पानीपत: प्रदेश के राजस्व में बड़ा योगदान देने वाले पानीपत में पुराने औद्योगिक एरिया की सड़कें (roads) बदहाली के आंसू बहा रही है. यहां की सड़के पिछले सात-आठ साल से गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं. बारिश के मौसम में तो सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं. जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
सड़कों पर जलभराव (Water logging) और खुले नालों के चलते बारिश के मौसम में सड़कों पर यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि सड़क पर किस जगह गड्ढा है, जिससे हादसों की संभावना बनी रहती है. सड़कों पर जल भराव से जाम की की स्थिति भी पैदा हो जाती है.
शहर में सड़कों और नालों के निर्माण (construction of roads and drains) के लिए सरकार टेंडर तो पास करती है, लेकिन सड़क और नालों की मरम्मत का काम सरकारी कागजों में ही सिमटकर रह जाता है. इसका अंदाजा आप बारिश के मौसम में रोड पर जाकर खुद ही लगा सकते हैं. क्योंकि वहां होने वाला जलभराव, सड़क और नालों की बदहाली के आंसू खुद ही बहा देता है.
सड़कों की इस बदहाली के चलते बारिश में जल भराव होने से औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित होता है क्योंकि बारिश के चलते कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी समय से ऑफिस नहीं पहुंचते हैं. जब इस बारे में पानीपत में फैक्ट्री चलाने वाले उद्यमियों से पूछा गया तो उन्होंने सरकारी लाल फीताशाही को ही सड़कों की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया.
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शहरों में सड़कों को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि सरकार को निर्माण कार्य से जुड़ी एजेंसियों के बीच अच्छा तालमेल बनाना होगा, क्योंकि ज्यादातर मामलों में ऐसा भी देखा जाता है कि सड़क बनने के बाद बिजली के खंभे लगाए जाते हैं. जिसके लिए सड़कों पर खुदाई भी की जाती है. इससे ना केवल कार्य का दोहराव होता है बल्कि सड़कों पर गडढे भी बन जाते हैं, जो हादसों को अंजाम देते हैं
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सही मायने में सरकार बारिश में जलभराव को रोकना चाहती है तो उसके लिए बेहतर होगा कि शहरों में सड़कों और नालों के निर्माण में ऐसी प्रणाली अपनाई जाए जिसमें बारिश के पानी को एक जगह इकट्ठा किया जा सके और बाद में यही पानी फिर से प्रयोग में लाने योग्य बनाया जाए. इससे पेयजल संकट का भी सामना नहीं करना पड़ेगा और लोगों को आवागमन के लिए बेहतर सड़कें भी उपलब्ध हो सकेंगी.