबार पर पड़ रहा है. टेक्सटाइल उद्योग भी इससे बच नहीं पाया है. बात अगर हरियाणा कि करें तो प्रदेश से 1.3 बिलियन यूएस डॉलर का रेडीमेड कपड़ों का निर्यात होता है. हरियाणा के पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार और सोनीपत जैसे जिलों ने एशिया के सबसे बड़े कपड़ा केंद्र के रूप में खुद को विकसित किया है.

निर्यात में कपड़ा उद्योग का अहम स्थान

प्रदेश के कपड़ा उद्योगों में 10 लाख श्रमिक काम करते हैं. साल 2019 में 607.52 मिलियन यूएस डॉलर के कपड़ों का निर्यात हरियाणा से हुआ और सिर्फ 2019 में अप्रैल-सितंबर के बीच 388.21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हुआ था.

लॉकडाउन से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की टूटी कमर, सिर्फ पानीपत में 2000 करोड़ के ऑर्डर कैंसिल

पानीपत के कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के टेक्सटाइल हब पानीपत को भारी नुकसान हुआ है.

पानीपत के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हाउस एसोसिएशन के प्रधान ललित कुमार ने बताया कि पानीपत में घरेलू और बाहर भेजने वाले माल के कुल कारोबार का सालाना टर्नओवर करीब 36 हजार करोड़ रुपये का है. वहीं एक्सपोर्ट होने वाले सामान का सालाना टर्न ओवर करीब 10 से 12 हजार करोड़ रुपये का है.

पानीपत से पूरे यूरोप के देशों, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, जापान समेत दुनिया के करीब 30-40 देशों को टेक्सटाइल एक्सपोर्ट होता है. वहीं सरकार को सालाना करीब 10 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.

लेकिन लॉकडाउन के दौरान पानीपत से एक्सपोर्ट होने कपड़ों के लगभग दो हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं और आयात-निर्यात बंद होने के कारण करीब ढाई हजार करोड़ के ऑर्डर का तैयार माल गोदामों में पड़ा है. काम बंद होने से ज्यादातर मजदूर अपने गांव लौट चुके हैं.

पानीपत में टेक्सटाइल के एक्सपोर्टर विभु पालीवाल ने कहा कि अब तक करीब ढाई हजार करोड़ के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं और करीब ढाई से तीन हजार करोड़ के ऑर्डर की हालत भी डांवाडोल है.

कारोबारी कर रहे सरकार से मदद की मांग

ललित कुमार ने कहा कि कारोबार को दोबारा खड़ा करने के लिए लगभग 6 से 9 महीने तक का वक्त लग सकता है और इसके लिए उन्होंने सरकार से मदद की मांग की. ललित कुमार ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों का वेतन ESI डिपार्टमेंट के फंड से देने की मांग की और कहा कि ESI डिपार्टमेंट के पास 90 हजार करोड़ रुपये का रिजर्व पड़ा है.

साल 2019 में हरियाणा से 607.52 मिलियन यूएस डॉलर के कपड़े का एक्सपोर्ट हुआ था. जिसमें एक बड़ा हिस्सा पानीपत का था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ पानीपत और प्रदेश के टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है. बल्कि सरकार को भारी राजस्व घाटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः- ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी लॉकडाउन, 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान

पानीपतः कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में हुए लॉकडाउन का असर हर कारोबार पर पड़ रहा है. टेक्सटाइल उद्योग भी इससे बच नहीं पाया है. बात अगर हरियाणा कि करें तो प्रदेश से 1.3 बिलियन यूएस डॉलर का रेडीमेड कपड़ों का निर्यात होता है. हरियाणा के पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार और सोनीपत जैसे जिलों ने एशिया के सबसे बड़े कपड़ा केंद्र के रूप में खुद को विकसित किया है.

निर्यात में कपड़ा उद्योग का अहम स्थान

प्रदेश के कपड़ा उद्योगों में 10 लाख श्रमिक काम करते हैं. साल 2019 में 607.52 मिलियन यूएस डॉलर के कपड़ों का निर्यात हरियाणा से हुआ और सिर्फ 2019 में अप्रैल-सितंबर के बीच 388.21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हुआ था.

लॉकडाउन से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की टूटी कमर, सिर्फ पानीपत में 2000 करोड़ के ऑर्डर कैंसिल

पानीपत के कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के टेक्सटाइल हब पानीपत को भारी नुकसान हुआ है.

पानीपत के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हाउस एसोसिएशन के प्रधान ललित कुमार ने बताया कि पानीपत में घरेलू और बाहर भेजने वाले माल के कुल कारोबार का सालाना टर्नओवर करीब 36 हजार करोड़ रुपये का है. वहीं एक्सपोर्ट होने वाले सामान का सालाना टर्न ओवर करीब 10 से 12 हजार करोड़ रुपये का है.

पानीपत से पूरे यूरोप के देशों, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, जापान समेत दुनिया के करीब 30-40 देशों को टेक्सटाइल एक्सपोर्ट होता है. वहीं सरकार को सालाना करीब 10 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.

लेकिन लॉकडाउन के दौरान पानीपत से एक्सपोर्ट होने कपड़ों के लगभग दो हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं और आयात-निर्यात बंद होने के कारण करीब ढाई हजार करोड़ के ऑर्डर का तैयार माल गोदामों में पड़ा है. काम बंद होने से ज्यादातर मजदूर अपने गांव लौट चुके हैं.

पानीपत में टेक्सटाइल के एक्सपोर्टर विभु पालीवाल ने कहा कि अब तक करीब ढाई हजार करोड़ के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं और करीब ढाई से तीन हजार करोड़ के ऑर्डर की हालत भी डांवाडोल है.

कारोबारी कर रहे सरकार से मदद की मांग

ललित कुमार ने कहा कि कारोबार को दोबारा खड़ा करने के लिए लगभग 6 से 9 महीने तक का वक्त लग सकता है और इसके लिए उन्होंने सरकार से मदद की मांग की. ललित कुमार ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों का वेतन ESI डिपार्टमेंट के फंड से देने की मांग की और कहा कि ESI डिपार्टमेंट के पास 90 हजार करोड़ रुपये का रिजर्व पड़ा है.

साल 2019 में हरियाणा से 607.52 मिलियन यूएस डॉलर के कपड़े का एक्सपोर्ट हुआ था. जिसमें एक बड़ा हिस्सा पानीपत का था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ पानीपत और प्रदेश के टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है. बल्कि सरकार को भारी राजस्व घाटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः- ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी लॉकडाउन, 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान

Last Updated : Apr 23, 2020, 7:17 PM IST

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