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100 करोड़ रुपए में उपराज्यपाल बनने की डील, लेकिन अचानक बिगड़ा खेल, जानेंगे मामला तो उड़ जाएंगे होश... - ANDAMAN NICOBAR LIEUTENANT GOVERNOR

अंडमान निकोबार के उप-राज्यपाल का पद दिलाने के लिए 100 करोड़ रुपये की सौदेबाजी का मामला सामने आया है जिससे हर कोई हैरान है.

Bargain worth Rs 100 crore to get the post of Lieutenant Governor of Andaman and Nicobar Punjab and Haryana Highcourt
File Photo (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 21, 2025, 4:32 PM IST

पंचकूला/कैथल : पैसों का लेनदेन और सौदेबाजी से तरह-तरह के फायदे लेने के मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है. मामला भी ऐसा जो बड़े सरकारी पद को लेकर है. दरअसल, अंडमान निकोबार के उप-राज्यपाल का पद दिलाने के लिए 100 करोड़ रुपये की सौदेबाजी का मामला सामने आया है. सौदे के तहत 30 करोड़ रुपये पहले दिए जाने थे, जबकि शेष रकम काम होने के बाद दी जानी थी. अब पूरे मामले को लेकर राजनीति भी हो रही है और कांग्रेस बीजेपी से सवाल पूछ रही है.

10.45 करोड़ रुपए किए हासिल: मामले में याचिकाकर्ता और आरोपी दलबीर सिंह है, जबकि दूसरा आरोपी वेंकट रमन मूर्ति नाम का शख्स है. 100 करोड़ रुपए में पूरी डील तय हुई थी. मामले के अनुसार 30 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ 45 लाख रुपये आरोपियों को मिल चुके हैं. इनमें से एक करोड़ रुपये की धनराशि आरोपी दलबीर सिंह के बैंक खाते में भेजी गई है, जबकि शेष राशि का लेनदेन नकद हुआ है. इस मामले का खुलासा उस समय हुआ जब आरोपी दलबीर सिंह ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई.

संवैधानिक पद पर सौदेबाजी से एजेंसियां हैरान: उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के लिए सौदेबाजी से पुलिस और सीआईडी जैसी एजेंसियां भी सकते में हैं. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मामला सामने आने पर उप राज्यपाल का पद दिलाने का झांसा देने के आरोपी दलबीर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं, ऐसे में जमानत देना जनता में नकारात्मक संदेश देगा. राज्यपाल और उप राज्यपाल का पद संविधान के तहत राज्यों में सर्वोच्च पद है. लेकिन दुर्भाग्यवश शिकायतकर्ता सुरेंद्र मलिक ने पैसे देकर पद मिलने के बारे में सोचा. ये इस बात का प्रतीक है कि पैसे की ताकत के दम पर सही व्यक्ति को ढूंढकर लोग अपनी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं. आरोपी दलबीर सिंह जमानत का हकदार नहीं है. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियां आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

उपराज्यपाल के लिए मांगे 100 करोड़ रुपये: शिकायत के अनुसार आरोपी दलबीर सिंह और वेंकट रमन मूर्ति ने सुरेंद्र मलिक को अंडमान-निकोबार का उप राज्यपाल नियुक्त करने के लिए 100 करोड़ रुपये मांगे थे. इनमें से 30 करोड़ रुपये पहले देने थे. आरोपी को एडवांस में 10 करोड़ 45 लाख रुपये मिल चुके थे, इनमें से एक करोड़ रुपये याचिकाकर्ता दलबीर सिंह के खाते में पहुंचे.

खाते में एक करोड़ का ट्रांसफर: याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मुख्य आरोपी दलबीर सिंह नहीं है, वेंकट रमन मूर्ति है और उसे उसके रिश्तेदार जो कि हरियाणा पुलिस का एक इंस्पेक्टर है, उसके जरिए परिचित कराया गया था. तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को केवल पैसों के लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया गया. शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता की भूमिका छोटी हो, लेकिन उसने अपने खाते में एक करोड़ रुपये प्राप्त किए, पूरे घोटाले के बारे में वो जानता था. नतीजतन वो जमानत का हकदार नहीं है.

Bargain worth Rs 100 crore to get the post of Lieutenant Governor of Andaman and Nicobar Punjab and Haryana Highcourt
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Etv Bharat)
जांच के अनुसार सुरेंद्र मलिक ने पैसे दिए:
हाईकोर्ट ने सभी स्थितियों पर विचार के बाद पाया कि तस्वीरें, वाट्सएप चैट और जांच साबित करती है कि सुरेंद्र मलिक ने पैसे दिए थे. याचिकाकर्ता के खाते में एक करोड़ रुपये ट्रांसफर होना भी इसे प्रमाणित करता है.

सुरेंद्र मलिक का 2023 में निधन: कोर्ट ने कहा कि सुरेंद्र मलिक का 9 जून 2023 को निधन हो गया लेकिन इससे धोखाधड़ी का ये मामला खत्म नहीं होता. कोर्ट ने ऐसे में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होने की बात कही और नतीजतन दलबीर की याचिका खारिज कर दी गई.

रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी को घेरा : वहीं अब इस पूरे मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. कैथल पहुंचने पर राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा पर जमकर हमला बोला. सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी जीरो टॉलरेंस का स्वांग रचती है. अब ये लोग अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल का पद भी बेच रहे हैं. सुरजेवाला ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि जब ये राज्यपाल, उप राज्यपाल और मंत्री पद पैसों में खरीद सकते हैं तो जनता के साथ न्याय कैसे कर सकते हैं. सुरजेवाला ने कहा कि ये सरकार कोई इंक्वारी करने में सक्षम नहीं है क्योंकि यहां पर जो भक्षक हैं, वही रक्षक बने बैठे हैं. ये सब भेड़िये की खाल ओढ़ कर बैठे हैं. इसलिए हाई कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी का गठन करना चाहिए जिससे पता चले की पैसा कहां-कहां तक गया है और सबकी पोल खुल सके.

उपराज्यपाल पद के लिए हो रही डील की जांच की मांग (Etv Bharat)

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पंचकूला/कैथल : पैसों का लेनदेन और सौदेबाजी से तरह-तरह के फायदे लेने के मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है. मामला भी ऐसा जो बड़े सरकारी पद को लेकर है. दरअसल, अंडमान निकोबार के उप-राज्यपाल का पद दिलाने के लिए 100 करोड़ रुपये की सौदेबाजी का मामला सामने आया है. सौदे के तहत 30 करोड़ रुपये पहले दिए जाने थे, जबकि शेष रकम काम होने के बाद दी जानी थी. अब पूरे मामले को लेकर राजनीति भी हो रही है और कांग्रेस बीजेपी से सवाल पूछ रही है.

10.45 करोड़ रुपए किए हासिल: मामले में याचिकाकर्ता और आरोपी दलबीर सिंह है, जबकि दूसरा आरोपी वेंकट रमन मूर्ति नाम का शख्स है. 100 करोड़ रुपए में पूरी डील तय हुई थी. मामले के अनुसार 30 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ 45 लाख रुपये आरोपियों को मिल चुके हैं. इनमें से एक करोड़ रुपये की धनराशि आरोपी दलबीर सिंह के बैंक खाते में भेजी गई है, जबकि शेष राशि का लेनदेन नकद हुआ है. इस मामले का खुलासा उस समय हुआ जब आरोपी दलबीर सिंह ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई.

संवैधानिक पद पर सौदेबाजी से एजेंसियां हैरान: उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के लिए सौदेबाजी से पुलिस और सीआईडी जैसी एजेंसियां भी सकते में हैं. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मामला सामने आने पर उप राज्यपाल का पद दिलाने का झांसा देने के आरोपी दलबीर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं, ऐसे में जमानत देना जनता में नकारात्मक संदेश देगा. राज्यपाल और उप राज्यपाल का पद संविधान के तहत राज्यों में सर्वोच्च पद है. लेकिन दुर्भाग्यवश शिकायतकर्ता सुरेंद्र मलिक ने पैसे देकर पद मिलने के बारे में सोचा. ये इस बात का प्रतीक है कि पैसे की ताकत के दम पर सही व्यक्ति को ढूंढकर लोग अपनी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं. आरोपी दलबीर सिंह जमानत का हकदार नहीं है. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियां आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

उपराज्यपाल के लिए मांगे 100 करोड़ रुपये: शिकायत के अनुसार आरोपी दलबीर सिंह और वेंकट रमन मूर्ति ने सुरेंद्र मलिक को अंडमान-निकोबार का उप राज्यपाल नियुक्त करने के लिए 100 करोड़ रुपये मांगे थे. इनमें से 30 करोड़ रुपये पहले देने थे. आरोपी को एडवांस में 10 करोड़ 45 लाख रुपये मिल चुके थे, इनमें से एक करोड़ रुपये याचिकाकर्ता दलबीर सिंह के खाते में पहुंचे.

खाते में एक करोड़ का ट्रांसफर: याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मुख्य आरोपी दलबीर सिंह नहीं है, वेंकट रमन मूर्ति है और उसे उसके रिश्तेदार जो कि हरियाणा पुलिस का एक इंस्पेक्टर है, उसके जरिए परिचित कराया गया था. तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को केवल पैसों के लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया गया. शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता की भूमिका छोटी हो, लेकिन उसने अपने खाते में एक करोड़ रुपये प्राप्त किए, पूरे घोटाले के बारे में वो जानता था. नतीजतन वो जमानत का हकदार नहीं है.

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जांच के अनुसार सुरेंद्र मलिक ने पैसे दिए: हाईकोर्ट ने सभी स्थितियों पर विचार के बाद पाया कि तस्वीरें, वाट्सएप चैट और जांच साबित करती है कि सुरेंद्र मलिक ने पैसे दिए थे. याचिकाकर्ता के खाते में एक करोड़ रुपये ट्रांसफर होना भी इसे प्रमाणित करता है.

सुरेंद्र मलिक का 2023 में निधन: कोर्ट ने कहा कि सुरेंद्र मलिक का 9 जून 2023 को निधन हो गया लेकिन इससे धोखाधड़ी का ये मामला खत्म नहीं होता. कोर्ट ने ऐसे में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होने की बात कही और नतीजतन दलबीर की याचिका खारिज कर दी गई.

रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी को घेरा : वहीं अब इस पूरे मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. कैथल पहुंचने पर राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा पर जमकर हमला बोला. सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी जीरो टॉलरेंस का स्वांग रचती है. अब ये लोग अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल का पद भी बेच रहे हैं. सुरजेवाला ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि जब ये राज्यपाल, उप राज्यपाल और मंत्री पद पैसों में खरीद सकते हैं तो जनता के साथ न्याय कैसे कर सकते हैं. सुरजेवाला ने कहा कि ये सरकार कोई इंक्वारी करने में सक्षम नहीं है क्योंकि यहां पर जो भक्षक हैं, वही रक्षक बने बैठे हैं. ये सब भेड़िये की खाल ओढ़ कर बैठे हैं. इसलिए हाई कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी का गठन करना चाहिए जिससे पता चले की पैसा कहां-कहां तक गया है और सबकी पोल खुल सके.

उपराज्यपाल पद के लिए हो रही डील की जांच की मांग (Etv Bharat)

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