कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन दान, पूजा-अर्चना का विशेष महात्म्य है. आज सोमवती अमावस्या है. हिंदू धर्म में सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस साल हरियाली अमावस्या पर विशेष संयोग बन रहा है. आज सावन का दूसरा सोमवार भी है. वैसे तो सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है. लेकिन, इस महीने में सोमवार और अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष महत्व बताया गया है.
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हरियाली अमावस्या पर विशेष संयोग: अमावस्या का विशेष महत्व हिंदू पंचांग के अनुसार आज हरियाली आमावसाय (सोमवती अमावस्या) है. वैसे इन दिनों भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन महीना चल रहा है. सोमवार के दिन महादेव के विशेष तौर पर पूजा की जाती है. ऐसे में सावन के महीने में सोमवती अमावस्या आने का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. सोमवती अमावस्या पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पूजन, पिंडदान और दान कर रहे हैं.
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हरियाली अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व: शास्त्रों में भी बताया गया है कि हरियाली अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या के दिन वित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करने के बाद दान करना चाहिए. ऐसा करने से उनके पितृ दोष दूर होते हैं. इसके अलावा पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है. यही वजह है कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सुबह से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.
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हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व: पौराणिक काल से ही सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मसरोवर और स्नेहित सरोवर में देवी देवताओं का सानिध्य श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है. इसी आशा और उम्मीद के साथ हर अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं. इस दिन श्रद्धालु धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पवित्र तीर्थों ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर पर स्नान करते हैं. इसके अलावा पूजा-अर्चना करके पितरों की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं.
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हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी: ब्रह्मसरोवर तीर्थ पुरोहित राकेश गोस्वामी ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु कुरुक्षेत्र सरोवर पर श्रद्धा की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं. इस दिन श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. तीर्थ पुरोहित राकेश गोस्वामी ने कहा कि महाभारत काल के दौरान एक भी सोमवती अमावस्या नहीं आई थी. ऐसे में कलयुग में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है.
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आज ऐसे करें भगवान शिव की पूजा: राकेश गोस्वामी ने बताया कि अमावस्या हर महीने आती है, लेकिन सोमवती अमावस्या कभी-कभी ही आती है. इसलिए सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. सावन के महीने के दौरान सोमवती अमावस्या आने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान इत्यादि करके दान करते हैं, तो वहीं सोमवार होने के चलते श्रद्धालु आज के दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. इस दिन भगवान शिव पर बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करने का विशेष महात्म्य है. मान्यता है कि अमावस्या के दिन ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ की भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. हरियाली अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाने का विशेष महत्व है.
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