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कुरुक्षेत्र में पिंडदान और कर्मकांड कराने वाले पंडितों की रोजी पर गहराया संकट

कुरुक्षेत्र में पिंडदान कराने वाले पंडितों की रोजी-रोटी पर भी खतरा मंडराने लगा है. जब से देश में लॉकडाउन लगा है, तब से यहां पर भी श्रद्धालु नहीं आ रहे है. अगर ऐसा ही रहा तो इन पंडितों के खाने के लाले पड़ जाएंगे.

crisis of livelihood of pandits who perform rituals in kurukshetra
crisis of livelihood of pandits who perform rituals in kurukshetra
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Published : May 12, 2020, 11:52 PM IST

कुरुक्षेत्र: प्रदेश के सभी जिलों की आर्थिक स्थिति किसी ना किसी व्यवसाय पर निर्भर है. इसी प्रकार धर्मनगरी की आर्धिक स्थिति यहां आने वाले पर्यटकों पर निर्भर है. कुरुक्षेत्र हरियाणा प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. हर साल यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री आते हैं. कुरुक्षेत्र जिले में ज्यादा कारखाने नहीं है. यहां की आय सिर्फ यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं पर टिकी है.

देशभर में गया के बाद कुरुक्षेत्र ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां अकाल मृत्यु मरने वाले लोगों के पिंडदान और कर्मकांड करने की प्रथा सालों से चली आ रही है. कर्मकांड करवाने वाले पंडितों पर भी इस लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा है. इनकी रोजी-रोटी पर भी ताला लग गया है.

कुरुक्षेत्र में पिंडदान और कर्मकांड कराने वाले पंडितों की रोजी पर गहराया संकट

ये भी पढ़ें:- Etv भारत पर लॉकडाउन के बीच ओलंपिक खिलाड़ी योगेश्वर दत्त ने दी फिटनेस टिप्स

कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर, जनहित सरोवर और सरस्वती नदी के घाट तमाम पंडित बैठे रहते हैं. देश-विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के कर्म कांड से ही इन पंडितों की आजीविका चलती है. लॉकडाउन के कारण यहां सब कुछ बंद है. अब तो यहां कोई श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहा है. जिस कारण इन पंडितों को भी काफी परेशानी हो रही है.

कुरुक्षेत्र: प्रदेश के सभी जिलों की आर्थिक स्थिति किसी ना किसी व्यवसाय पर निर्भर है. इसी प्रकार धर्मनगरी की आर्धिक स्थिति यहां आने वाले पर्यटकों पर निर्भर है. कुरुक्षेत्र हरियाणा प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. हर साल यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री आते हैं. कुरुक्षेत्र जिले में ज्यादा कारखाने नहीं है. यहां की आय सिर्फ यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं पर टिकी है.

देशभर में गया के बाद कुरुक्षेत्र ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां अकाल मृत्यु मरने वाले लोगों के पिंडदान और कर्मकांड करने की प्रथा सालों से चली आ रही है. कर्मकांड करवाने वाले पंडितों पर भी इस लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा है. इनकी रोजी-रोटी पर भी ताला लग गया है.

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