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नूंह: गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी के लिए आगे आया जमीयत उलेमा - Nuh Jamiat Ulema girl marriage

नूंह में गरीबी परिवारों की लड़कियों की शादी का बीड़ा जमीयत उलेमा ने उठाया है. जमीयत उलेमा कई लड़कियों की शादी करवा चुका है. जमीयत उलेमा के सदस्यों का कहना है कि अब गरीब मां-बार को फिक्र करने की जरूरत नहीं है.

Jamiat Ulema
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Published : Mar 14, 2021, 6:53 PM IST

नूंह: दहेज के कारण अब किसी गरीब माता-पिता को लड़की के हाथ पीले करने के लिए चिंता में डूबने की जरूरत नहीं है. जमीयत उलेमा ने गरीब लड़कियों की शादी करने का बीड़ा उठाया है. इससे पहले भी जमीयत उलेमा के सदस्य 15 गरीब लड़कियों की शादी कर चुके हैं.

उन्होंने ये भी ऐलान किया है कि आगामी 30 मई तक एक बड़ा सामूहिक विवाह सम्मेलन किया जाएगा. जिसमें आज के मुख्य अतिथि मुफ्ती सलीम जमीयत उलेमा गुरुग्राम को दावत दी जाएगी.

ये भी पढे़ं- तालाब में पानी कम हुआ तो डूबी दिखी स्कॉर्पियो कार, क्या है रहस्य ?

जमीयत उलेमा से जुड़े लोगों का कहना है कि नूंह जिले में विवाह शादियों में फिजूलखर्ची बहुत ज्यादा है. जितने रुपये लोग बारात ले जाने में खर्च करते हैं उतने में ही एक गरीब लड़की के हाथ पीले हो सकते हैं. इसके अलावा दहेज का चलन हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा नूंह इलाके में है.

मौलाना मजाहिरी ने कहा कि जब वो शुरुआत में इस काम में लगे थे तो वो अकेले थे, लेकिन धीरे-धीरे उनके साथ लोग जुड़ते जा रहे हैं और उन्हें गरीब लड़कियों की शादी करवाने में कोई दिक्कत नहीं होती.

नूंह: दहेज के कारण अब किसी गरीब माता-पिता को लड़की के हाथ पीले करने के लिए चिंता में डूबने की जरूरत नहीं है. जमीयत उलेमा ने गरीब लड़कियों की शादी करने का बीड़ा उठाया है. इससे पहले भी जमीयत उलेमा के सदस्य 15 गरीब लड़कियों की शादी कर चुके हैं.

उन्होंने ये भी ऐलान किया है कि आगामी 30 मई तक एक बड़ा सामूहिक विवाह सम्मेलन किया जाएगा. जिसमें आज के मुख्य अतिथि मुफ्ती सलीम जमीयत उलेमा गुरुग्राम को दावत दी जाएगी.

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जमीयत उलेमा से जुड़े लोगों का कहना है कि नूंह जिले में विवाह शादियों में फिजूलखर्ची बहुत ज्यादा है. जितने रुपये लोग बारात ले जाने में खर्च करते हैं उतने में ही एक गरीब लड़की के हाथ पीले हो सकते हैं. इसके अलावा दहेज का चलन हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा नूंह इलाके में है.

मौलाना मजाहिरी ने कहा कि जब वो शुरुआत में इस काम में लगे थे तो वो अकेले थे, लेकिन धीरे-धीरे उनके साथ लोग जुड़ते जा रहे हैं और उन्हें गरीब लड़कियों की शादी करवाने में कोई दिक्कत नहीं होती.

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