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नूंह में मिले दो खसरा और एक गलघोंटू बीमारी के मरीज, 47 मामले संदिग्ध - स्वास्थ्य विभाग नूंह

नूंह में खसरा और गलघोंटू जैसी जानलेवा बीमारियों (Measles disease in Nuh) ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अकेले मरोड़ा पीएचसी के अंतर्गत दो खसरा और एक गलघोंटू की पुष्टि हो चुकी है.

Measles disease in Nuh
Measles disease in Nuh
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Published : May 13, 2022, 9:56 PM IST

नूंह: अचानक से नूंह में खसरा और गलघोंटू जैसी जानलेवा बीमारियों (Measles disease in Nuh) ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अकेले मरोड़ा पीएचसी के अंतर्गत दो खसरा और एक गलघोंटू की पुष्टि हो चुकी है. जबकि जिले में 47 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. जिनकी जांच की जा रही है. डिप्टी सिविल सर्जन डॉ बसंत दूबे ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पिछले 2 साल में नियमित टीकाकरण में करीब 24 फीसदी की कमी आई है.

जिससे गलघोंटू और खसरा के मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना है. उन्होंने बताया कि पहले जिले में 73 फीसदी टीकाकरण होता था, लेकिन कोरोना के चलते 49 फीसदी ही टीकाकरण हो सका है. उन्होंने बताया कि मेवात के मरोड़ा PHC (maroda PHC Nuh) के अंतर्गत खसरा के दो केस की पुष्टि की गई है. खरसा का केस ढाडोली गांव से है, जबकि फिरोजपुर नमक में गलघोंटू का एक केस मिला है. खसरा के 47 केस संभावित हैं. जिनमें से दो केसों की स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है.

इन बीमारियों की जांच के लिए जिले में करीब 50 टीमें बनाई गई हैं. जिनमें आशा वर्कर्स, एमपीएचडब्ल्यू मेल, आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर स्वास्थ विभाग के कर्मचारी अधिकारी शामिल हैं. जो गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक के साथ बीमारी की पहचान कर रहे हैं. इसके अलावा बच्चों का टीकाकरण भी किया जा रहा है. इसके अलावा स्वास्थ्य गांव गांव में हेल्थ कैंप से लगा रहा है. खसरा से बचाव के लिए एमआर (मीजल्स रूबेला) वैक्सीन की दो खुराकें (9 महीने में पहली खुराक और 18 महीने में दूसरी खुराक) दी जाती हैं. लक्षण वाले सभी बच्चों को लगातार दो दिनों तक विटामिन ए की दो खुराक दी गई.

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नूंह: अचानक से नूंह में खसरा और गलघोंटू जैसी जानलेवा बीमारियों (Measles disease in Nuh) ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अकेले मरोड़ा पीएचसी के अंतर्गत दो खसरा और एक गलघोंटू की पुष्टि हो चुकी है. जबकि जिले में 47 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. जिनकी जांच की जा रही है. डिप्टी सिविल सर्जन डॉ बसंत दूबे ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पिछले 2 साल में नियमित टीकाकरण में करीब 24 फीसदी की कमी आई है.

जिससे गलघोंटू और खसरा के मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना है. उन्होंने बताया कि पहले जिले में 73 फीसदी टीकाकरण होता था, लेकिन कोरोना के चलते 49 फीसदी ही टीकाकरण हो सका है. उन्होंने बताया कि मेवात के मरोड़ा PHC (maroda PHC Nuh) के अंतर्गत खसरा के दो केस की पुष्टि की गई है. खरसा का केस ढाडोली गांव से है, जबकि फिरोजपुर नमक में गलघोंटू का एक केस मिला है. खसरा के 47 केस संभावित हैं. जिनमें से दो केसों की स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है.

इन बीमारियों की जांच के लिए जिले में करीब 50 टीमें बनाई गई हैं. जिनमें आशा वर्कर्स, एमपीएचडब्ल्यू मेल, आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर स्वास्थ विभाग के कर्मचारी अधिकारी शामिल हैं. जो गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक के साथ बीमारी की पहचान कर रहे हैं. इसके अलावा बच्चों का टीकाकरण भी किया जा रहा है. इसके अलावा स्वास्थ्य गांव गांव में हेल्थ कैंप से लगा रहा है. खसरा से बचाव के लिए एमआर (मीजल्स रूबेला) वैक्सीन की दो खुराकें (9 महीने में पहली खुराक और 18 महीने में दूसरी खुराक) दी जाती हैं. लक्षण वाले सभी बच्चों को लगातार दो दिनों तक विटामिन ए की दो खुराक दी गई.

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