नूंह: सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है. जनवरी 2007 में तत्कालीन वित्तमंत्री ने उप तहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की घोषणा की थी लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका, ना ही उप तहसील का दर्जा बढाया गया.
क्षेत्र की जनता का कहना है कि नगीना उप तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया गया है. इलाके में 59 गांव आते हैं. जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब-तहसील कार्यालय चल रहा है अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है. नायब तहसीलदार एक महिला है जो कई-कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती.
लोगों का सवाल है कि 1993 में बनी उप तहसील का दर्जा ढ़ाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उप तहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया है. चुनाव के समय नेता तहसील बनवाने के नाम पर वोट मांग ले जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद कोई झांकता तक नहीं है. एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक तो लाजिमी है कि फिर से नेता यहां आकर ऐसे ही वादे करेंगे. अब देखना ये होगा कि तहसील बनाने का वादा कोई पूरा करेगा या फिर जनता ऐसे ही बेवकूफ बनती रहेगी.