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सुनहेड़ा बॉर्डर पर 34वें दिन भी किसानों का धरना जारी - नूंह सुनहेड़ा किसान प्रदर्शन

नूंह में सुनहेड़ा बॉर्डर पर किसानों का धरना लगातार जारी है. किसानों का साफ कहना है कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक ये धरना जारी रहेगा.

sunheda border nuh farmer protest
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Published : Feb 14, 2021, 5:12 PM IST

नूंह: हरियाणा-राजस्थान सुनहेड़ा बॉर्डर पर मेवाती किसान मोर्चा का धरना 34वें दिन में प्रवेश कर गया है. रविवार को धरने पर किसान नेता अकबर जोधपुर ने कहा कि मेवाती किसान पूरी ताकत के साथ हजरत मौलाना अरशद मिलखेड़ा के नेतृत्व में जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि जब तक काले कानून वापस नहीं, हम लोग भी वापस नहीं जाएंगे और धरने पर ही बैठे रहेंगे. जिस दिन काले कानून वापस होंगे उस दिन हम अपने घर वापसी हो लेंगे. धरने पर बैठे किसान किराए के आदमी नहीं बल्कि ये सभी किसान हैं.

सुनहेड़ा बॉर्डर पर 34वें दिन भी किसानों का धरना जारी

ये भी पढ़ें- किसानों की मौत पर कृषि मंत्री का विवादित बयान, कहा- यहां नहीं तो अपने घर में मरते

उन्होंने कहा कि सरकार के बनाए हुए तीन कृषि काले कानूनों के बारे में अब भारत का किसान समझ चुका है. जब तक सरकार तीन काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक ये लोग घर जाने वाले नहीं हैं.

किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने के साथ-साथ एमएसपी पर लिखित आश्वासन चाहता है. उसके बाद ही ये मामला सुलझ सकता है. सुनहेड़ा बॉर्डर की अगर बात करें तो अब तक कांग्रेस के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी ने भी यहां खुला समर्थन दिया है.

ये भी पढ़ें- किसानों के रेले रोको आह्वान के बाद डबवाली रेलवे स्टेशन पर बढ़ाई गई सुरक्षा

नूंह: हरियाणा-राजस्थान सुनहेड़ा बॉर्डर पर मेवाती किसान मोर्चा का धरना 34वें दिन में प्रवेश कर गया है. रविवार को धरने पर किसान नेता अकबर जोधपुर ने कहा कि मेवाती किसान पूरी ताकत के साथ हजरत मौलाना अरशद मिलखेड़ा के नेतृत्व में जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि जब तक काले कानून वापस नहीं, हम लोग भी वापस नहीं जाएंगे और धरने पर ही बैठे रहेंगे. जिस दिन काले कानून वापस होंगे उस दिन हम अपने घर वापसी हो लेंगे. धरने पर बैठे किसान किराए के आदमी नहीं बल्कि ये सभी किसान हैं.

सुनहेड़ा बॉर्डर पर 34वें दिन भी किसानों का धरना जारी

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उन्होंने कहा कि सरकार के बनाए हुए तीन कृषि काले कानूनों के बारे में अब भारत का किसान समझ चुका है. जब तक सरकार तीन काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक ये लोग घर जाने वाले नहीं हैं.

किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने के साथ-साथ एमएसपी पर लिखित आश्वासन चाहता है. उसके बाद ही ये मामला सुलझ सकता है. सुनहेड़ा बॉर्डर की अगर बात करें तो अब तक कांग्रेस के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी ने भी यहां खुला समर्थन दिया है.

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