कुरुक्षेत्र: हमारे देश में आज भी कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिनका जिक्र हजारों सालों से होता रहा है, लेकिन इन रहस्यों की तह तक आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको ले चलते हैं, कुरुक्षेत्र शहर के बीचों-बीच बनी शेखचिल्ली के मकबरे के पास हजरत शेख जलालुद्दीन थानेसरी की दरगाह पर. जहां कहा जाता है कि मौत के बाद भी शेख जलालुद्दीन को दफनाया नहीं गया था.
इस दरगाह के प्रताप से हुमायूं को मिला था अकबर
एक छोटी सी उम्र में दिल्ली पर शासन करने वाले मुगल शासक अकबर के जन्म का किस्सा इसी दरगाह से जुड़ा हुआ है. लोगों का कहना है कि अकबर के पिता हुमायूं को जब कोई संतान नहीं थी तो इसी दरगाह पर इबादत और अर्जी लगाने पर उन्हें अकबर के रूप में संतान प्राप्त हुई थी.
इसकी पड़ताल के लिए हम शेख चिल्ली के मकबरे के पीछे बनी हजरत शेख जलालुद्दीन की दरगाह पर पहुंचे. जहां पहुंचते ही हमारी नजर बाहर लगे बड़े से बैनर पर पड़ी, जहां स्पष्ट किया गया है कि हुमायूं को औलाद नहीं थी और शेख जलालुद्दीन की दरगाह पर इबादत करने के बाद उन्हें औलाद की प्राप्ति हुई थी.
ये था अकबर का पूरा नाम
अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था. अकबर को अकबर ए आजम शहंशाह अकबर महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता था. सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर का पुत्र और नसरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था.
जब नसरुद्दीन हुमायूं को औलाद नहीं हुई तो कुरुक्षेत्र के थानेसर में स्थित हजरत शेख जलालुद्दीन की दरगाह पर उन्हें इबादत करने के बाद यहां से अकबर के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई. अकबर का नाम मोहम्मद अकबर रखने के बाद हुमायूं ने मोहम्मद अकबर के आगे जलालुद्दीन लगा दिया क्योंकि अकबर की पुत्र रूप में प्राप्ति जलालुद्दीन की दरगाह से इबादत करने के बाद हुई थी.