करनाल: जिले के 5 गांवों के चकबंदी का मामला एक बार फिर गर्मा गया है. रिकार्ड को ऑनलाइन किए जाने के विरोध में 5 गांवों के चकबंदी पीड़ित ग्रामीण (protest consolidation victims of 5 villages) एक बार फिर सड़कों पर उतर आए. करनाल के घरौंडा ब्लॉक के 5 गांव आराईपुरा, अमृतपुर कलां, लालूपुरा, कमालपुर तथा भरतपुर के ग्रामीणों ने सरकार द्वारा की गई चकबंदी के विरोध में जिला सचिवालय पर प्रदर्शन किया.
ग्रामीणों ने सरकार से घरौंडा एसडीएम (Demand to dismiss Gharaunda SDM) पर 5 दिन में कार्रवाई करने की मांग की है. ग्रामीणों ने सरकार व एसडीएम घरौंडा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों ने एसडीएम पर भू-माफिया के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए एसडीएम को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने जब ग्रामीणों को रोकने की कोशिश की तो पुलिस और ग्रामीण आपस में उलझ गए.
ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया. ग्रामीणों का आरोप है कि 5 गांव में लगभग 16 हजार 6 सौ 60 बीघा जमीन है. यह पूरी जमीन करीब 4000 एकड़ होती है. सरकार इस जमीन को ऑनलाइन रिकॉर्ड में चढ़ाने के नाम पर इसे भू-माफिया के हाथों में देना चाहती है. ग्रामीणों ने घरौंडा एसडीएम पर भू-माफियाओं के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया. ग्रामीणों ने सरकार से एसडीएम पर 5 दिन में कार्रवाई करने की मांग की है.
इस समय अवधि में सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो वे आगे की रणनीति बनाकर बड़े स्तर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. प्रदीप कालराम ने बताया कि 5 गांवों के चकबंदी पीड़ित ग्रामीण शांति से काम कर रहे थे. एसडीएम घरौंडा व प्रशासन ने मिलीभगत करके जमीन का रिकार्ड ऑनलाइन कर दिया. अब जमीन पर कब्जे की तैयारी की जा रही है. 5 गांव के चकबंदी पीड़ित ग्रामीण किसी भी कीमत पर ऑनलाइन रिकार्ड को बर्दास्त नहीं करेंगे.
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यदि प्रशासन ने ऑनलाइन रिकार्ड को ब्लॉक नहीं किया तो पांच गांवों के किसान अपने घरों को ताला लगाकर अपने बच्चों सहित गृह मंत्री अनिल विज के आवास पर धरना देंगे. बता दें कि चकबंदी पीड़ित किसानों की लड़ाई वर्ष 2012 से जारी है. किसानों ने जमीन वापस लेने के लिए कई बार धरने प्रदर्शन किए हैं. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली के विरोध में दो बार दिल्ली कूच भी किया. पहली बार वर्ष 2013 में ट्रेन से किसान दिल्ली पहुंचे थे वहीं दूसरी बार वर्ष 2014 में किसानों ने अपने घरों की तालाबंदी कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में अपना सामान लाद कर बच्चों के साथ दिल्ली की तरफ कूच किया था.