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पलवल में तेज हवाओं ने किसानों के तंबू उखाड़े, किसान बोले- अब भी हौसले बुलंद हैं

पलवल में किसानों के हौसले खराब मौसम के आगे भी बुलंद है. भले ही तेज हवाओं ने किसानों के तंबू उखाड़ दिए हों, लेकिन अब भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं.

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पलवल में तेज हवाओं से किसानों के तंबू उखड़े
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Published : Apr 1, 2021, 8:20 PM IST

पलवल: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. किसानों के ये हौसले खराब मौसम के आगे भी बुलंद हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला पलवल में. जहां धूल भरी हवाओं के साथ आई तेज आंधी से किसानों के धरना स्थल पर लगे टेंट उखड़ गए, बावजूद इसके तेज धूल भरी आंधी में भी किसान अपनी मांगों को लेकर धरना स्थल पर डटे रहे.

किसानों ने अपनी अगली रूपरेखा बताते हुए कहा कि जल्द ही कमेटी से बातचीत करने के बाद धरना स्थल पर एक व्यवस्थित तरीके से टीन शेड डालकर एक मजबूत व्यवस्था की जाएगी. जिससे आने वाले दिनों में धूल, मिट्टी, आंधी और तूफान का किसान आंदोलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. किसानों ने कहा कि आंधी टेंट तो उखाड़ सकती है, लेकिन उनके हौसलों को कोई भी डिगा नहीं सकता है.

पलवल में तेज हवाओं से किसानों के तंबू उखड़े

ये भी पढ़िए: किसानों के विरोध के चलते दो घंटे हिसार एयरपोर्ट पर फंसे दुष्यंत चौटाला, एयरलिफ्ट कर पहुंचाए गए लघु सचिवालय

किसान नेता राजेश बहिन ने कहा कि अगर जल्द ही सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर लिखित कानून नहीं बनाती है तो किसान अपनी फसल संसद भवन के सामने ही बेचागा. वो दिन देश के लिए काला दिन होगा.

पलवल: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. किसानों के ये हौसले खराब मौसम के आगे भी बुलंद हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला पलवल में. जहां धूल भरी हवाओं के साथ आई तेज आंधी से किसानों के धरना स्थल पर लगे टेंट उखड़ गए, बावजूद इसके तेज धूल भरी आंधी में भी किसान अपनी मांगों को लेकर धरना स्थल पर डटे रहे.

किसानों ने अपनी अगली रूपरेखा बताते हुए कहा कि जल्द ही कमेटी से बातचीत करने के बाद धरना स्थल पर एक व्यवस्थित तरीके से टीन शेड डालकर एक मजबूत व्यवस्था की जाएगी. जिससे आने वाले दिनों में धूल, मिट्टी, आंधी और तूफान का किसान आंदोलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. किसानों ने कहा कि आंधी टेंट तो उखाड़ सकती है, लेकिन उनके हौसलों को कोई भी डिगा नहीं सकता है.

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किसान नेता राजेश बहिन ने कहा कि अगर जल्द ही सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर लिखित कानून नहीं बनाती है तो किसान अपनी फसल संसद भवन के सामने ही बेचागा. वो दिन देश के लिए काला दिन होगा.

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