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हरियाणा में चढ़ूनी ने किसान आंदोलन को दी हवा! पानीपत से हजारों किसानों के साथ सिंघु बॉर्डर रवाना

हरियाणा में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam Singh Chaduni) काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. वो लगातार किसानों को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इसी कड़ी मेंं गुरुवार को गुरनाम सिंह चढ़ूनी पानीपत से हजारों किसानों के साथ पानीपत से सिंघु बॉर्डर (Panipat To Singhu Border) के लिए रवाना हुए.

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हरियाणा में चढ़ूनी ने किसान आंदोलन को दी हवा
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Published : Jun 10, 2021, 2:28 PM IST

पानीपत: हरियाणा में एक बार फिर तीन कृषि कानूनों (Three Agriculture Law) के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया है. किसान गांवों से निकल कर सिंघु बार्डर (Singhu Border) की ओर कूच करने लगे हैं. इसी कड़ी में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam Singh Chaduni) के नेतृत्व में हजारों किसान पानीपत से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुए.

किसानों का नेतृत्व कर रहे गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा हमने कोई अभी तक सरकार से मांग नहीं रखी है. उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. यह कृषि कानून नहीं बल्कि कृषि व्यापार के लिए कानून बनाए गए हैं. जो पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाएंगे.

हरियाणा में चढ़ूनी ने किसान आंदोलन को दी हवा! देखिए वीडियो

'11 बार मीटिंग के बाद भी नहीं समझी सरकार'

वहीं सरकार से बातचीत के सवाल पर गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार हमें 11 बार मीटिंग करने के बाद नहीं समझ पाई है. तो अभी भी हम सरकार को मीडिया के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि इन काले कानूनों से कृषि और किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. वह इसका ने कानून को रद्द करवाने के लिए अपने हर प्रयास में जुटे हुए हैं.

ये पढ़ें- चढ़ूनी Vs टिकैत हुआ किसान आंदोलन? क्या राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में फंस गए दोनों नेता

'एमएसपी बढ़ोतरी ऊंट के मूंह में जीरा'

गुरनाम चढ़ूनी ने केंद्र की तरफ से खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) बढ़ाने पर कहा कि जो एमएसपी बढ़ाया गया है. वो सिर्फ तीन परसेंट है, जो कि ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है. उनका कहना है कि सिर्फ समर्थन मूल्य बढ़ाने से किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

ये पढ़ें- किसान आंदोलन होने लगा मजबूत! खरखौदा से सैकड़ों किसानों ने किया सिंघु बॉर्डर के लिए कूच

पानीपत: हरियाणा में एक बार फिर तीन कृषि कानूनों (Three Agriculture Law) के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया है. किसान गांवों से निकल कर सिंघु बार्डर (Singhu Border) की ओर कूच करने लगे हैं. इसी कड़ी में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam Singh Chaduni) के नेतृत्व में हजारों किसान पानीपत से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुए.

किसानों का नेतृत्व कर रहे गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा हमने कोई अभी तक सरकार से मांग नहीं रखी है. उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. यह कृषि कानून नहीं बल्कि कृषि व्यापार के लिए कानून बनाए गए हैं. जो पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाएंगे.

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'11 बार मीटिंग के बाद भी नहीं समझी सरकार'

वहीं सरकार से बातचीत के सवाल पर गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार हमें 11 बार मीटिंग करने के बाद नहीं समझ पाई है. तो अभी भी हम सरकार को मीडिया के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि इन काले कानूनों से कृषि और किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. वह इसका ने कानून को रद्द करवाने के लिए अपने हर प्रयास में जुटे हुए हैं.

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'एमएसपी बढ़ोतरी ऊंट के मूंह में जीरा'

गुरनाम चढ़ूनी ने केंद्र की तरफ से खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) बढ़ाने पर कहा कि जो एमएसपी बढ़ाया गया है. वो सिर्फ तीन परसेंट है, जो कि ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है. उनका कहना है कि सिर्फ समर्थन मूल्य बढ़ाने से किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

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