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धान-मक्का कट गये लेकिन धान छोड़ने वाले किसानों को नहीं मिला 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का पैसा

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Published : Feb 11, 2021, 4:17 PM IST

करनाल जिले से लगभग 850 किसानों ने फसल विविधीकरण का विकल्प चुना था. पिछले साल सितंबर से करीब एक करोड़ रुपये करनाल जिले के किसानों के बकाया हैं. रजिस्ट्रेशन करते समय उन्हें पहली किश्त 2000 रुपये मिल गई, लेकिन दूसरी किश्त के 5 हजार प्रति एकड़ के पैसे नहीं मिले.

palwal farmers no money mera pani meri virasat scheme
धान छोड़ने वाले किसानों को नहीं मिला 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का पैसा

पलवल: हरियाणा के ड्राई जोन में धान की खेती बंद करने और गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए सरकार ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना चलाई है. इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर वैकल्पिक फसल लगाने वाले किसानों को सरकार ने 7 हजार रुपये प्रति एकड़ पैसा देने का फैसला किया, लेकिन धान की फसल निकल गई. उसकी जगह मक्का की फसल भी कट चुकी है, लेकिन किसानों को अभी तक इस योजना का पूरा पैसा नहीं मिला है. सरकार की लेटलतीफी के चलते किसान निराश हैं. कह रहे हैं हमने फसल भी नहीं लगाई और पैसा भी नहीं मिल रहा है.

पदाना गांव के किसान विकास ने कहा कि मैंने सरकार की योजना 'मेरा पानी मेरी विरासत' के तहत धान की खेती छोड़कर मक्का लगाया था और नियम अनुसार उसका रजिस्ट्रेशन भी कराया था, लेकिन मुझे तो एक भी किश्त विभाग के द्वारा नहीं दी गई, जबकि ऐसे कई किसान हैं जिन्हें योजना की पहली किश्त मिल चुकी है.

धान-मक्का कट गये लेकिन धान छोड़ने वाले किसानों को नहीं मिला 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का पैसा

विकास ने बताया कि उन्होंने विभाग के दफ्तर जाकर कई बार इस बारे में अधिकारियों से पूछा. इस पर अधिकारियों ने कहा उनकी ओर से एस्टीमेट बनाकर सरकार को भेजा जा चुका है और जल्दी ही किश्त प्राप्त हो जाएगी, लेकिन वो दिन पता नहीं कब आएगा जब किसानों को उनके मक्के की किश्त प्राप्त होगी.

किसानों को दूसरी किश्त का इंतजार

वही जब दूसरे किसान कृष्ण दादू से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर 3 एकड़ में मक्का लगाया था. उस समय वैरिफिकेशन करके पहली किश्त मुझे दो-दो हजार के कुल 6 हजार रुपये दे दिए गए थे, लेकिन अपने तीनों एकड़ मक्के के लिए 15 हजार रुपये सरकार के पास अभी भी मेरा बकाया है.

850 किसानों ने चुना था फसल विविधीकरण का विकल्प

बता दें कि करनाल जिले से लगभग 850 किसानों ने फसल विविधीकरण का विकल्प चुना था. पिछले साल सितंबर से करीब एक करोड़ रुपये करनाल जिले के किसानों के बकाया हैं. रजिस्ट्रेशन करते समय उन्हें पहली किश्त 2000 रुपये मिल गई, लेकिन दूसरी किश्त के 5 हजार प्रति एकड़ के पैसे नहीं मिले.

palwal farmers no money mera pani meri virasat scheme
जानिए 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना के बारे में

क्या कहना है अधिकारियों का?

जब इस बारे में करनाल के कृषि उपनिदेशक आदित्य प्रताप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसानों की पहली किश्त पिछले साल सितंबर में उनके खाते में डाल दी गई थी, बाकी दूसरी किश्त आने का इंतजार विभाग को भी है. हमने एस्टीमेट बनाकर ऊपर भेजा है, जल्द ही बाकी किश्त भी किसानों के खाते में डाल दी जाएग.

ये भी पढ़िए: मैनुअल तरीके से होता है सीवर का 80 प्रतिशत काम, कर्मचारियों के पास नहीं सेफ्टी उपकरण

हरियाणा के कई जिलों में जल स्तर रेड जोन में जा चुका है. धान की खेती में बहुत ज्यादा पानी की खपत होती है. दिनभर चल रहे ट्यूबवेल धरती का पानी सोख रहे हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने किसानों को मक्का जैसी वैकल्पिक खेती अपनाने का आहवान किया. और प्रति एकड़ 7 हजार रुपये देने का फैसाल किया. लेकिन सरकारी विभागों का ढीला रवैय्या किसानों के लिए भारी पड़ रहा है.

पलवल: हरियाणा के ड्राई जोन में धान की खेती बंद करने और गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए सरकार ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना चलाई है. इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर वैकल्पिक फसल लगाने वाले किसानों को सरकार ने 7 हजार रुपये प्रति एकड़ पैसा देने का फैसला किया, लेकिन धान की फसल निकल गई. उसकी जगह मक्का की फसल भी कट चुकी है, लेकिन किसानों को अभी तक इस योजना का पूरा पैसा नहीं मिला है. सरकार की लेटलतीफी के चलते किसान निराश हैं. कह रहे हैं हमने फसल भी नहीं लगाई और पैसा भी नहीं मिल रहा है.

पदाना गांव के किसान विकास ने कहा कि मैंने सरकार की योजना 'मेरा पानी मेरी विरासत' के तहत धान की खेती छोड़कर मक्का लगाया था और नियम अनुसार उसका रजिस्ट्रेशन भी कराया था, लेकिन मुझे तो एक भी किश्त विभाग के द्वारा नहीं दी गई, जबकि ऐसे कई किसान हैं जिन्हें योजना की पहली किश्त मिल चुकी है.

धान-मक्का कट गये लेकिन धान छोड़ने वाले किसानों को नहीं मिला 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का पैसा

विकास ने बताया कि उन्होंने विभाग के दफ्तर जाकर कई बार इस बारे में अधिकारियों से पूछा. इस पर अधिकारियों ने कहा उनकी ओर से एस्टीमेट बनाकर सरकार को भेजा जा चुका है और जल्दी ही किश्त प्राप्त हो जाएगी, लेकिन वो दिन पता नहीं कब आएगा जब किसानों को उनके मक्के की किश्त प्राप्त होगी.

किसानों को दूसरी किश्त का इंतजार

वही जब दूसरे किसान कृष्ण दादू से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर 3 एकड़ में मक्का लगाया था. उस समय वैरिफिकेशन करके पहली किश्त मुझे दो-दो हजार के कुल 6 हजार रुपये दे दिए गए थे, लेकिन अपने तीनों एकड़ मक्के के लिए 15 हजार रुपये सरकार के पास अभी भी मेरा बकाया है.

850 किसानों ने चुना था फसल विविधीकरण का विकल्प

बता दें कि करनाल जिले से लगभग 850 किसानों ने फसल विविधीकरण का विकल्प चुना था. पिछले साल सितंबर से करीब एक करोड़ रुपये करनाल जिले के किसानों के बकाया हैं. रजिस्ट्रेशन करते समय उन्हें पहली किश्त 2000 रुपये मिल गई, लेकिन दूसरी किश्त के 5 हजार प्रति एकड़ के पैसे नहीं मिले.

palwal farmers no money mera pani meri virasat scheme
जानिए 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना के बारे में

क्या कहना है अधिकारियों का?

जब इस बारे में करनाल के कृषि उपनिदेशक आदित्य प्रताप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसानों की पहली किश्त पिछले साल सितंबर में उनके खाते में डाल दी गई थी, बाकी दूसरी किश्त आने का इंतजार विभाग को भी है. हमने एस्टीमेट बनाकर ऊपर भेजा है, जल्द ही बाकी किश्त भी किसानों के खाते में डाल दी जाएग.

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हरियाणा के कई जिलों में जल स्तर रेड जोन में जा चुका है. धान की खेती में बहुत ज्यादा पानी की खपत होती है. दिनभर चल रहे ट्यूबवेल धरती का पानी सोख रहे हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने किसानों को मक्का जैसी वैकल्पिक खेती अपनाने का आहवान किया. और प्रति एकड़ 7 हजार रुपये देने का फैसाल किया. लेकिन सरकारी विभागों का ढीला रवैय्या किसानों के लिए भारी पड़ रहा है.

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