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मलेरिया से बचना है तो घर में पालिए 'मच्छरों की दुश्मन' ये मछली !

जिनके घरों में खुली और बड़ी जगह है स्वास्थ्य विभाग उन्हें एक मछली पालने की सलाह दे रहा है. इस मछली का साइज छोटा होने के कारण इसे घरों में भी पाला जा सकता है. जिसका एक बेहद खास फायदा है.

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Published : Mar 6, 2020, 3:31 PM IST

gambusia fish is helping to decrease malaria and dengue mosquitoes egg
गंबूसिया मछली

कुरुक्षेत्र: लोगों का मानना है कि मछली खाने से सेहत दुरुस्त होती है, मगर आपको पता है मछली सिर्फ पाल लेने से भी सेहत दुरुस्त रहती है, जी हां, एक मछली है आप तक बीमारी फैलाने वाले मच्छरों से दूर रखती है. आम तौर पर इस मछली को लोग गंबूसिया मछली कहते हैं.

'मच्छर इस मछली से खौफ खाते हैं'

मच्छरों की दुश्मन कही जाने वाली गंबूसिया मछली के बारे में रोचक जानकारी लोग शायद नहीं जानते होंगे. इसका उपयोग ज्यादातर मच्छरों को नष्ट करने के लिए ही किया जाता है और ये दूसरी मछलियों की तुलना में नाले के पानी में भी जीवित रह लेती हैं. यह मीठे और साफ पानी में रहने वाली मछली है और बीमारी फैलाने वाले मच्छर इस मछली से खौफ खाते हैं.

मलेरिया से बचना है तो घर में पालिए 'मच्छरों की दुश्मन' ये मछली ! वीडियो

डेंगू और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. सरकार का लक्ष्य आने वाले कुछ समय में मलेरिया को जड़ से खत्म कर देना है. सरकार मच्छरों की रोकथाम के लिए हर जगह दवाइयों का छिड़काव भी करती है.

सरकार दे रही है गंबूसिया मछली पालने की सलाह

सरकार जैविक तरीके से मच्छरों की ब्रीडिंग को रोकने की भी कोशिश कर रही है. इसके लिए सरकार गंबूसिया मछली को हर उस जगह डालने की कोशिश कर रही है जहां मच्छर पैदा हो सकते हैं और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिनके घरों में खुली और बड़ी जगह हुए उन्हें यह मछली पालने की भी सलाह देती है. इस मछली का साइज छोटा होने के कारण इसे घरों में भी पाला जा सकता है.

हर रोज 300 मच्छरों का लारवा खाती है एक मछली

इस मछली का जीवनकाल लगभग 5 से 6 साल का होता है और यह प्रतिदिन 100 से 300 के बीच मच्छरों का लारवा खाती है. ये मछली पानी की ऊपरी सतह में रहती है और मच्छर जैसे ही पानी में अंडा देते हैं यह तुरंत उसे खा जाती है. सरकार की तरफ से इस मछली को पालने के लिए स्वास्थ्य विभाग से ले सकते हैं. घरों में छोटे गड्ढे एक्वेरियम मैं भी इस मछली को पाला जा सकता है.

क्या खास है इस मछली में?

  • इसे गटर गप्पी कहते हैं. इस मछली को लोग कहीं भी किसी भी प्रकार के तालाब, गड्ढे, नाली या गटर में डाल सकते हैं, जो मच्‍छर के लार्वा को खा जाएगी.
  • इस मछली का मुख्य भोजन मच्छरों का लार्वा है.
  • इस मछली की सबसे खास बात ये है कि यह अंडे नहीं देती, बल्कि बच्चे देती है. ये मछली तीन इंच तक लंबी होती है.
  • इस मछली के बच्‍चे दो mm होने पर भी मच्छरों के लार्वा को खाने लगते हैं.
  • गप्पी मछली 16 से 28 दिनों के अंतराल पर बच्चे देती है. और 14 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री तक बहुत ही आराम से रह जाती है.
  • गप्पी का बच्चा हो या बड़ी मछली ये अपने कुल भार का 40 फीसदी लार्वा 12 घंटे में खा सकती है.

कुरुक्षेत्र: लोगों का मानना है कि मछली खाने से सेहत दुरुस्त होती है, मगर आपको पता है मछली सिर्फ पाल लेने से भी सेहत दुरुस्त रहती है, जी हां, एक मछली है आप तक बीमारी फैलाने वाले मच्छरों से दूर रखती है. आम तौर पर इस मछली को लोग गंबूसिया मछली कहते हैं.

'मच्छर इस मछली से खौफ खाते हैं'

मच्छरों की दुश्मन कही जाने वाली गंबूसिया मछली के बारे में रोचक जानकारी लोग शायद नहीं जानते होंगे. इसका उपयोग ज्यादातर मच्छरों को नष्ट करने के लिए ही किया जाता है और ये दूसरी मछलियों की तुलना में नाले के पानी में भी जीवित रह लेती हैं. यह मीठे और साफ पानी में रहने वाली मछली है और बीमारी फैलाने वाले मच्छर इस मछली से खौफ खाते हैं.

मलेरिया से बचना है तो घर में पालिए 'मच्छरों की दुश्मन' ये मछली ! वीडियो

डेंगू और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. सरकार का लक्ष्य आने वाले कुछ समय में मलेरिया को जड़ से खत्म कर देना है. सरकार मच्छरों की रोकथाम के लिए हर जगह दवाइयों का छिड़काव भी करती है.

सरकार दे रही है गंबूसिया मछली पालने की सलाह

सरकार जैविक तरीके से मच्छरों की ब्रीडिंग को रोकने की भी कोशिश कर रही है. इसके लिए सरकार गंबूसिया मछली को हर उस जगह डालने की कोशिश कर रही है जहां मच्छर पैदा हो सकते हैं और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिनके घरों में खुली और बड़ी जगह हुए उन्हें यह मछली पालने की भी सलाह देती है. इस मछली का साइज छोटा होने के कारण इसे घरों में भी पाला जा सकता है.

हर रोज 300 मच्छरों का लारवा खाती है एक मछली

इस मछली का जीवनकाल लगभग 5 से 6 साल का होता है और यह प्रतिदिन 100 से 300 के बीच मच्छरों का लारवा खाती है. ये मछली पानी की ऊपरी सतह में रहती है और मच्छर जैसे ही पानी में अंडा देते हैं यह तुरंत उसे खा जाती है. सरकार की तरफ से इस मछली को पालने के लिए स्वास्थ्य विभाग से ले सकते हैं. घरों में छोटे गड्ढे एक्वेरियम मैं भी इस मछली को पाला जा सकता है.

क्या खास है इस मछली में?

  • इसे गटर गप्पी कहते हैं. इस मछली को लोग कहीं भी किसी भी प्रकार के तालाब, गड्ढे, नाली या गटर में डाल सकते हैं, जो मच्‍छर के लार्वा को खा जाएगी.
  • इस मछली का मुख्य भोजन मच्छरों का लार्वा है.
  • इस मछली की सबसे खास बात ये है कि यह अंडे नहीं देती, बल्कि बच्चे देती है. ये मछली तीन इंच तक लंबी होती है.
  • इस मछली के बच्‍चे दो mm होने पर भी मच्छरों के लार्वा को खाने लगते हैं.
  • गप्पी मछली 16 से 28 दिनों के अंतराल पर बच्चे देती है. और 14 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री तक बहुत ही आराम से रह जाती है.
  • गप्पी का बच्चा हो या बड़ी मछली ये अपने कुल भार का 40 फीसदी लार्वा 12 घंटे में खा सकती है.
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