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हरियाणा: जिंदा रहे तो 'सांस' मुश्किल हो गई, मर गए तो चिता महंगी

कोरोना महामारी की वजह से मरीजों की मौत की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसकी वजह से श्मशान घाटों में पहले से ज्यादा शव पहुंच रहे हैं. लिहाजा यहां अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों को दाम बढ़ गए हैं.

Wood become expensive cremation
Wood become expensive cremation
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Published : May 6, 2021, 2:07 PM IST

Updated : May 6, 2021, 2:35 PM IST

करनाल: कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित मरीजों और मौत का आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिससे श्मशान घाट में पहुंचने वाले की शवों की संख्या पहले से दोगुनी हो हो गई है. स्थिति ये है कि अब दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों की मांग भी बढ़ने लगी है.

ये भी पढ़ें- वेंटिलेटर पर सिस्टम! मौत के बाद भी मुश्किलें कम नहीं, श्मशान घाट में नहीं मिल रहे दाह संस्कार के लिए लोग

श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए 3 से 5 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं. करनाल निवासी राजेंद्र ने बताया कि वो लाखों रुपये अपनी बेटी के इलाज में लगा चुके हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो 3 हजार रुपये चुकाकर अंतिम संस्कार कर सकें. सामाजिक संस्था के सहयोग से वो अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर पाए.

महंगा हुआ 'अंतिम सफर'

राजेंद्र स्नेही ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि अंतिम संस्कार करने के लिए भी इतना खर्च करना पड़ेगा. कोरोना वायरस की वजह से एकदम से महंगाई बढ़ गई है. लकड़ी का भाव भी पहले से ज्यादा बढ़ गया है. राजेंद्र ने प्रशासन और सरकार से अपील की है कि कम से कम अंतिम संस्कार करने में तो थोड़ी रियायत जरूर करनी चाहिए, क्योंकि कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते. वो इतने पैसे देकर अंतिम संस्कार कैसे करेंगे.

कोरोना का ये कैसा कहर? जिंदा रहे तो 'सांस' महंगी हो गई, मर गए तो चिता मूल्यवान

लॉकडाउन के बाद से बढ़े लकड़ियों के दाम

आरा मशीन चलाने वाले व्यापारी हरसिमरन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से और कोरोना वायरस की वजह से उनका काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. कच्चा माल जो बाहर से आता है उसका रेट बढ़ गया है. जो सबसे हल्की लकड़ी होती है वो पहले 350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिलती थी, लेकिन अब उसका भाव 450 से लेकर 500 रुपये तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार पुण्य का काम होता है. इसलिए वो चाह कर भी इसमें कमाई नहीं कर पाते.

कोरोना से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा

व्यापारी हरसिमरन ने कहा कि अगर यही लकड़ी लोग किसी दूसरे काम में इस्तेमाल के लिए लेकर जाए तो वो 600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची जाती. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लकड़ी के दामों में उछाल आ गया है. करनाल जिले की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में रोजाना 8 से 10 लोग दम तोड़ रहे हैं. कोरोना वायरस से मरने वालों का अंतिम संस्कार बलड़ी बाईपास के श्मशान घाट में किया जाता है. गंभीर हालात को देखते हुए श्मशान घाट की जगह को बढ़ाया गया है.

ये भी पढ़ें- श्मशान घाट में नहाना, कपड़े धोना और महीनों तक परिवार से दूरी, ऐसी है कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने वालों की कहानी

नगर निगम करनाल के कमिश्नर विक्रम सिंह ने बताया कि पहले इस श्मशान घाट में लगभग 10 लोगों का अंतिम संस्कार एक साथ किया जा सकता था, लेकिन रोजाना मामले बढ़ रहे है और मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. इसलिए मामले को गंभीरता से लेते हुए इस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने के लिए लगभग 30 स्थान बनाए गए है. जिसमें एक साथ 30 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा सके और लोगों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े. इसके लिए एंबुलेंस की संख्या भी बढ़ाई गई है. एक शव के अंतिम संस्कार करने के लिए लगभग 3 से 5000 खर्च करना पड़ रहा है. जो पहले लगभग 1000 से ₹2000 खर्च होता था.

करनाल: कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित मरीजों और मौत का आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिससे श्मशान घाट में पहुंचने वाले की शवों की संख्या पहले से दोगुनी हो हो गई है. स्थिति ये है कि अब दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों की मांग भी बढ़ने लगी है.

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श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए 3 से 5 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं. करनाल निवासी राजेंद्र ने बताया कि वो लाखों रुपये अपनी बेटी के इलाज में लगा चुके हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो 3 हजार रुपये चुकाकर अंतिम संस्कार कर सकें. सामाजिक संस्था के सहयोग से वो अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर पाए.

महंगा हुआ 'अंतिम सफर'

राजेंद्र स्नेही ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि अंतिम संस्कार करने के लिए भी इतना खर्च करना पड़ेगा. कोरोना वायरस की वजह से एकदम से महंगाई बढ़ गई है. लकड़ी का भाव भी पहले से ज्यादा बढ़ गया है. राजेंद्र ने प्रशासन और सरकार से अपील की है कि कम से कम अंतिम संस्कार करने में तो थोड़ी रियायत जरूर करनी चाहिए, क्योंकि कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते. वो इतने पैसे देकर अंतिम संस्कार कैसे करेंगे.

कोरोना का ये कैसा कहर? जिंदा रहे तो 'सांस' महंगी हो गई, मर गए तो चिता मूल्यवान

लॉकडाउन के बाद से बढ़े लकड़ियों के दाम

आरा मशीन चलाने वाले व्यापारी हरसिमरन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से और कोरोना वायरस की वजह से उनका काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. कच्चा माल जो बाहर से आता है उसका रेट बढ़ गया है. जो सबसे हल्की लकड़ी होती है वो पहले 350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिलती थी, लेकिन अब उसका भाव 450 से लेकर 500 रुपये तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार पुण्य का काम होता है. इसलिए वो चाह कर भी इसमें कमाई नहीं कर पाते.

कोरोना से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा

व्यापारी हरसिमरन ने कहा कि अगर यही लकड़ी लोग किसी दूसरे काम में इस्तेमाल के लिए लेकर जाए तो वो 600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची जाती. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लकड़ी के दामों में उछाल आ गया है. करनाल जिले की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में रोजाना 8 से 10 लोग दम तोड़ रहे हैं. कोरोना वायरस से मरने वालों का अंतिम संस्कार बलड़ी बाईपास के श्मशान घाट में किया जाता है. गंभीर हालात को देखते हुए श्मशान घाट की जगह को बढ़ाया गया है.

ये भी पढ़ें- श्मशान घाट में नहाना, कपड़े धोना और महीनों तक परिवार से दूरी, ऐसी है कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने वालों की कहानी

नगर निगम करनाल के कमिश्नर विक्रम सिंह ने बताया कि पहले इस श्मशान घाट में लगभग 10 लोगों का अंतिम संस्कार एक साथ किया जा सकता था, लेकिन रोजाना मामले बढ़ रहे है और मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. इसलिए मामले को गंभीरता से लेते हुए इस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने के लिए लगभग 30 स्थान बनाए गए है. जिसमें एक साथ 30 लोगों का अंतिम संस्कार किया जा सके और लोगों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े. इसके लिए एंबुलेंस की संख्या भी बढ़ाई गई है. एक शव के अंतिम संस्कार करने के लिए लगभग 3 से 5000 खर्च करना पड़ रहा है. जो पहले लगभग 1000 से ₹2000 खर्च होता था.

Last Updated : May 6, 2021, 2:35 PM IST
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