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AJL प्लॉट आवंटन और मानेसर लैंड डील केस में सुनवाई, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कोर्ट में पेश

दोनों ही मामलों में आरोपियों पर लगाए गए चार्ज पर वकीलों में बहस हो रही है. एजेएल मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को डिस्चार्ज करने पर सीबीआई रिप्लाई करेगी.

Bhupinder Singh Hooda
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Published : Sep 18, 2019, 11:50 AM IST

पंचकूला: एजेएल प्लॉट आवंटन और मानेसर लैंड डील मामले में आज विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेशी के लिए कोर्ट पहुंच चुके हैं. दोनों ही मामलों में आरोपियों पर लगाए गए चार्ज पर वकीलों में बहस हो रही है. एजेएल मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को डिस्चार्ज करने पर सीबीआई रिप्लाई करेगी.

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला
भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को साल 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ये प्लाट पंचकूला के सेक्टर छह में सी-17 है.

ये प्लॉट 24 अगस्त 1982 को आवंटित किया गया था. तब चौधरी भजनलाल मुख्‍यमंत्री थे. उस समय इसे नेशनल हेराल्ड के हिंदी संस्करण नवजीवन को दिया गया था. कंपनी को इस पर छह महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था. कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई.

ये भी पढ़ें- मजूबत विपक्ष खड़ा करने की कोशिश में लगे खाप ने पीछे खींचे हाथ, रमेश दलाल ने दिया बड़ा बयान

30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था. इसके बाद इसे हुड्डा सरकार के दौरान 2005 में फिर से 1982 की मूल दरों पर आवंटित कर दिया गया, जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था.

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी. ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लॉट सी 17 को अटैच कर दिया. जिसका मतलब ये था कि अब इस पर कोई काम नहीं हो सकेगा.

प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चल रहा है.

ये भी पढ़ें- दिग्विजय सिंह कांग्रेस के चेहरे पर लगा एक बदनुमा दाग है- अनिल विज

क्या है मानेसर लैंड डील केस
मानेसर लैंड डील केस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण ज्यादा सुर्खियों में रहा है. दरअसल मानेसर के तीन गांवों में किसानों को अधिग्रहण के नाम पर डराकर उनसे सस्ती दरों पर जमीन खरीदकर बाद में बिल्डरों के साथ साठगांठ कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया था.

आरोपियों ने मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों को आईएमटी के नाम पर जमीन अधिग्रहण का डर दिखाकर कुछ नेताओं के साथ मिलकर जमीन की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी की थी.

ये भी पढ़ें- अकाली दल का बड़ा ऐलान, हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेगी चुनाव

अधिग्रहण का डर दिखाकर किसानों से जमीन लेने के लिए आरोपियों ने कुछ दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर भी किए थे. आरोपियों पर हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है.

पंचकूला: एजेएल प्लॉट आवंटन और मानेसर लैंड डील मामले में आज विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेशी के लिए कोर्ट पहुंच चुके हैं. दोनों ही मामलों में आरोपियों पर लगाए गए चार्ज पर वकीलों में बहस हो रही है. एजेएल मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को डिस्चार्ज करने पर सीबीआई रिप्लाई करेगी.

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला
भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को साल 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ये प्लाट पंचकूला के सेक्टर छह में सी-17 है.

ये प्लॉट 24 अगस्त 1982 को आवंटित किया गया था. तब चौधरी भजनलाल मुख्‍यमंत्री थे. उस समय इसे नेशनल हेराल्ड के हिंदी संस्करण नवजीवन को दिया गया था. कंपनी को इस पर छह महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था. कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई.

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30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था. इसके बाद इसे हुड्डा सरकार के दौरान 2005 में फिर से 1982 की मूल दरों पर आवंटित कर दिया गया, जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था.

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी. ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लॉट सी 17 को अटैच कर दिया. जिसका मतलब ये था कि अब इस पर कोई काम नहीं हो सकेगा.

प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चल रहा है.

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क्या है मानेसर लैंड डील केस
मानेसर लैंड डील केस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण ज्यादा सुर्खियों में रहा है. दरअसल मानेसर के तीन गांवों में किसानों को अधिग्रहण के नाम पर डराकर उनसे सस्ती दरों पर जमीन खरीदकर बाद में बिल्डरों के साथ साठगांठ कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया था.

आरोपियों ने मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों को आईएमटी के नाम पर जमीन अधिग्रहण का डर दिखाकर कुछ नेताओं के साथ मिलकर जमीन की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी की थी.

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अधिग्रहण का डर दिखाकर किसानों से जमीन लेने के लिए आरोपियों ने कुछ दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर भी किए थे. आरोपियों पर हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है.

Intro:एजेएल प्लाट आवंटन मामला, मानेसर लैंड स्कैम मामला।

आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अन्य आरोपी पहुंचे विशेष सीबीआई कोर्ट।


Body:दोनों मामले में आरोपियों पर लगाये गए चार्ज पर होगी बहस।


Conclusion:एजेएल मामले में हुडा की डिस्चार्ज को लेकर लगाई गई याचिका पर सीबीआई देग सकती है अपना रिप्लाई।
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