नूंह: जिले के मूढ़ेता-ढाणा गांवों में पैगम्बर साहब का जन्म ईद मिलादुन्नबी बहुत ही धूम-धाम से मनाया गया. मूढ़ेता में लोगों ने इस मौके पर जुलूस निकाला. गांव के सरकारी स्कूल से फिरनी के रास्ते होते हुए पूरे गांव से होकर ये जुलूस निकला. ग्रामीणों ने पैगंबर साहब के जन्मदिन के मौके पर देश दुनिया की तरक्की और अमन भाईचारे के लिए दुआ मांगी गई.
आज मुस्लिम समाज के लोग नए कपड़े और इत्र लगाकर नबी के जन्मदिन में खुशी से लबरेज दिखाई दिए. मक्का में 571 ईसवी को पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इसी याद में ईद मिलादुन्नबी का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है. रसूल पाक सल्लाहुअलैहिवसल्ल्म इस्लाम के आखिरी नबी थे. जानकारों की मानें तो अब कयामत तक कोई और नबी नहीं आने वाला है. इस्लामी जगत में यह त्यौहार ईद उल-फितर और ईद अल-अजहा के बाद सबसे बड़ा धार्मिक त्यौहार माना जाता है.
ये भी पढ़ें- Eid Ul Adha: आखिर कुर्बानी या त्याग का फलसफा क्या है?
इस दिन परंपरागत रूप से नबी के जीवन और कार्यों को याद किया जाता है. नमाज अदा की जाती है और इस्लामी धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मीलाद उन-नबी इस्लाम धर्म के मानने वालों के कई वर्गों में एक प्रमुख त्योहार है. इस शब्द का मूल मौलिद (Mawlid) है जिसका अर्थ अरबी में 'जन्म' है. अरबी भाषा में 'मौलिद-उन-नबी' का मतलब है, हजरत मुहम्मद का जन्म दिन.
बताया जाता है कि 1588 में उस्मानिया साम्राज्य में इस त्यौहार का प्रचलन जन मानस में शुरू हुआ. नूंह में नबी के जन्मदिन के मौके पर शहर व गांव की मस्जिदों को सजाया गया. जुलूस में बूढ़े-बच्चे जवान सभी अपने हाथों में झंडा थामे हुए और नारा-ए-तकबीर कहते हुए चले. जुलूस में आसपास के गांव के लोगों ने भाग लिया.
मौलाना जाहिर ने कहा कि यह त्यौहार आपसी भाई चारे को बढ़ावा देता है. शहरों में जलूस निकालकर खुशी का इजहार किया जाता है. मस्जिदों को भी खूब सजाया जाता है. आसपास के गांव से बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी बढ़चढ़ कर इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं. खास बात यह है कि हिंसा के चलते प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने पर इस बार जिला स्तर पर कोई बड़ा प्रोग्राम नहीं मनाया गया. मुस्लिम समाज के लोगों ने गांव स्तर पर ही यह त्यौहार बड़े धूमधाम मनाया.
ये भी पढ़ें- Happy Eid Ul Azha 2023 : मोहम्मद शमी-राशिद खान ने ऐसे मनाई ईद, देखें Photo