पलवल: सरकार की वादाखिलाफी के चलते कोरोना योद्धा धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली आशा वर्करों की 7 अगस्त से हड़ताल चल रही है. आशा वर्करों का कहना है की ये हड़ताल 13 अगस्त तक चलेगी अगर तब भी मांगें नहीं मानी गई तो अगले आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी.
स्वास्थ्य विभाग के जिला मुख्यालय के सामने धरने पर बैठी आशा वर्करों का कहना है कि सरकार ने उनकी आठ सेवाओं पर इंसेंटिव देना बंद कर दिया है जिसकी वजह से उनकी मासिक आमदनी में काफी कमी आ गई है. साथ ही साथ प्रदेश सरकार के साथ वर्ष 2018 में एक समझौता हुआ था जिसे सरकार ने अभी तक भी लागू नहीं किया है.
इन सेवाओं पर बंद हुआ है इंसेंटिव
आशा वर्कर यूनियन की खंड प्रधान सरोज बाला का कहना है कि बीते वर्ष तक उन्हें डीएनसी, एएनसी, डेथ बर्थ सर्टिफिकेट, हाउसहोल्ड सर्वे, ईसी कपल, बीएचएमसी आदि सर्विस पर 50% इंसेंटिव मिलता था जिसे बंद कर दिया गया है. हमारी मांग है कि सरकार इन 8 सेवाओं पर इंसेंटिव को दोबारा शुरू करे और वर्ष 2018 में हुए समझौते को तुरंत लागू करे.
उन्होंने बताया की जो 1000 रुपये मिलते थे वो भी कोविड-19 के चलते बंद कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा की सरकार ने हमें स्मार्ट फोन देने का वादा किया वो भी नहीं दिया गया. आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रशान रामरती ने कहा की अगर 13 तारीख तक सरकार ने समस्याओं का समाधान नहीं किया तो आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा.
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