कुरुक्षेत्र: एड्स एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देती है. साथ ही समाज में सम्मान नहीं मिलने की वजह एड्स पीड़ित अंदर ही अंदर दुखी भी रहने लगे हैं. ऐसे में कुरुक्षेत्र स्वास्थ्य विभाग ने एचआईवी पॉजिटिव युवक और युवतियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनकी शादी आपस में कराने का फैसला लिया है. स्वास्थ्य विभाग के पास जमा आंकड़ों में से अगर कोई अविवाहित युवक और युवती शादी करने के इच्छुक हैं तो उनकी आपस में सहमति होने पर शादी करवाई जा रही है.
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर शैलेंद्र ममगई ने बताया की जिले में लगभग 12 सौ के करीब एचआईवी पीड़ित हैं जो अविवाहित युवक और युवतियां हैं. अगर इनमें से कोई शादी के इच्छुक हैं तो उन्हें आपस में मिलवाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ऐसा ही दो जोड़े जल्द ही आपस में शादी करने जा रहे हैं.
डॉक्टर शैलेंद्र ने बताया कि शादी करने वाले जोड़ों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और जल्दी एक ऐसी वेबसाइट भी बना दी जाएगी जिस पर शादी करने के इच्छुक एचआईवी पीड़ित अपना रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे और ये जानकारी भी पूरी तरह से गोपनीय रहेगी.
HIV पॉजिविट दंपत्ति के होंगे स्वस्थ बच्चे
इसके आगे डॉक्टर शैलेंद्र ने बताया एचआईवी पॉजिटिव युवक और युवतियों को जीवन के प्रति प्रेरित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग आगे आया है. उन्होंने बताया कि अगर दो एचआईवी पॉजिटिव लोग शादी करते हैं तो ये बिलकुल जरूरी नहीं की उनके बच्चे भी एचआईवी से पीड़ित हो.
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डॉक्टर ने बताया कि गर्भधारण से लेकर प्रसव तक सरकारी अस्पताल की डॉक्टरों की निगरानी में गर्भवती युवती को रहना होगा. इसके बाद बच्चे को करीब डेढ़ महीने तक एक खास सिरप दी जाएगी. जिससे बच्चा एचआईवी से ग्रसत नहीं होगा.
डिलीवरी से पहले के 24 हफ्ते हैं जरूरी
HIV संक्रमित मां-बाप से जन्मे बच्चे में एचआईवी संक्रमण की रोकथाम करने के लिए मां को डिलीवरी से 24 हफ्ते पहले इलाज शुरू करा देना चाहिए. ताकि बच्चे को एचआईवी के संक्रमण से बचाया जा सके. डिलीवरी के बाद बच्चे की 6 हफ्ते से लेकर 12 हफ्ते तक दवाई चलेंगी और अलग-अलग समस पर बच्चे के टेस्ट होते हैं. जो 6 महीने में और 18 महीने में होते हैं. इन टेस्ट से ये पता लगा सकते हैं कि बच्चे में HIV संक्रमण है या नहीं.
डिलीवरी के बाद मां का दूध न पिलाएं
जिस बच्चे को संक्रमण से बचाना है उसे डिलीवरी के बाद एचआई संक्रमित मां का दूध न पिलाकर अन्य तरह का दूध पिलाया जाए तो एचआईवी होने की संभावना को 20 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है. ऐसे में ये भी ध्यान रखना जरूरी है की बच्चे की दवाई समय पर चले और टेस्ट को कराते रहने चाहिए. मां को 24 हफ्ते दवाई चले और बच्चे को को 6 से 12 हफ्ते दवाई चले तो बच्चे में संक्रमण होने के चांसेस 40 से 50 प्रतिशत तक घट जाएंगे.
बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए 4 चीजों का रखें ध्यान
- बच्चे का सही समय पर इलाज शुरू कराना.
- बच्चे को मां का दूध न पिलाएं.
- समय-समय पर इलाज कराना जरूरी है.
- बच्चे के समय पर टेस्ट कराने जरूरी हैं.