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भीषण गर्मी से सूखे तालाब और नहर, मवेशियों पर आई आफत, ऐसे रखें ख्याल - nuh

पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं. उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओं का ख्याल रखें. गर्मी से दूध कम होता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.

भीषण गर्मी से तालाब-नहर सूखी, मवेशियों की आई आफत
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Published : May 10, 2019, 6:46 PM IST

नूंह: प्रदेश में गर्मी का असर अब दिखने लगा है. जिले में पारा 42 डिग्री के पार पहुंच चुका है. भीषण गर्मी से जहां इंसान परेशान हैं. वहीं, पशु भी इसकी मार से नहीं बच पा रहे हैं. जिले में पानी की भीषण कमी है. तालाब और नहर सूख चुके हैं, जिसके कारण पशुओं की सेहत पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है. आलम ये है कि जिले के गर्मी के कारण मवेशियों में दूध की मात्रा बड़ी तेजी से कम हो रही है. पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है.

पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं. उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओं का ख्याल रखें. गर्मी से दूध कम होता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.

भीषण गर्मी से तालाब-नहर सूखे, मवेशियों की आई आफत, ऐसे रखें ख्याल

उन्होंने कहा कि किसान गर्मी में हर 2-3 घंटे में पानी पशु को पिलाएं , धूप-लू से बचाकर रखें. जल्द से जल्द तालाब भरे जाएं, ताकि पशु उसमें पानी-पीने के साथ नहा सकें. इसको लेकर पशुपालन विभाग पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है.

दूसरी बात ध्यान करने योग्य यह है कि एक तो नूंह जिले की नहरों में पानी नहीं, अगर कभी आता है तो जहरीला काला बदबूदार पानी आता है. खेती से लेकर पशुओं को पीने लायक कई दिनों तक यह पानी नहीं रहता. कुल मिलाकर भीषण गर्मी इंसान से कहीं अधिक हमें घी, दही, दूध, छाछ देने वाले मवेशियों पर कही ज्यादा भारी पड़ती है.

नूंह: प्रदेश में गर्मी का असर अब दिखने लगा है. जिले में पारा 42 डिग्री के पार पहुंच चुका है. भीषण गर्मी से जहां इंसान परेशान हैं. वहीं, पशु भी इसकी मार से नहीं बच पा रहे हैं. जिले में पानी की भीषण कमी है. तालाब और नहर सूख चुके हैं, जिसके कारण पशुओं की सेहत पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है. आलम ये है कि जिले के गर्मी के कारण मवेशियों में दूध की मात्रा बड़ी तेजी से कम हो रही है. पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है.

पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं. उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओं का ख्याल रखें. गर्मी से दूध कम होता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.

भीषण गर्मी से तालाब-नहर सूखे, मवेशियों की आई आफत, ऐसे रखें ख्याल

उन्होंने कहा कि किसान गर्मी में हर 2-3 घंटे में पानी पशु को पिलाएं , धूप-लू से बचाकर रखें. जल्द से जल्द तालाब भरे जाएं, ताकि पशु उसमें पानी-पीने के साथ नहा सकें. इसको लेकर पशुपालन विभाग पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है.

दूसरी बात ध्यान करने योग्य यह है कि एक तो नूंह जिले की नहरों में पानी नहीं, अगर कभी आता है तो जहरीला काला बदबूदार पानी आता है. खेती से लेकर पशुओं को पीने लायक कई दिनों तक यह पानी नहीं रहता. कुल मिलाकर भीषण गर्मी इंसान से कहीं अधिक हमें घी, दही, दूध, छाछ देने वाले मवेशियों पर कही ज्यादा भारी पड़ती है.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- तालाब - नहर सूखी , मवेशियों की आई आफत
नूंह जिले की धरती से भीषण गर्मी ने हरियाली गायब कर दी है। नूंह जिले की धरती में नहरी पानी नहीं होने की वजह से तालाब सूखे हुए हैं , रजवाहों में भी कई सालों से पानी नहीं आया है। बरसात कम होने की वजह से तालाब नहीं भर पाते हैं। बरसात का कुछ पानी एकत्रित होता भी है , तो गर्मी - मिटटी उसे सोख लेती है। नूंह जिले की धरती पर हरे - भरे छायादार पेड़ों की कमी है। मवेशियों को अंदर घरों में कूलर की हवा में रख पाने में आर्थिक स्थिति रोड़ा बन जाती है। पारा 42 को पार करने लगा मवेशियों की जान पर आई। मवेशियों में दूध की मात्रा बड़ी तेजी से कम हो रही है। पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है। पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं। उप निदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओ का ख्याल रखें। गर्मी से दूध कम होता है , तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान गर्मी में हर 2 - 3 घंटे में पानी पशु को पिलाएं , धूप - लू से बचाकर रखें। जल्द से जल्द तालाब भरे जाएं , ताकि पशु उसमें पानी पीने के साथ - नहा सकें। इसको लेकर पशुपालन विभाग पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है। दूसरी बात ध्यान करने योग्य यह है कि एक तो नूंह जिले की नहरों में पानी नहीं , अगर कभी आता है तो जहरीला काला बदबूदार पानी आता है। खेती से लेकर पशुओं को पीने लायक कई दिनों तक यह पानी नहीं रहता। कुल मिलाकर भीषण गर्मी इंसान से कहीं अधिक हमें घी , दही , दूध , छाछ देने वाले मवेशियों पर कही ज्यादा भारी पड़ती है।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- तालाब - नहर सूखी , मवेशियों की आई आफत
नूंह जिले की धरती से भीषण गर्मी ने हरियाली गायब कर दी है। नूंह जिले की धरती में नहरी पानी नहीं होने की वजह से तालाब सूखे हुए हैं , रजवाहों में भी कई सालों से पानी नहीं आया है। बरसात कम होने की वजह से तालाब नहीं भर पाते हैं। बरसात का कुछ पानी एकत्रित होता भी है , तो गर्मी - मिटटी उसे सोख लेती है। नूंह जिले की धरती पर हरे - भरे छायादार पेड़ों की कमी है। मवेशियों को अंदर घरों में कूलर की हवा में रख पाने में आर्थिक स्थिति रोड़ा बन जाती है। पारा 42 को पार करने लगा मवेशियों की जान पर आई। मवेशियों में दूध की मात्रा बड़ी तेजी से कम हो रही है। पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है। पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं। उप निदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओ का ख्याल रखें। गर्मी से दूध कम होता है , तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान गर्मी में हर 2 - 3 घंटे में पानी पशु को पिलाएं , धूप - लू से बचाकर रखें। जल्द से जल्द तालाब भरे जाएं , ताकि पशु उसमें पानी पीने के साथ - नहा सकें। इसको लेकर पशुपालन विभाग पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है। दूसरी बात ध्यान करने योग्य यह है कि एक तो नूंह जिले की नहरों में पानी नहीं , अगर कभी आता है तो जहरीला काला बदबूदार पानी आता है। खेती से लेकर पशुओं को पीने लायक कई दिनों तक यह पानी नहीं रहता। कुल मिलाकर भीषण गर्मी इंसान से कहीं अधिक हमें घी , दही , दूध , छाछ देने वाले मवेशियों पर कही ज्यादा भारी पड़ती है।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- तालाब - नहर सूखी , मवेशियों की आई आफत
नूंह जिले की धरती से भीषण गर्मी ने हरियाली गायब कर दी है। नूंह जिले की धरती में नहरी पानी नहीं होने की वजह से तालाब सूखे हुए हैं , रजवाहों में भी कई सालों से पानी नहीं आया है। बरसात कम होने की वजह से तालाब नहीं भर पाते हैं। बरसात का कुछ पानी एकत्रित होता भी है , तो गर्मी - मिटटी उसे सोख लेती है। नूंह जिले की धरती पर हरे - भरे छायादार पेड़ों की कमी है। मवेशियों को अंदर घरों में कूलर की हवा में रख पाने में आर्थिक स्थिति रोड़ा बन जाती है। पारा 42 को पार करने लगा मवेशियों की जान पर आई। मवेशियों में दूध की मात्रा बड़ी तेजी से कम हो रही है। पशुओं के बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है। पशुपालन विभाग इस परेशानी को देखते हुए एडीसी राहुल हुड्डा एवं सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखने जा रहे हैं। उप निदेशक पशुपालन विभाग डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों को बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओ का ख्याल रखें। गर्मी से दूध कम होता है , तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान गर्मी में हर 2 - 3 घंटे में पानी पशु को पिलाएं , धूप - लू से बचाकर रखें। जल्द से जल्द तालाब भरे जाएं , ताकि पशु उसमें पानी पीने के साथ - नहा सकें। इसको लेकर पशुपालन विभाग पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है। दूसरी बात ध्यान करने योग्य यह है कि एक तो नूंह जिले की नहरों में पानी नहीं , अगर कभी आता है तो जहरीला काला बदबूदार पानी आता है। खेती से लेकर पशुओं को पीने लायक कई दिनों तक यह पानी नहीं रहता। कुल मिलाकर भीषण गर्मी इंसान से कहीं अधिक हमें घी , दही , दूध , छाछ देने वाले मवेशियों पर कही ज्यादा भारी पड़ती है।
बाइट;- डॉक्टर नरेंदर सिंह उप निदेशक पशुपालन विभाग नूंह

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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