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हरियाणा के इस जिले में है महाभारत कालीन यक्ष सरोवर, स्नान करने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग - Historical Places of Haryana

हरियाणा ऐतिहासिक लड़ाइयों का प्रदेश रहा है. महाभारत से लेकर पानीपत के तीन युद्धों तक इसका इतिहास है. 'किस्सा हरियाणे का' में हरियाणा के एक ऐसे ही ऐतिहासिक (Historical Places of Haryana) स्थल की बात करेंगे, जिसका समय महाभारत काल का है. आज कहानी उस तालाब की जहां युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
Mahabharata period Yaksha Sarovar
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Published : Mar 10, 2023, 9:13 AM IST

Updated : Mar 10, 2023, 2:25 PM IST

कुरुक्षेत्र: महाभारत काल का वो तालाब जहां युधिष्ठिर और यक्ष के बीच संवाद हुआ था, हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में है. इसी तालाब के किनारे यक्ष के सवालों का युधिष्ठिर ने जवाब दिया था. ये वही तालाब है जहां पर पांडव अपने वनवास के दौरान प्यास लगने पर पानी के लिए पहुंचे और पीकर बेहोश गये. ये तालाब महाभारत कालीन है, जो कुरुक्षेत्र के अमीन गांव में स्थित है. महाभारत काल से लेकर कुछ वर्ष पहले तक इसको यक्ष तालाब (Mahabharata period Yaksha Sarovar) के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में सूर्य कुंड के नाम से जाना जाने लगा.

कहा जाता है कि जब पांचो पांडव अपने बनवास पर थे, उस समय जयद्रथ ने द्रोपदी का हरण करना चाहा परन्तु भीम ने उसे पकड़ लिया. धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे इसे छोड़ दो, क्योंकि यह हमारे सम्बन्धियों में शामिल है. यह सुनते ही भीम ने उसे छोड़ दिया. इसके पश्चात् धर्ममार्ग को पवित्र बनाने के लिए पांडव अदितिवन धर्मक्षेत्र में पहुंच गए. वे चाहते थे कि ऋषि, मुनि तथा ब्राह्मणों की सेवा करके अज्ञातवास के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लें.

एक दिन अचानक ही एक ब्राह्मण आंखों में आंसू भरकर कहने लगा कि- महाराज मैं इसी वन का निवासी हू, आप मेरे कष्ट दूर करें. पांडवों ने पूछा आपको क्या कष्ट है. ब्राह्मण ने निवेदन किया कि मेरी यज्ञाग्नि (अरनि) एक वृक्ष पर लटक रही थी, एक मृग उसे अपने सींग में अटका कर ले गया. जिससे मेरा यज्ञ करना बन्द हो गया है. आप कृपा करें और मेरी यज्ञाग्नि की तलाश करा दें.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
इस सरोवर पर पर्यटक घूमने आते हैं.

ये भी पढ़ें- इस गांव में हुआ था श्रीराम की माता कौशल्या का जन्म, यहां से जुड़े हैं कई रहस्य

पांडवों ने उत्तर दिया ब्राह्मण देवता आप चिन्ता न करें, हम शीघ्र ही आप की यज्ञाग्नि की अरनि ढूंढ लाते हैं. ऐसा कहकर अरनि ले जाने वाले मृग की खोज करने लगे. सारा जंगल ढूंढ लिया मगर अरनि ले जाने वाले मृग का कहीं पता नहीं चला. सभी बड़ी चिन्ता में पड़ गए और कहने लगे, यदि ब्राह्मण की यज्ञाग्नि की अरनि नहीं मिली तो सारा वीरता नष्ट हो जायेगी. इसलिए कुछ देर विश्राम कर लें और जल पीकर दोबारा खोज आरम्भ करेंगे.

ऐसा विचार कर एक वृक्ष के नीचे पांडव बैठ जाते हैं और प्यास लगने के बाद सहदेव को प्राचीन यक्ष सरोवर से पानी लेने के लिए भेज देते हैं. बहुत समय तक प्रतीक्षा की परन्तु सहदेव न लौटा. फिर युधिष्ठिर ने नकुल को कारण जानने के लिए कहा. वह भी चला गया और लौटकर न आया. इसी प्रकार अर्जुन और भीम भी भेजे गए मगर कोई लौटकर न आये. अन्त में महाराज युधिष्ठिर भी उसी सरोवर पर पहुंचे तो देखते है कि चारों भाई सरोवर की सीढ़ियों पर मृतक अवस्था में पड़ हुए हैं.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
तालाब के पास बना यक्ष मंदिर.

परेशान युधिष्ठिर खुद भी पानी पीने जा रहे थे तभी एक आवाजा सुनाई देती है कि यह मेरा सरोवर है, मेरे प्रश्नों का उत्तर दिए बिना और मेरी आज्ञा के बिना यदि पानी को छुओगे तो अपने भाइयों की तरह तुम भी अचेत पड़े रहोगे. शब्द सुनते ही युधिष्ठिर रूक गए और प्रसन्नता से कहने लगे कि कहिए आप के क्या प्रश्न हैं, मैं अपनी बुद्धि के अनुसार अवश्य ही उत्तर दूंगा. यक्ष-युधिष्ठिर के बीच संवाद हुआ. युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों का सही जवाब दे दिया. प्रश्नों के ठीक उत्तर पाकर यक्ष प्रसन्न होकर कहने लगे कि एक भाई का जीवन मांग लो.

ये भी पढ़ें- ये है हरियाणा का ताजमहल! जो महान विद्वान शेख चिल्ली की याद में बनवाया गया था

युधिष्ठिर महाराज ने उत्तर दिया कि आप भाई सहदेव को जीवन देने की कृपा करें. यक्ष ने आश्चर्य से पूछा, ऐसा क्यों? भीम अर्जुन को जीवित क्यों नहीं कराते? युधिष्ठिर बोले कि महाराज कुन्ती और माद्री हमारी दो माताएं है, मैं कुन्ती पुत्र हूं और सहदेव माद्री पुत्र है, दोनो माताओं के एक-एक पुत्र जीवित रहने से उनकी आत्माएं शान्त रहेंगी. इस उत्तर से यक्ष और भी प्रसन्न हो गए और सभी भाईयों को जीवन दान दे दिया. यक्ष ने धर्मराज का रूप धारण करके कहा कि मैं तुम्हारी बुद्धिमता से प्रसन्न हूं और तुम्हे आशीर्वाद देता हूं कि अज्ञात वर्ष मैं तुम्हे सफलता प्राप्त होगी.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
कुरक्षेत्र का यक्ष सरोवर.

मैने ही मृग का रूप बनाकर यज्ञाग्नि अरनि को चुराया था. जिस दिन से भीम बिना आज्ञा के सूर्यकुण्ड से अमृत जल को ले गया था, उसी दिन से नियम भंग होने के कारण तुम्हारे बल तथा बुद्धि की परीक्षा करना आवश्यक था. यहां के जल का स्पर्श यक्ष की आज्ञा लेकर करने से तुरन्त प्रश्नों के उत्तर देने की बुद्धि पैदा होती है. मौजूदा समय में इस सरोवर के पास एक मंदिर भी है. इस सूर्य कुंड पर हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.

सूर्य कुंड पर मौजूद महंत बाबा बिहारी दास ने कहा कि यह महाभारत काल से भी पुराना सरोवर है जिसको अब सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. यहां पर स्नान मात्र करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके लिए स्वर्ग के द्वार सीधे खुलते हैं. अगर किसी व्यक्ति को चर्म रोग है तो इस कुंड में स्नान करने से उसके सभी प्रकार के रोग व दोष दूर हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- यही वो वजह थी, जब मजबूरी में अकबर ने हेमू से सामना करने का फैसला लिया!

कुरुक्षेत्र: महाभारत काल का वो तालाब जहां युधिष्ठिर और यक्ष के बीच संवाद हुआ था, हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में है. इसी तालाब के किनारे यक्ष के सवालों का युधिष्ठिर ने जवाब दिया था. ये वही तालाब है जहां पर पांडव अपने वनवास के दौरान प्यास लगने पर पानी के लिए पहुंचे और पीकर बेहोश गये. ये तालाब महाभारत कालीन है, जो कुरुक्षेत्र के अमीन गांव में स्थित है. महाभारत काल से लेकर कुछ वर्ष पहले तक इसको यक्ष तालाब (Mahabharata period Yaksha Sarovar) के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में सूर्य कुंड के नाम से जाना जाने लगा.

कहा जाता है कि जब पांचो पांडव अपने बनवास पर थे, उस समय जयद्रथ ने द्रोपदी का हरण करना चाहा परन्तु भीम ने उसे पकड़ लिया. धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे इसे छोड़ दो, क्योंकि यह हमारे सम्बन्धियों में शामिल है. यह सुनते ही भीम ने उसे छोड़ दिया. इसके पश्चात् धर्ममार्ग को पवित्र बनाने के लिए पांडव अदितिवन धर्मक्षेत्र में पहुंच गए. वे चाहते थे कि ऋषि, मुनि तथा ब्राह्मणों की सेवा करके अज्ञातवास के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लें.

एक दिन अचानक ही एक ब्राह्मण आंखों में आंसू भरकर कहने लगा कि- महाराज मैं इसी वन का निवासी हू, आप मेरे कष्ट दूर करें. पांडवों ने पूछा आपको क्या कष्ट है. ब्राह्मण ने निवेदन किया कि मेरी यज्ञाग्नि (अरनि) एक वृक्ष पर लटक रही थी, एक मृग उसे अपने सींग में अटका कर ले गया. जिससे मेरा यज्ञ करना बन्द हो गया है. आप कृपा करें और मेरी यज्ञाग्नि की तलाश करा दें.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
इस सरोवर पर पर्यटक घूमने आते हैं.

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पांडवों ने उत्तर दिया ब्राह्मण देवता आप चिन्ता न करें, हम शीघ्र ही आप की यज्ञाग्नि की अरनि ढूंढ लाते हैं. ऐसा कहकर अरनि ले जाने वाले मृग की खोज करने लगे. सारा जंगल ढूंढ लिया मगर अरनि ले जाने वाले मृग का कहीं पता नहीं चला. सभी बड़ी चिन्ता में पड़ गए और कहने लगे, यदि ब्राह्मण की यज्ञाग्नि की अरनि नहीं मिली तो सारा वीरता नष्ट हो जायेगी. इसलिए कुछ देर विश्राम कर लें और जल पीकर दोबारा खोज आरम्भ करेंगे.

ऐसा विचार कर एक वृक्ष के नीचे पांडव बैठ जाते हैं और प्यास लगने के बाद सहदेव को प्राचीन यक्ष सरोवर से पानी लेने के लिए भेज देते हैं. बहुत समय तक प्रतीक्षा की परन्तु सहदेव न लौटा. फिर युधिष्ठिर ने नकुल को कारण जानने के लिए कहा. वह भी चला गया और लौटकर न आया. इसी प्रकार अर्जुन और भीम भी भेजे गए मगर कोई लौटकर न आये. अन्त में महाराज युधिष्ठिर भी उसी सरोवर पर पहुंचे तो देखते है कि चारों भाई सरोवर की सीढ़ियों पर मृतक अवस्था में पड़ हुए हैं.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
तालाब के पास बना यक्ष मंदिर.

परेशान युधिष्ठिर खुद भी पानी पीने जा रहे थे तभी एक आवाजा सुनाई देती है कि यह मेरा सरोवर है, मेरे प्रश्नों का उत्तर दिए बिना और मेरी आज्ञा के बिना यदि पानी को छुओगे तो अपने भाइयों की तरह तुम भी अचेत पड़े रहोगे. शब्द सुनते ही युधिष्ठिर रूक गए और प्रसन्नता से कहने लगे कि कहिए आप के क्या प्रश्न हैं, मैं अपनी बुद्धि के अनुसार अवश्य ही उत्तर दूंगा. यक्ष-युधिष्ठिर के बीच संवाद हुआ. युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों का सही जवाब दे दिया. प्रश्नों के ठीक उत्तर पाकर यक्ष प्रसन्न होकर कहने लगे कि एक भाई का जीवन मांग लो.

ये भी पढ़ें- ये है हरियाणा का ताजमहल! जो महान विद्वान शेख चिल्ली की याद में बनवाया गया था

युधिष्ठिर महाराज ने उत्तर दिया कि आप भाई सहदेव को जीवन देने की कृपा करें. यक्ष ने आश्चर्य से पूछा, ऐसा क्यों? भीम अर्जुन को जीवित क्यों नहीं कराते? युधिष्ठिर बोले कि महाराज कुन्ती और माद्री हमारी दो माताएं है, मैं कुन्ती पुत्र हूं और सहदेव माद्री पुत्र है, दोनो माताओं के एक-एक पुत्र जीवित रहने से उनकी आत्माएं शान्त रहेंगी. इस उत्तर से यक्ष और भी प्रसन्न हो गए और सभी भाईयों को जीवन दान दे दिया. यक्ष ने धर्मराज का रूप धारण करके कहा कि मैं तुम्हारी बुद्धिमता से प्रसन्न हूं और तुम्हे आशीर्वाद देता हूं कि अज्ञात वर्ष मैं तुम्हे सफलता प्राप्त होगी.

Mahabharata period Yaksha Sarovar
कुरक्षेत्र का यक्ष सरोवर.

मैने ही मृग का रूप बनाकर यज्ञाग्नि अरनि को चुराया था. जिस दिन से भीम बिना आज्ञा के सूर्यकुण्ड से अमृत जल को ले गया था, उसी दिन से नियम भंग होने के कारण तुम्हारे बल तथा बुद्धि की परीक्षा करना आवश्यक था. यहां के जल का स्पर्श यक्ष की आज्ञा लेकर करने से तुरन्त प्रश्नों के उत्तर देने की बुद्धि पैदा होती है. मौजूदा समय में इस सरोवर के पास एक मंदिर भी है. इस सूर्य कुंड पर हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.

सूर्य कुंड पर मौजूद महंत बाबा बिहारी दास ने कहा कि यह महाभारत काल से भी पुराना सरोवर है जिसको अब सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. यहां पर स्नान मात्र करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके लिए स्वर्ग के द्वार सीधे खुलते हैं. अगर किसी व्यक्ति को चर्म रोग है तो इस कुंड में स्नान करने से उसके सभी प्रकार के रोग व दोष दूर हो जाते हैं.

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Last Updated : Mar 10, 2023, 2:25 PM IST
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