करनाल: हरियाणा में बीते कई दिनों से बरसात जारी है. बरसात के कारण तापमान में भी गिरावट आई है. इससे जहां आमजन को गर्मी से राहत मिली है तो वहीं मक्की उगाने वाले किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं. हालात यह है कि किसान मंडियों में पिछले चार-पांच दिन से अपनी फसल लेकर बैठे हैं. लेकिन उनकी फसल बिक नहीं पा रही.
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लगातार जारी बरसात के कारण मक्की की फसल बरसाती पानी के कारण बार-बार भीग रही है. जिस कारण मक्की लगातार खराब हो रही है. वहीं, व्यापारी भी गीली मक्की खरीदने से परहेज कर रहे हैं. अगर व्यापारी सूखी मक्की नहीं खरीदते तो व्यापारियों को भी नुकसान होगा, इसलिए मक्की के सूखने का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल रोजाना हो रही तेज बारिश के कारण किसानों की मुश्किलें खत्म होती नजर नहीं आ रही है.
किसानों रमेश कुमार का कहना है कि बरसात से उनकी फसल लगातार खराब हो रही है. मंडी में भी कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते खुले आसमान के नीचे उनकी फसल भीग रही है. किसानों का यह भी कहना है कि सरकार ने मक्की के लिए 1960 रुपए का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है लेकिन उनकी फसल 1100 से लेकर 1700 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रही है. वह भी तब जब फसल बिल्कुल सूखी हो. बरसात में मक्की की फसल के गीले होने के चलते किसान मक्की को ओने-पौने दाम पर ही बेचने को मजबूर हो रहे हैं.
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किसानों ने कहा कि वो पिछले 4 दिन से लगातार मंडी में बैठे हैं लेकिन मक्की न सूखने के कारण बिक नहीं पा रही. अगर लागत की बात की जाए तो किसानों के हिसाब से प्रति एकड़ 22 हजार से 23 हजार मक्की की फसल पर खर्च आता है. जबकि फसल 18000 से 20 हजार में प्रति एकड़ के हिसाब से बिक रही है. ऐसे में किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 4000 से 5000 नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान मौसम की मार के साथ-साथ आवारा पशुओं से भी परेशान हैं. किसानों का कहना है की पशु लगातार उनकी मंडी में पड़ी फसल को खा रहे हैं.
मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी हरजीत सिंह का कहना है कि अब तक मंडी में 42 हजार क्विंटल मक्की की फसल आ चुकी है. अगर पिछले वर्ष की बात की जाए तो पिछले वर्ष 25000 क्विंटल मक्की की फसल मंडी में आई थी. ऐसे में यह पिछली बार से 17000 क्विंटल अधिक है. उन्होंने कहां की मक्की की फसल ओपन ऑक्शन पर बिक रही है. जिसमें 1175 रुपए प्रति क्विंटल से लेकर 1700 प्रति क्विंटल के हिसाब से मक्की की फसल बिक रही है.
उन्होंने कहा कि बरसात के कारण फसल की बिक्री में कुछ कमी आई है. क्योंकि फसल में अभी नमी है. जैसे ही फसल सूख जाएगी साथ के साथ फसल की बिक्री करा दी जाएगी. वहीं, जब उनसे अनाज मंडी में व्यवस्था को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि मंडी में मक्की की आवक ज्यादा है. जबकि अनाज मंडी में शेड दो ही हैं. जिसके चलते काफी परेशानी का सामना किया जा रहा है. मौसम ठीक होने पर मक्खी को सुखाकर किसान आसानी से बेच सकते हैं.
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