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सावन शिवरात्रि स्पेशल: कुरुक्षेत्र का ये मंदिर हर लेता है भक्तों का दुख! - कृष्ण पक्ष

सावन मास की शिवरात्रि आज मनाई जा रही है. सावन मास के कृष्ण पक्ष में मंगलवार के दिन पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है.

सावन की शिवरात्रि आज
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Published : Jul 30, 2019, 12:12 PM IST

कुरुक्षेत्र: श्रावण मास की शिवरात्रि पर भोल के भक्त भोले की अराधना में लीन हो चुके हैं. शिवालय शिव के जयकारों से गूंज उठे हैं.

यही वजह है कि मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. ऐसी ही भीड़ कुरुक्षेत्र के मंदिरों में भी देखने को मिल रही है. पुजारी की माने तो सावन महीना भगवान शिव का पंसदीदा महीना है. सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं, इसलिए ये महीना भोले की वंदना के लिए बिलकुल अनुकूल होता है.

शिवरात्रि पर स्पेशल रिपोर्ट

दुख हरने वाला है दुख भंजन मंदिर
कुरुक्षेत्र की संहित सरोवर के तट पर स्थित प्राचीन दुख भंजन महादेव मंदिर की अपनी ही अलग मान्यता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर में पांडवों ने महाभारत से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना कर विजय की कामना की थी. जब पांडव जीते तो लौटते वक्त उन्होंने इसी शिवलिंग पर जल चढ़ाकर युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति की कामना की थी.

स्थानेश्वर महादेव मंदिर भी है खास
कुरुक्षेत्र के प्राचीन स्थानेश्वर महादेव मंदिर में भी कांवड़िये भी शिवलिंग पर जल अर्पण कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि कांवड़ के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारी परेशानियों का निवारण हो जाता है.

बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते हैं, इसलिए उनकी तमाम मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि सच्ची श्रद्धा से किसी पवित्र नदी से जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले से बाबा प्रसन्न होते हैं.

कुरुक्षेत्र: श्रावण मास की शिवरात्रि पर भोल के भक्त भोले की अराधना में लीन हो चुके हैं. शिवालय शिव के जयकारों से गूंज उठे हैं.

यही वजह है कि मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. ऐसी ही भीड़ कुरुक्षेत्र के मंदिरों में भी देखने को मिल रही है. पुजारी की माने तो सावन महीना भगवान शिव का पंसदीदा महीना है. सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं, इसलिए ये महीना भोले की वंदना के लिए बिलकुल अनुकूल होता है.

शिवरात्रि पर स्पेशल रिपोर्ट

दुख हरने वाला है दुख भंजन मंदिर
कुरुक्षेत्र की संहित सरोवर के तट पर स्थित प्राचीन दुख भंजन महादेव मंदिर की अपनी ही अलग मान्यता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर में पांडवों ने महाभारत से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना कर विजय की कामना की थी. जब पांडव जीते तो लौटते वक्त उन्होंने इसी शिवलिंग पर जल चढ़ाकर युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति की कामना की थी.

स्थानेश्वर महादेव मंदिर भी है खास
कुरुक्षेत्र के प्राचीन स्थानेश्वर महादेव मंदिर में भी कांवड़िये भी शिवलिंग पर जल अर्पण कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि कांवड़ के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारी परेशानियों का निवारण हो जाता है.

बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते हैं, इसलिए उनकी तमाम मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि सच्ची श्रद्धा से किसी पवित्र नदी से जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले से बाबा प्रसन्न होते हैं.

Intro:कुरुक्षेत्र की संहित सरोवर के तट पर स्थित प्राचीन दुख भंजन महादेव का मंदिर इस मंदिर में पूजा करने वाले श्रद्धालुओं के दुखों का भंजन कर देते हैं।
भगवान शिव के प्रिय श्रावण मास में यहां शीश नवाने वाले श्रद्धालु का विशेष फल की प्राप्ति होती है कावड़ लेकर कुरुक्षेत्र से गुजरने वाले प्रत्येक कावड़िए बिना यहां शीश नवाए आगे नहीं बढ़ते कावड़ियों के लिए हर वर्ष यहां मंदिर में विशेष तौर पर प्रबंध किए जाते हैं।
महाभारत युद्ध से पूर्व पांडवों ने ही सहित सरोवर के तट पर इसी जगह शिवलिंग की स्थापना कर विजय की प्राप्ति के लिए पूजा की थी और महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत हुई इसके बाद पांडवों ने युद्ध में मारे गए परिजनों की गति के लिए भी इसी के तट पर आध्यात्मिक शांति के लिए पूजा की थी इसके बाद श्री ब्राह्मण व तीर्थद्वार सभा ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था
आज शिवरात्रि के विशेष अवसर पर यहां हरिद्वार से जल भरकर कांवड़ियों ने भगवान शिव के शिवलिंग का जलाभिषेक किया और अपनी मनोकामना की प्राप्ति के लिए यहां मन्नतें मांगी हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की यहां बताया जाता है यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है यहां दधीचि ऋषि ने वज्र के लिए हड्डियां देने के बाद अपनी अस्थियां इसी मंदिर में दान की थी उसी के बाद से ही यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं और यहां से गुजरने वाले कावड़िया भी यहां शीश नवाए बिना आगे नहीं बढ़ते कहा जाता है इस मंदिर में जल चढ़ाकर हर दुखों का विनाश होता है और मनोकामना पूर्ण होती है।
बाईट:- श्रद्धालु
बाइट :-पंडित


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