कुरुक्षेत्र: श्रावण मास की शिवरात्रि पर भोल के भक्त भोले की अराधना में लीन हो चुके हैं. शिवालय शिव के जयकारों से गूंज उठे हैं.
यही वजह है कि मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. ऐसी ही भीड़ कुरुक्षेत्र के मंदिरों में भी देखने को मिल रही है. पुजारी की माने तो सावन महीना भगवान शिव का पंसदीदा महीना है. सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं, इसलिए ये महीना भोले की वंदना के लिए बिलकुल अनुकूल होता है.
दुख हरने वाला है दुख भंजन मंदिर
कुरुक्षेत्र की संहित सरोवर के तट पर स्थित प्राचीन दुख भंजन महादेव मंदिर की अपनी ही अलग मान्यता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर में पांडवों ने महाभारत से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना कर विजय की कामना की थी. जब पांडव जीते तो लौटते वक्त उन्होंने इसी शिवलिंग पर जल चढ़ाकर युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति की कामना की थी.
स्थानेश्वर महादेव मंदिर भी है खास
कुरुक्षेत्र के प्राचीन स्थानेश्वर महादेव मंदिर में भी कांवड़िये भी शिवलिंग पर जल अर्पण कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि कांवड़ के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारी परेशानियों का निवारण हो जाता है.
बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते हैं, इसलिए उनकी तमाम मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि सच्ची श्रद्धा से किसी पवित्र नदी से जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले से बाबा प्रसन्न होते हैं.