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अब गलघोटू-बांग से नहीं जाएगी मवेशियों की जान, जानिये विभाग ने क्या कदम उठाये - top news

बांग-गलघोटू से लड़ने के लिए पशुपालन विभाग ने अब तेजी से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. विभाग ने तय किया है कि अब हरियाणा में गाय-भैंस को लगवाने के लिए टीके मिलाकर लगाए जाएंगे. साथ ही टीके लगाने के लिए पोलियो अभियान की तर्ज पर विभाग किसानों के घर जाकर मवेशियों का टीकाकरण करेगा.

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Published : May 8, 2019, 8:27 PM IST

नूंह: देश-प्रदेश में बांग-गलघोटू से किसी मवेशी की अब जान नहीं जाएगी. पशुपालन विभाग ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए हरियाणा में इंजेक्शन मिलाकर पहली बार लगाने का प्रयोग शुरू कर दिया है. आने वाली 19 मई तक ये टीके घर-घर जाकर पशुपालन विभाग की टीम लगाएगी. अब तक पिछले 29 अप्रैल से 7 मई तक 91,260 टीके लगाए जा चुके हैं. विभाग ने 2 लाख 33 हजार टीके नूंह जिले की गाय-भैंसों को लगाने के लिए मंगवाए हैं.

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये टीके 7 माह की ग्याभन मवेशी के साथ-साथ 4 माह से छोटे बछिया, कटड़ा, कटड़ी इत्यादि को नहीं लगवाए जा रहे हैं. शुरुआत से 20 दिन के दौरान लाखों पशुओं को ये टीके लगाए जाएंगे.

डॉ. नरेंद्र सिंह, उप निदेशक पशुपालन विभाग

उप निदेशक ने बताया कि पहले बांग-गलघोटू के टीके अलग-अलग लगते थे, लेकिन पहली बार दोनों बिमारियों के लिए मिलाकर टीके लगाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत हरियाणा से हुई है. डॉक्टर नरेंदर सिंह ने बताया कि अगर कोई पशु टीके लगने से बच जाता है तो नजदीकी अस्पताल में जाकर टीके लगवाए जा सकते हैं.

विभाग के मुताबिक गलघोटू-बांग की बीमारी से पशु न केवल दूध कम देने लगता था बल्कि पशुओं की मौत भी इन दोनों बिमारियों की वजह से हो जाती थी. उप निदेशक नरेंद्र सिंह ने बताया कि गलघोटू-बांग की बीमारी के टीके को 2-8 डिग्री तापमान में रखा जाता है. गांवों में भी टीमें आइस बॉक्स में टीके लेकर चलती है.

डॉ. नरेंद्र सिंह ने लोगों से अपील है कि इस टीके करण अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग करें. ताकि पशुओं की जानलेवा बीमारी से पोलियो की तरह जंग लड़ी जा सके. उप निदेशक ने बताया कि टीकाकरण के साथ-साथ पशुओं की गिनती का कार्य भी किया जा रहा है. जो लगभग 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है.

आपको बता दें कि गलघोटू-बांग की बीमारी से किसानों को पशुओं की मौत से अच्छी खासी हानि होती थी. अगर पशु की जान बच जाती थी तो दूध की मात्रा बेहद कम हो जाने के कारण किसान की आर्थिक स्थिति पर उसका असर पड़ता था.

नूंह: देश-प्रदेश में बांग-गलघोटू से किसी मवेशी की अब जान नहीं जाएगी. पशुपालन विभाग ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए हरियाणा में इंजेक्शन मिलाकर पहली बार लगाने का प्रयोग शुरू कर दिया है. आने वाली 19 मई तक ये टीके घर-घर जाकर पशुपालन विभाग की टीम लगाएगी. अब तक पिछले 29 अप्रैल से 7 मई तक 91,260 टीके लगाए जा चुके हैं. विभाग ने 2 लाख 33 हजार टीके नूंह जिले की गाय-भैंसों को लगाने के लिए मंगवाए हैं.

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये टीके 7 माह की ग्याभन मवेशी के साथ-साथ 4 माह से छोटे बछिया, कटड़ा, कटड़ी इत्यादि को नहीं लगवाए जा रहे हैं. शुरुआत से 20 दिन के दौरान लाखों पशुओं को ये टीके लगाए जाएंगे.

डॉ. नरेंद्र सिंह, उप निदेशक पशुपालन विभाग

उप निदेशक ने बताया कि पहले बांग-गलघोटू के टीके अलग-अलग लगते थे, लेकिन पहली बार दोनों बिमारियों के लिए मिलाकर टीके लगाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत हरियाणा से हुई है. डॉक्टर नरेंदर सिंह ने बताया कि अगर कोई पशु टीके लगने से बच जाता है तो नजदीकी अस्पताल में जाकर टीके लगवाए जा सकते हैं.

विभाग के मुताबिक गलघोटू-बांग की बीमारी से पशु न केवल दूध कम देने लगता था बल्कि पशुओं की मौत भी इन दोनों बिमारियों की वजह से हो जाती थी. उप निदेशक नरेंद्र सिंह ने बताया कि गलघोटू-बांग की बीमारी के टीके को 2-8 डिग्री तापमान में रखा जाता है. गांवों में भी टीमें आइस बॉक्स में टीके लेकर चलती है.

डॉ. नरेंद्र सिंह ने लोगों से अपील है कि इस टीके करण अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग करें. ताकि पशुओं की जानलेवा बीमारी से पोलियो की तरह जंग लड़ी जा सके. उप निदेशक ने बताया कि टीकाकरण के साथ-साथ पशुओं की गिनती का कार्य भी किया जा रहा है. जो लगभग 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है.

आपको बता दें कि गलघोटू-बांग की बीमारी से किसानों को पशुओं की मौत से अच्छी खासी हानि होती थी. अगर पशु की जान बच जाती थी तो दूध की मात्रा बेहद कम हो जाने के कारण किसान की आर्थिक स्थिति पर उसका असर पड़ता था.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी :- अब गलघोटू , बांग से नहीं जाएगी मवेशियों की जान
देश - प्रदेश में बांग - गलघोटू से किसी मवेशी की जान नहीं जाएगी। पशुपालन विभाग ने इस दिशा में इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए हरियाणा में इंजेक्शन मिलाकर पहली बार लगाने का प्रयोग शुरू हो चुका है। आगामी 19 मई तक ये टीके घर - घर जाकर पशुपालन विभाग की टीम लगाएगी। अब तक पिछले 29 अप्रैल से गत 7 मई तक 91260 टीके लगाए जा चुके हैं। विभाग ने 2 लाख 33 हजार टीके नूंह जिले गाय - भैंस को लगाने के लिए मंगवाए हैं।
पशु पालन विभाग उप निदेशक डॉक्टर नरेंदर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये टीके 7 माह की ग्याभन मवेशी के साथ - साथ 4 माह से छोटे बछिया , कटड़ा , कटड़ी इत्यादि को ये टिके नहीं लगवाए जा रहे हैं। शुरुआत से 20 दिन के दौरान लाखों पशुओं को ये टीके लगाए जाएंगे। उप निदेशक ने बताया कि पहले बांग - गलघोटू के टीके अलग -अलग लगते थे , लेकिन पहली बार दोनों बिमारियों करने टीके लगाए जा रहे हैं , इसकी शुरुआत हरियाणा से हुई है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने बताया कि अगर कोई पशु टीके लगने से बच जाता है , तो नजदीकी अस्पताल में जाकर टीके लगवाए जा सकते हैं। विभाग के मुताबिक गलघोटू - बांग की बीमारी से पशु न केवल दूध कम देने लगता था बल्कि पशुओं की मौत भी इन दोनों बिमारियों की वजह से हो जाती थी। उप निदेशक नरेंदर सिंह ने बताया कि गलघोटू - बांग की बीमारी के टीके को 2 -8 डिग्री तापमान में रखा जाता है। गांवों में भी टीमें आइस बॉक्स में टीके लेकर चलती है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने लोगों से अपील है कि इस टीके करण अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग करें , ताकि पशुओं की जानलेवा बीमारी से पोलियो की तरह जंग लड़ी जा सके। उप निदेशक ने बताया कि टीकाकरण के साथ - साथ पशुओं की गिनती का कार्य भी किया जा रहा है , जो लगभग 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है। आपको बता दें कि गलघोटू - बांग की बीमारी से किसानों को पशुओं की मौत से अच्छी खासी हानि होती थी , अगर पशु की जान बच जाती थी , तो दूध की मात्रा बेहद कम हो जाने के कारण किसान की आर्थिक स्थिति पर उसका असर पड़ता था।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी :- अब गलघोटू , बांग से नहीं जाएगी मवेशियों की जान
देश - प्रदेश में बांग - गलघोटू से किसी मवेशी की जान नहीं जाएगी। पशुपालन विभाग ने इस दिशा में इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए हरियाणा में इंजेक्शन मिलाकर पहली बार लगाने का प्रयोग शुरू हो चुका है। आगामी 19 मई तक ये टीके घर - घर जाकर पशुपालन विभाग की टीम लगाएगी। अब तक पिछले 29 अप्रैल से गत 7 मई तक 91260 टीके लगाए जा चुके हैं। विभाग ने 2 लाख 33 हजार टीके नूंह जिले गाय - भैंस को लगाने के लिए मंगवाए हैं।
पशु पालन विभाग उप निदेशक डॉक्टर नरेंदर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये टीके 7 माह की ग्याभन मवेशी के साथ - साथ 4 माह से छोटे बछिया , कटड़ा , कटड़ी इत्यादि को ये टिके नहीं लगवाए जा रहे हैं। शुरुआत से 20 दिन के दौरान लाखों पशुओं को ये टीके लगाए जाएंगे। उप निदेशक ने बताया कि पहले बांग - गलघोटू के टीके अलग -अलग लगते थे , लेकिन पहली बार दोनों बिमारियों करने टीके लगाए जा रहे हैं , इसकी शुरुआत हरियाणा से हुई है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने बताया कि अगर कोई पशु टीके लगने से बच जाता है , तो नजदीकी अस्पताल में जाकर टीके लगवाए जा सकते हैं। विभाग के मुताबिक गलघोटू - बांग की बीमारी से पशु न केवल दूध कम देने लगता था बल्कि पशुओं की मौत भी इन दोनों बिमारियों की वजह से हो जाती थी। उप निदेशक नरेंदर सिंह ने बताया कि गलघोटू - बांग की बीमारी के टीके को 2 -8 डिग्री तापमान में रखा जाता है। गांवों में भी टीमें आइस बॉक्स में टीके लेकर चलती है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने लोगों से अपील है कि इस टीके करण अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग करें , ताकि पशुओं की जानलेवा बीमारी से पोलियो की तरह जंग लड़ी जा सके। उप निदेशक ने बताया कि टीकाकरण के साथ - साथ पशुओं की गिनती का कार्य भी किया जा रहा है , जो लगभग 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है। आपको बता दें कि गलघोटू - बांग की बीमारी से किसानों को पशुओं की मौत से अच्छी खासी हानि होती थी , अगर पशु की जान बच जाती थी , तो दूध की मात्रा बेहद कम हो जाने के कारण किसान की आर्थिक स्थिति पर उसका असर पड़ता था।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी :- अब गलघोटू , बांग से नहीं जाएगी मवेशियों की जान
देश - प्रदेश में बांग - गलघोटू से किसी मवेशी की जान नहीं जाएगी। पशुपालन विभाग ने इस दिशा में इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए हरियाणा में इंजेक्शन मिलाकर पहली बार लगाने का प्रयोग शुरू हो चुका है। आगामी 19 मई तक ये टीके घर - घर जाकर पशुपालन विभाग की टीम लगाएगी। अब तक पिछले 29 अप्रैल से गत 7 मई तक 91260 टीके लगाए जा चुके हैं। विभाग ने 2 लाख 33 हजार टीके नूंह जिले गाय - भैंस को लगाने के लिए मंगवाए हैं।
पशु पालन विभाग उप निदेशक डॉक्टर नरेंदर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ये टीके 7 माह की ग्याभन मवेशी के साथ - साथ 4 माह से छोटे बछिया , कटड़ा , कटड़ी इत्यादि को ये टिके नहीं लगवाए जा रहे हैं। शुरुआत से 20 दिन के दौरान लाखों पशुओं को ये टीके लगाए जाएंगे। उप निदेशक ने बताया कि पहले बांग - गलघोटू के टीके अलग -अलग लगते थे , लेकिन पहली बार दोनों बिमारियों करने टीके लगाए जा रहे हैं , इसकी शुरुआत हरियाणा से हुई है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने बताया कि अगर कोई पशु टीके लगने से बच जाता है , तो नजदीकी अस्पताल में जाकर टीके लगवाए जा सकते हैं। विभाग के मुताबिक गलघोटू - बांग की बीमारी से पशु न केवल दूध कम देने लगता था बल्कि पशुओं की मौत भी इन दोनों बिमारियों की वजह से हो जाती थी। उप निदेशक नरेंदर सिंह ने बताया कि गलघोटू - बांग की बीमारी के टीके को 2 -8 डिग्री तापमान में रखा जाता है। गांवों में भी टीमें आइस बॉक्स में टीके लेकर चलती है। डॉक्टर नरेंदर सिंह ने लोगों से अपील है कि इस टीके करण अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग करें , ताकि पशुओं की जानलेवा बीमारी से पोलियो की तरह जंग लड़ी जा सके। उप निदेशक ने बताया कि टीकाकरण के साथ - साथ पशुओं की गिनती का कार्य भी किया जा रहा है , जो लगभग 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है। आपको बता दें कि गलघोटू - बांग की बीमारी से किसानों को पशुओं की मौत से अच्छी खासी हानि होती थी , अगर पशु की जान बच जाती थी , तो दूध की मात्रा बेहद कम हो जाने के कारण किसान की आर्थिक स्थिति पर उसका असर पड़ता था।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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