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जानें कब है श्रावण पूर्णिमा 2023: चंद्र दोष से मुक्ति के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को पूर्णिमा पड़ रही है. पूर्णिमा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. कुछ लोगों में सावन पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ 30 अगस्त को पूर्णिमा मना रहे हैं, तो कुछ 31 अगस्त को, लेकिन इसका व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा.

shravan purnima 2023
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 29, 2023, 7:21 PM IST

Updated : Aug 30, 2023, 10:25 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. उसके आधार पर ही प्रत्येक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को पूर्णिमा पड़ रही है. पूर्णिमा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. सावन के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है. पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है.

ये भी पढ़ें- Kaleshwar Mahadev Temple: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भोलेनाथ का अद्भुत मंदिर, यहां बिना नंदी के विराजमान हैं शिवलिंग

वहीं सावन के महीने में आने वाली पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने के साथ भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती है. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने का बहुत ही ज्यादा फल मिलता है. माना जाता है कि जो भी मनुष्य पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करता है भगवान उसके सारे कष्ट और दोष दूर कर देते हैं.

पूर्णिमा का आरंभ: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त को है. इस दिन ही श्रावण पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10:58 मिनट से होगी, जबकि इसका समापन 31 अगस्त की सुबह 7:05 मिनट पर होगा. कुछ लोगों को सावन पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ 30 अगस्त को पूर्णिमा मना रहे हैं, तो कुछ 31 अगस्त को, लेकिन इसका व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा.

स्नान-दान का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए पूर्णिमा का स्नान 31 अगस्त को किया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इससे मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है. सावन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने का शुभ ब्रह्म मुहूर्त 31 अगस्त को सुबह 04.28 बजे से लेकर सुबह 05.13 बजे तक है. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करने का फल मिलता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.34 बजे से सुबह 09.10 तक है. इस दिन चंद्रोदय शाम 06.35 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है और इस दिन 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10.58 से रात 09.01 मिनट तक है. भद्रा काल खत्म होने के बाद राखी बांध सकते हैं. 30 अगस्त की रात 9:01 बजे के बाद करीब 12:00 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है. इसके बाद 31 अगस्त को सुबह पूर्णिमा तिथि 07.05 मिनट तक रहेगी, ऐसे में सुबह 05:42 मिनट से सुबह 07.05 के बीच राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है.

सावन महीने की पूर्णिमा का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया वैसे तो हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का महत्व होता है, लेकिन श्रावण महीने में आने वाली पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है. क्योंकि ये महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. श्रावण महीने में आने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष फल मिलता है. इस दिन व्रत रखने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है.

ये भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर भद्रा काल का साया, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से व्रत रखें और भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और साथ ही इस दिन व्रत रखने से इंसान के सभी पापों से मुक्ति मिलती है. उस इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जो भी इंसान इस दिन व्रत रखते हैं. उनकी सेहत अच्छी होती है. उनको भगवान भोलेनाथ बल बुद्धि देते हैं और लंबी आयु देते हैं. पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद दान करने का भी विशेष महत्व होता है. जो भी पूर्णिमा के दिन दान करता है. उसे इंसान को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.

पूर्णिमा के दिन पूजा का विधि विधान: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन जातक को सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी, कुंड या तालाब में स्नान करने चाहिए, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का सबसे ज्यादा महत्व मिलता है और स्नान करने के बाद दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर या कहीं आसपास के मंदिर में जाकर भगवान सत्यनारायण और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन भगवान सत्यनारायण को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन अगर जातक भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के बाद उनकी कथा भी करता है, तो उसका भी बहुत ही ज्यादा फल मिलता है.

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. उसके आधार पर ही प्रत्येक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को पूर्णिमा पड़ रही है. पूर्णिमा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. सावन के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है. पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है.

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वहीं सावन के महीने में आने वाली पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने के साथ भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना की जाती है. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने का बहुत ही ज्यादा फल मिलता है. माना जाता है कि जो भी मनुष्य पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करता है भगवान उसके सारे कष्ट और दोष दूर कर देते हैं.

पूर्णिमा का आरंभ: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त को है. इस दिन ही श्रावण पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10:58 मिनट से होगी, जबकि इसका समापन 31 अगस्त की सुबह 7:05 मिनट पर होगा. कुछ लोगों को सावन पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ 30 अगस्त को पूर्णिमा मना रहे हैं, तो कुछ 31 अगस्त को, लेकिन इसका व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा.

स्नान-दान का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए पूर्णिमा का स्नान 31 अगस्त को किया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इससे मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है. सावन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने का शुभ ब्रह्म मुहूर्त 31 अगस्त को सुबह 04.28 बजे से लेकर सुबह 05.13 बजे तक है. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करने का फल मिलता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.34 बजे से सुबह 09.10 तक है. इस दिन चंद्रोदय शाम 06.35 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है और इस दिन 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10.58 से रात 09.01 मिनट तक है. भद्रा काल खत्म होने के बाद राखी बांध सकते हैं. 30 अगस्त की रात 9:01 बजे के बाद करीब 12:00 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है. इसके बाद 31 अगस्त को सुबह पूर्णिमा तिथि 07.05 मिनट तक रहेगी, ऐसे में सुबह 05:42 मिनट से सुबह 07.05 के बीच राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है.

सावन महीने की पूर्णिमा का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया वैसे तो हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का महत्व होता है, लेकिन श्रावण महीने में आने वाली पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है. क्योंकि ये महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. श्रावण महीने में आने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष फल मिलता है. इस दिन व्रत रखने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से व्रत रखें और भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और साथ ही इस दिन व्रत रखने से इंसान के सभी पापों से मुक्ति मिलती है. उस इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जो भी इंसान इस दिन व्रत रखते हैं. उनकी सेहत अच्छी होती है. उनको भगवान भोलेनाथ बल बुद्धि देते हैं और लंबी आयु देते हैं. पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद दान करने का भी विशेष महत्व होता है. जो भी पूर्णिमा के दिन दान करता है. उसे इंसान को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.

पूर्णिमा के दिन पूजा का विधि विधान: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन जातक को सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी, कुंड या तालाब में स्नान करने चाहिए, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का सबसे ज्यादा महत्व मिलता है और स्नान करने के बाद दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर या कहीं आसपास के मंदिर में जाकर भगवान सत्यनारायण और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन भगवान सत्यनारायण को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन अगर जातक भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के बाद उनकी कथा भी करता है, तो उसका भी बहुत ही ज्यादा फल मिलता है.

Last Updated : Aug 30, 2023, 10:25 AM IST
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