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हरियाणा के विश्वविद्यालयों में पारदर्शी नहीं कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया, सिलेक्शन में होता है राजनीतिक हस्तक्षेप!

हरियाणा प्रदेश में विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति सवारों के घेरे में है. शिक्षा क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति में जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो सही नहीं है. इसमें सीधे तौर पर राजनीतिक हस्तक्षेप होता है, जो उच्च शिक्षा के भविष्य के लिए ठीक नहीं है.

appointment process of Vice Chancellor in the Universities of Haryana
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Published : Mar 20, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Mar 21, 2021, 7:05 PM IST

कुरुक्षेत्र: हरियाणा के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति कितनी पारदर्शी है? साथ ही हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति को लेकर तय प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं?

इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने हरियाणा के कई शिक्षा विदों से बात की. शिक्षा क्षेत्र में कई पदों पर अहम सेवाओं दे चुके मदन मोहन गोयल कहते हैं कि हरियाणा में जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो दूसरे राज्यों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है और साफ कहें तो मुख्यमंत्री ही कुलपति की नियुक्ति करता है.

हरियाणा के विश्वविद्यालयों में पारदर्शी नहीं कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया, सिलेक्शन में होता है राजनीतिक हस्तक्षेप!

कैसे होती है विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति?

किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर सर्च कमेटी बनाई जाती है. सर्च कमेटी में 10 मेंबर होते हैं और वो 3 आवेदनकर्ताओं को कुलपति के पद के लिए सिलेक्ट करते हैं. उसके बाद उनका इंटरव्यू लेकर संबंधित रिपोर्ट को राज्य के गवर्नर को भेज दी जाती और राज्यपाल ही ये तय करते हैं कि विश्वविद्यालय का कुलपति कौन होगा.

ये भी पढे़ं- कैथल: संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पर लगे निजी स्वार्थ के लिए भर्तियां करने के आरोप

'मेरी नियुक्ति क्यों नहीं हुई ये सिर्फ सरकार बता सकती है'

इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अमरजीत सिंह से कहते हैं कि वो खुद भी कुरुक्षेत्र में कुलपति के पद के लिए आवेदन कर चुके हैं और उनकी सभी योग्यताएं पूरी होने के बावजूद भी उन्हें ये समझ नहीं आया कि उनका चयन क्यों नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इसका जवाब केवल सरकार दे सकती है. उनको तो यही लगता है कि उनकी नियुक्ति राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह नहीं हुई.

कुलपति की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप!

विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से चलाने में कुलपति का अहम रोल होता है. शैक्षणिक से लेकर प्रशासनिक फैसलों की जिम्मेदारी कुलपति के कंधों पर होती है. इसीलिए कुलपति की नियुक्ति में एक लंबी चयन प्रक्रिया होती है जिसका पालन करना बहुत जरूरी है. लेकिन मोटे तौर पर कहें तो हरियाणा में कुलपति की चयन प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रदेश की राजनीति शिक्षण संस्थानों को भी अपने लाभ के लिए प्रभावित कर रही है.

ये भी पढे़ं- CDLU के अनुबंधित प्राध्यापकों का प्रदर्शन, KU के कुलपति पर लगाए आरोप

कुरुक्षेत्र: हरियाणा के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति कितनी पारदर्शी है? साथ ही हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति को लेकर तय प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं?

इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने हरियाणा के कई शिक्षा विदों से बात की. शिक्षा क्षेत्र में कई पदों पर अहम सेवाओं दे चुके मदन मोहन गोयल कहते हैं कि हरियाणा में जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो दूसरे राज्यों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है और साफ कहें तो मुख्यमंत्री ही कुलपति की नियुक्ति करता है.

हरियाणा के विश्वविद्यालयों में पारदर्शी नहीं कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया, सिलेक्शन में होता है राजनीतिक हस्तक्षेप!

कैसे होती है विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति?

किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर सर्च कमेटी बनाई जाती है. सर्च कमेटी में 10 मेंबर होते हैं और वो 3 आवेदनकर्ताओं को कुलपति के पद के लिए सिलेक्ट करते हैं. उसके बाद उनका इंटरव्यू लेकर संबंधित रिपोर्ट को राज्य के गवर्नर को भेज दी जाती और राज्यपाल ही ये तय करते हैं कि विश्वविद्यालय का कुलपति कौन होगा.

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'मेरी नियुक्ति क्यों नहीं हुई ये सिर्फ सरकार बता सकती है'

इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अमरजीत सिंह से कहते हैं कि वो खुद भी कुरुक्षेत्र में कुलपति के पद के लिए आवेदन कर चुके हैं और उनकी सभी योग्यताएं पूरी होने के बावजूद भी उन्हें ये समझ नहीं आया कि उनका चयन क्यों नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इसका जवाब केवल सरकार दे सकती है. उनको तो यही लगता है कि उनकी नियुक्ति राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह नहीं हुई.

कुलपति की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप!

विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से चलाने में कुलपति का अहम रोल होता है. शैक्षणिक से लेकर प्रशासनिक फैसलों की जिम्मेदारी कुलपति के कंधों पर होती है. इसीलिए कुलपति की नियुक्ति में एक लंबी चयन प्रक्रिया होती है जिसका पालन करना बहुत जरूरी है. लेकिन मोटे तौर पर कहें तो हरियाणा में कुलपति की चयन प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रदेश की राजनीति शिक्षण संस्थानों को भी अपने लाभ के लिए प्रभावित कर रही है.

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Last Updated : Mar 21, 2021, 7:05 PM IST
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