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कई दशक बाद भी नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा, 16 किमी दूर जाने को मजबूर ग्रामीण

नूंह जिले की नगीना उप तहसील में उपखजाना कार्यालय नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को राजस्व संबंधी कई कामों के लिए लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित फिरोजपुर झिरका शहर के चक्कर काटने पड़ते हैं.

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Published : Jun 26, 2019, 7:50 PM IST

nagina sub tehsil

नूंह: सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है. जनवरी 2007 में तत्कालीन वित्तमंत्री ने उप तहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की घोषणा की थी लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका, ना ही उप तहसील का दर्जा बढाया गया.

कई दशक बाद भी नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा, 16 किमी दूर जाने को मजबूर ग्रामीण, देंखे वीडियो.

क्षेत्र की जनता का कहना है कि नगीना उप तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया गया है. इलाके में 59 गांव आते हैं. जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब-तहसील कार्यालय चल रहा है अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है. नायब तहसीलदार एक महिला है जो कई-कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती.

लोगों का सवाल है कि 1993 में बनी उप तहसील का दर्जा ढ़ाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उप तहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया है. चुनाव के समय नेता तहसील बनवाने के नाम पर वोट मांग ले जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद कोई झांकता तक नहीं है. एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक तो लाजिमी है कि फिर से नेता यहां आकर ऐसे ही वादे करेंगे. अब देखना ये होगा कि तहसील बनाने का वादा कोई पूरा करेगा या फिर जनता ऐसे ही बेवकूफ बनती रहेगी.

नूंह: सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है. जनवरी 2007 में तत्कालीन वित्तमंत्री ने उप तहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की घोषणा की थी लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका, ना ही उप तहसील का दर्जा बढाया गया.

कई दशक बाद भी नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा, 16 किमी दूर जाने को मजबूर ग्रामीण, देंखे वीडियो.

क्षेत्र की जनता का कहना है कि नगीना उप तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया गया है. इलाके में 59 गांव आते हैं. जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब-तहसील कार्यालय चल रहा है अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है. नायब तहसीलदार एक महिला है जो कई-कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती.

लोगों का सवाल है कि 1993 में बनी उप तहसील का दर्जा ढ़ाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उप तहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया है. चुनाव के समय नेता तहसील बनवाने के नाम पर वोट मांग ले जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद कोई झांकता तक नहीं है. एक बार फिर विधानसभा चुनाव नजदीक तो लाजिमी है कि फिर से नेता यहां आकर ऐसे ही वादे करेंगे. अब देखना ये होगा कि तहसील बनाने का वादा कोई पूरा करेगा या फिर जनता ऐसे ही बेवकूफ बनती रहेगी.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- कई दशक बाद भी सब तहसील नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा
नूंह जिले की नगीना उपतहसील में उपखजाना कार्यालय नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को राजस्व संबंधी कई कामों के लिए लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित फिरोजपुर झिरका शहर के चक्कर काटने पड़ते हैं। सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है। वर्ष 2007 की 27 जनवरी को तत्कालीन वित्तमंत्री चौधरी वीरेन्द्रसिंह ने नगीना कालेज में आयोजित एक समारोह में एक अप्रैल 2007 से उपतहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की मंजूरी की घोषणा करके खूब वाहवाही लूटी थी । लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका ,ना ही उपतहसील का दर्जा बढाया गया । क्षेत्र की जनता का कहना है कि 2007 के बाद से ही क्षेत्रवासी प्रदेश के मंत्रीमंडल की हर बैठक के निर्णयों का बडी उत्सुकता के साथ इंतजार करते आए हैं , लेकिन हर बैठक के बाद मायूसी ही हाथ लगती आई है। सूबे में कई पार्टियों की सरकार बनी , लेकिन नगीना सब तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया। इलाके में 59 गांव आते हैं। जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब तहसील कार्यालय चल रहा है। अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है। जर्जर भवन को गिरा दी गई है , इसलिए अस्थाई तौर पर बीडीपीओ कार्यालय नगीना परिसर में सब तहसील कार्यालय चल रहा है। नायब तहसीलदार एक महिला है , जो कई - कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती।
क्या कहतें है कि यहां के लोग: कवि प्रधान इलियास , उसमान दुर्रानी , शहीद अहमद नंबरदार , सुमित इत्यादि लोगों का कहना है कि चुनाव में नेता लोग भी उपतहसील कार्यालय में उपखजाना कार्यालय खुलवाने का झांसा देकर लोगों की वोट बटोरते रहे हैं, लेकिन खजाना कार्यालय खुलवाना अब तक भी एक बडी चुनौती बना रहा है । वर्तमान सत्ताधारी दल के नेताओं को लोगों के सवाल का जवाब देना बगले झांकने को मजबूर कर सकता है क्योंकि 1993 में बनी उपतहसील का दर्जा ढाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका ? जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उपतहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया। फ़िलहाल सूबे में चुनावी सीजन है , ऐसे में मनोहर सरकार मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह में बड़े मुस्लिम नेताओं को पाले में लाकर मतदाताओं को लुभाने के लिए कई बड़ी घोषणा कर सकती है।
बाइट;- कवि प्रधान मोहमद इलियास समाजसेवी
बाइट;- सुमित स्थानीय निवासी
बाइट;- शहीद अहमद नंबरदार खानपुर घाटी
बाइट;- उसमान खान दुर्रानी पूर्व पंचायत समिति उपाध्यक्ष नगीना
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- कई दशक बाद भी सब तहसील नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा
नूंह जिले की नगीना उपतहसील में उपखजाना कार्यालय नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को राजस्व संबंधी कई कामों के लिए लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित फिरोजपुर झिरका शहर के चक्कर काटने पड़ते हैं। सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है। वर्ष 2007 की 27 जनवरी को तत्कालीन वित्तमंत्री चौधरी वीरेन्द्रसिंह ने नगीना कालेज में आयोजित एक समारोह में एक अप्रैल 2007 से उपतहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की मंजूरी की घोषणा करके खूब वाहवाही लूटी थी । लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका ,ना ही उपतहसील का दर्जा बढाया गया । क्षेत्र की जनता का कहना है कि 2007 के बाद से ही क्षेत्रवासी प्रदेश के मंत्रीमंडल की हर बैठक के निर्णयों का बडी उत्सुकता के साथ इंतजार करते आए हैं , लेकिन हर बैठक के बाद मायूसी ही हाथ लगती आई है। सूबे में कई पार्टियों की सरकार बनी , लेकिन नगीना सब तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया। इलाके में 59 गांव आते हैं। जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब तहसील कार्यालय चल रहा है। अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है। जर्जर भवन को गिरा दी गई है , इसलिए अस्थाई तौर पर बीडीपीओ कार्यालय नगीना परिसर में सब तहसील कार्यालय चल रहा है। नायब तहसीलदार एक महिला है , जो कई - कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती।
क्या कहतें है कि यहां के लोग: कवि प्रधान इलियास , उसमान दुर्रानी , शहीद अहमद नंबरदार , सुमित इत्यादि लोगों का कहना है कि चुनाव में नेता लोग भी उपतहसील कार्यालय में उपखजाना कार्यालय खुलवाने का झांसा देकर लोगों की वोट बटोरते रहे हैं, लेकिन खजाना कार्यालय खुलवाना अब तक भी एक बडी चुनौती बना रहा है । वर्तमान सत्ताधारी दल के नेताओं को लोगों के सवाल का जवाब देना बगले झांकने को मजबूर कर सकता है क्योंकि 1993 में बनी उपतहसील का दर्जा ढाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका ? जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उपतहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया। फ़िलहाल सूबे में चुनावी सीजन है , ऐसे में मनोहर सरकार मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह में बड़े मुस्लिम नेताओं को पाले में लाकर मतदाताओं को लुभाने के लिए कई बड़ी घोषणा कर सकती है।
बाइट;- कवि प्रधान मोहमद इलियास समाजसेवी
बाइट;- सुमित स्थानीय निवासी
बाइट;- शहीद अहमद नंबरदार खानपुर घाटी
बाइट;- उसमान खान दुर्रानी पूर्व पंचायत समिति उपाध्यक्ष नगीना
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- कई दशक बाद भी सब तहसील नगीना को नहीं मिला तहसील का दर्जा
नूंह जिले की नगीना उपतहसील में उपखजाना कार्यालय नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को राजस्व संबंधी कई कामों के लिए लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित फिरोजपुर झिरका शहर के चक्कर काटने पड़ते हैं। सरकारी कर्मचारियों को भी वेतन व पेंशन संबंधी कामों के लिए फिरोजपुर झिरका की ट्रेजरी से जुड़ी भारतीय स्टेट बैंक शाखा जाना पड़ता है। वर्ष 2007 की 27 जनवरी को तत्कालीन वित्तमंत्री चौधरी वीरेन्द्रसिंह ने नगीना कालेज में आयोजित एक समारोह में एक अप्रैल 2007 से उपतहसील का दर्जा बढ़ाने व उपखजाना कार्यालय की मंजूरी की घोषणा करके खूब वाहवाही लूटी थी । लेकिन कई साल बाद भी यहां उपखजाना कार्यालय अस्तित्व में नहीं आ सका ,ना ही उपतहसील का दर्जा बढाया गया । क्षेत्र की जनता का कहना है कि 2007 के बाद से ही क्षेत्रवासी प्रदेश के मंत्रीमंडल की हर बैठक के निर्णयों का बडी उत्सुकता के साथ इंतजार करते आए हैं , लेकिन हर बैठक के बाद मायूसी ही हाथ लगती आई है। सूबे में कई पार्टियों की सरकार बनी , लेकिन नगीना सब तहसील को आज तक तहसील का दर्जा किसी ने नहीं दिया। इलाके में 59 गांव आते हैं। जिस हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी भवन में कई दशक से सब तहसील कार्यालय चल रहा है। अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है। जर्जर भवन को गिरा दी गई है , इसलिए अस्थाई तौर पर बीडीपीओ कार्यालय नगीना परिसर में सब तहसील कार्यालय चल रहा है। नायब तहसीलदार एक महिला है , जो कई - कई दिन तक कार्यालय में उपस्थित नहीं रहती।
क्या कहतें है कि यहां के लोग: कवि प्रधान इलियास , उसमान दुर्रानी , शहीद अहमद नंबरदार , सुमित इत्यादि लोगों का कहना है कि चुनाव में नेता लोग भी उपतहसील कार्यालय में उपखजाना कार्यालय खुलवाने का झांसा देकर लोगों की वोट बटोरते रहे हैं, लेकिन खजाना कार्यालय खुलवाना अब तक भी एक बडी चुनौती बना रहा है । वर्तमान सत्ताधारी दल के नेताओं को लोगों के सवाल का जवाब देना बगले झांकने को मजबूर कर सकता है क्योंकि 1993 में बनी उपतहसील का दर्जा ढाई दशक बाद भी क्यों नहीं बढ़ाया जा सका ? जबकि उसके बाद अस्तित्त्व में आई प्रदेश की कई अन्य उपतहसीलों का दर्जा कब का बढ़ा दिया गया। फ़िलहाल सूबे में चुनावी सीजन है , ऐसे में मनोहर सरकार मुस्लिम बाहुल्य जिला नूंह में बड़े मुस्लिम नेताओं को पाले में लाकर मतदाताओं को लुभाने के लिए कई बड़ी घोषणा कर सकती है।
बाइट;- कवि प्रधान मोहमद इलियास समाजसेवी
बाइट;- सुमित स्थानीय निवासी
बाइट;- शहीद अहमद नंबरदार खानपुर घाटी
बाइट;- उसमान खान दुर्रानी पूर्व पंचायत समिति उपाध्यक्ष नगीना
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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