कुरुक्षेत्र: कोरोना जैसी महामारी ने भारत ही नहीं विदेशों में भी हाहाकार मचाया हुआ था. जहां कोरोना के चलते दुनिया भर में लोग अपनी जान को गवा रहे थे, तो वहीं हजारों लाखों लोगों को उस दौरान कोरोना जैसी महामारी में अपने रोजगार से भी हाथ धोना पड़ा था. ऐसी ही एक कहानी दो सहेलियों की हम आज आपको बता रहे हैं. जिनके पति ने कोरोना काल में अपने रोजगार को खो दिया. जिसकी वजह से परिवार को आर्थिक तौर पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जहां कोरोना के आगे रोजगार के चलते दोनों सहेलियों के पति हताश हो चुके थे. जिसके बाद नारी शक्ति की मिसाल देती हुई दोनों सहेलियों ने जिम्मेदारियों का बोझ उठा लिया. दोनों महिलाओं के संघर्ष का सफर आसान नहीं था. लेकिन आर ये महिलाएं औरों को भी रोजगार देती है.
सरकार से मांगी मदद: हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र की शरणजीत कौर और रजवंत कौर की. शरणजीत कौर कुरुक्षेत्र के गांव ज्योतिसर की रहने वाली है. जबकि रजवंत कौर कुरुक्षेत्र के गांव दयालपुर की रहने वाली है. यह दोनों सहेलियां बहुत सी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. दोनों महिलाएं पिछले काफी समय से सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वयं सहायता ग्रुप से जुड़ी हुई थी. दोनों सहेलियों का विभाग के कार्यक्रमों में अक्सर मिलना होता था. लेकिन इन दोनों की आपस में कोई खास पहचान नहीं थी. जब दोनों के पतियों की कोरोना के दौरान नौकरी चली गई. तब इन्होंने स्वयं सहायता ग्रुप के जरिए सरकार की योजना हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत सरकार से रोजगार स्थापित करने के लिए आवेदन डाला.
लोन लेकर संघर्ष की शुरुआत: आवेदन करने के बाद सरकार की तरफ से इन दोनों महिलाओं को मिलकर काम करने के लिए सरकार ने 230000 राशि लोन के तौर पर आर्थिक सहायता दी. सरकार द्वारा इनको कुरुक्षेत्र के 13 सेक्टर में पंचायत भवन के अपनी रसोई ( कैंटीन ) स्थापित करने के लिए छोटी सी जगह दी. जहां पर उन्होंने अपनी अन्नपूर्णा के नाम से रसोई की शुरुआत की. जहां पर वह दोपहर का खाना बनाकर लोगों को खिलाते हैं. इनका बनाया खाना एकदम देसी होता है.
20 महिलाओं को हो रहा फायदा: शरणजीत कौर ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. हालांकि रणजीत कौर ने पढ़ाई में डबल पोस्ट ग्रेजुएशन की हुई है. लेकिन उसके बावजूद भी उसको कहीं भी सरकारी नौकरी नहीं मिली. नौकरी न मिलने के कारण वह अपने घर के कामकाज को ही संभालते लगी. उसको खाना बनाने में काफी दिलचस्पी थी. इसलिए हरियाणा सरकार की इस योजना के तहत रसोई खोलने का आवेदन डाला था. आज शरणजीत कौर और रजवंत कौर दोनों सहेलियों ने मिलकर अपने और अपने परिवार के लिए तो रोजगार स्थापित किया ही साथ में करीब 20 अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. जिससे इन दोनों के घर के साथ-साथ अन्य 20 महिलाओं के घर का भी गुजारा चल रहा है.
चुनौतीपूर्ण रहा सफर: शरणजीत कौर का कहना है कि काम शुरू करते समय उन्होंने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया. उन्होंने कहा कि गांव का माहौल होने की वजह से एकदम से शहर में ओन रोड काम करना आसान नहीं था. शुरुआती समय में वह चेहरा ढक कर काम करती थी. लेकिन जैसे-जैसे समय बीता तो वह अपने काम में बहुत व्यस्त हो गई. लेकिन आज उनकी रसोई के चर्चे कुरुक्षेत्र ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों के लोग भी करते हैं. क्योंकि शरणजीत कौर की रसोई में खाने का स्वाद एकदम घर जैसा है.
महिलाएं कर रही गुजारा: शरणजीत कौर की सहयोगी आशा रानी ने बताया कि साथ मिलकर रसोई का काम करती हैं. रसोई में करीब 20 महिलाएं काम कर रही हैं. उनका मानना है कि दोनों महिलाओं शरणजीत कौर और राजवंत ने मिलकर खुद के घर का गुजारा तो किया ही साथ ही बाकी महिलाओं को भी रोजगार दिया है. उन्होंने बताया कि शुरू में उन्हें भी सड़क पर अन्नपूर्णा आजीविका रसोई में काम करते हुए असहज महसूस होता था. लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ सब कुछ ठीक हो गया और आज उनकी रसोई में घर जैसा खाना बनता है. जिसके लिए महिलाएं मिलकर घर का आटा व मसाले तैयार करती हैं. यहां पर काम करने वाली सभी महिलाएं ही हैं. जिसकी वजह से उनको काम करने में सुरक्षित महसूस होता है.