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Parivartini Ekadashi 2023: परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दिन बन रहे कई शुभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान

Parivartini Ekadashi 2023 Parivartini Ekadashi 2023 हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार का विशेष महत्व है. वहीं, हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का भी विशेष महात्म्य है. मान्यता है कि एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से भगवान विष्णु अपने भक्त की हर कामना पूर्ण करते हैं. इस साव 25 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत है. ऐसे में आइए जानते है परिवर्तिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि-विधान...(significance of Parivartini Ekadashi shubh muhurat)

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 20, 2023, 9:03 AM IST

Parivartini Ekadashi 2023 significance of Parivartini Ekadashi shubh muhurat
परिवर्तिनी एकादशी व्रत 2023

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों के गणना पंचांग के आधार पर की जाती है और उसके आधार पर ही प्रत्येक व्रत और त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया जाता है. परिवर्तिनी एकादशी का सभी एकादशियों में से सबसे ज्यादा महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार 25 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि, जो भी जातक ऐसा करते हैं उनके घर में सुख समृद्धि और धन आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विष्णु भगवान अपनी शयन अवस्था में करवट लेते हैं तो जानिए एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान...

परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'हिंदू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कहा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी का आरंभ 25 सितंबर को सुबह 7:55 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 26 सितंबर को अगले दिन सुबह 5:00 बजे होगा. इसलिए एकादशी का व्रत 25 सितंबर को ही रखा जाएगा. 26 सितंबर को भी एकादशी है. इसलिए इस वैष्णव व साधु संत लोग एकादशी का व्रत रखते हैं. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.'

पूजा-अर्चना के लिए शुभ समय: विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने का शुभ समय सुबह 9:12 शुरू होकर 10:42 बजे तक रहेगा जो सबसे शुभ मुहूर्त है. हिंदू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी के व्रत का पारण 26 सितंबर को दोपहर 1:25 बजे से 3:49 बजे तक है. एकादशी के दिन राहुकाल का समय भी रहेगा जो 25 सितंबर को सुबह 7:41 बजे से 9:12 बजे तक है. इस दौरान किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना करने से परहेज करें, क्योंकि राहुकाल के समय में की गई पूजा अर्चना मान्य नहीं होती.

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व: सनातन धर्म में परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह गणेश उत्सव में आती है. इसलिए इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना भी की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इस एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखता है, भगवान विष्णु उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और साथ ही यह व्रत रखने से यह भी मानता है कि उसे व्यक्ति को तीर्थ दर्शन के दौरान स्वर्ण दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन बहुत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का श्रृंगार करके डोली में यात्रा भी निकालते हैं, जिसके चलते इसको डोला ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है.

जल झूलनी एकादशी: कुछ राज्यों में इस एकादशी को जल झूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. वहीं, यह भी बताया जाता है कि चौमासा या चातुर्मास शुरू होते ही भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और अपने निद्रा अवस्था के दौरान इस दिन एकादशी को भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं. चातुर्मास उसको कहा जाता है, जिसमें किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के लिए कीर्तन भी किए जाते हैं और एकादशी की कथा भी सुनी जाती है.

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परिवर्तिनी एकादशी के दिन बन रहे चार शुभ योग: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार परिवर्तिनी एकादशी के दिन चार योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. 25 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा जो 11:55 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6:11 बजे तक रहेगा. उसके साथ ही सुकर्मा योग बनेगा जो 25 सितंबर को दोपहर बाद 3:23 बजे से शुरू होकर अगले दिन तक रहेगा. 25 सितंबर को सुबह 6:11 बजे से रवि योग भी शुरू हो रहा है जो 11:55 बजे तक रहेगा. वहीं, 26 तारीख को द्विपुष्कर योग बन रहा है जो 26 सितंबर को सुबह 9:42 बजे से शुरू होकर 1:44 बजे तक रहेगा. इसलिए यह काफी शुभ माना गया है.

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'एकादशी के दिन जातक को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान इत्यादि करने चाहिए उसके बाद साफ कपड़े पहन कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. एकादशी के दिन भगवान श्री गणेश की भी पूजा करें, विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने के दौरान सबसे पहले उनके मंदिर में देसी घी का दीपक जलाएं और उसके बाद उनको पीले रंग के फल फूल मिठाई और वस्त्र अर्पित करें. इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने का प्रण लें. ध्यान रहे एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखना होता है. सुबह शाम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और प्रसाद चढ़ाएं. शाम के समय गरीब, जरूरतमंद, गाय और ब्राह्मण को भोजन कराएं. एकादशी के दिन आप अपने घर पर भगवान विष्णु के लिए कीर्तन का आयोजन भी कर सकते हैं. पारण के समय भगवान विष्णु के आगे भोग लगाकर अपने व्रत का पारण कर लें.'

परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये काम हिंदू धर्म में एकादशी व्रत के दौरान कुछ चीजें पूर्णतया प्रतिबंधित बताई गई हैं. मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा एकादशी व्रत के दिन अनैतिक कार्य, मांस मदिरा और भोग विलास से से दूर रहना चाहिए.

ये भी पढ़ें: Aaj ka Panchang : आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, करें किसी शुभ काम की शुरुआत

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों के गणना पंचांग के आधार पर की जाती है और उसके आधार पर ही प्रत्येक व्रत और त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया जाता है. परिवर्तिनी एकादशी का सभी एकादशियों में से सबसे ज्यादा महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार 25 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि, जो भी जातक ऐसा करते हैं उनके घर में सुख समृद्धि और धन आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विष्णु भगवान अपनी शयन अवस्था में करवट लेते हैं तो जानिए एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान...

परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'हिंदू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कहा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी का आरंभ 25 सितंबर को सुबह 7:55 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 26 सितंबर को अगले दिन सुबह 5:00 बजे होगा. इसलिए एकादशी का व्रत 25 सितंबर को ही रखा जाएगा. 26 सितंबर को भी एकादशी है. इसलिए इस वैष्णव व साधु संत लोग एकादशी का व्रत रखते हैं. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.'

पूजा-अर्चना के लिए शुभ समय: विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने का शुभ समय सुबह 9:12 शुरू होकर 10:42 बजे तक रहेगा जो सबसे शुभ मुहूर्त है. हिंदू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी के व्रत का पारण 26 सितंबर को दोपहर 1:25 बजे से 3:49 बजे तक है. एकादशी के दिन राहुकाल का समय भी रहेगा जो 25 सितंबर को सुबह 7:41 बजे से 9:12 बजे तक है. इस दौरान किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना करने से परहेज करें, क्योंकि राहुकाल के समय में की गई पूजा अर्चना मान्य नहीं होती.

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व: सनातन धर्म में परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह गणेश उत्सव में आती है. इसलिए इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना भी की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इस एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखता है, भगवान विष्णु उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और साथ ही यह व्रत रखने से यह भी मानता है कि उसे व्यक्ति को तीर्थ दर्शन के दौरान स्वर्ण दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन बहुत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का श्रृंगार करके डोली में यात्रा भी निकालते हैं, जिसके चलते इसको डोला ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है.

जल झूलनी एकादशी: कुछ राज्यों में इस एकादशी को जल झूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. वहीं, यह भी बताया जाता है कि चौमासा या चातुर्मास शुरू होते ही भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और अपने निद्रा अवस्था के दौरान इस दिन एकादशी को भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं. चातुर्मास उसको कहा जाता है, जिसमें किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के लिए कीर्तन भी किए जाते हैं और एकादशी की कथा भी सुनी जाती है.

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परिवर्तिनी एकादशी के दिन बन रहे चार शुभ योग: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार परिवर्तिनी एकादशी के दिन चार योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. 25 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा जो 11:55 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6:11 बजे तक रहेगा. उसके साथ ही सुकर्मा योग बनेगा जो 25 सितंबर को दोपहर बाद 3:23 बजे से शुरू होकर अगले दिन तक रहेगा. 25 सितंबर को सुबह 6:11 बजे से रवि योग भी शुरू हो रहा है जो 11:55 बजे तक रहेगा. वहीं, 26 तारीख को द्विपुष्कर योग बन रहा है जो 26 सितंबर को सुबह 9:42 बजे से शुरू होकर 1:44 बजे तक रहेगा. इसलिए यह काफी शुभ माना गया है.

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 'एकादशी के दिन जातक को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान इत्यादि करने चाहिए उसके बाद साफ कपड़े पहन कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. एकादशी के दिन भगवान श्री गणेश की भी पूजा करें, विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने के दौरान सबसे पहले उनके मंदिर में देसी घी का दीपक जलाएं और उसके बाद उनको पीले रंग के फल फूल मिठाई और वस्त्र अर्पित करें. इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने का प्रण लें. ध्यान रहे एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखना होता है. सुबह शाम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और प्रसाद चढ़ाएं. शाम के समय गरीब, जरूरतमंद, गाय और ब्राह्मण को भोजन कराएं. एकादशी के दिन आप अपने घर पर भगवान विष्णु के लिए कीर्तन का आयोजन भी कर सकते हैं. पारण के समय भगवान विष्णु के आगे भोग लगाकर अपने व्रत का पारण कर लें.'

परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये काम हिंदू धर्म में एकादशी व्रत के दौरान कुछ चीजें पूर्णतया प्रतिबंधित बताई गई हैं. मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा एकादशी व्रत के दिन अनैतिक कार्य, मांस मदिरा और भोग विलास से से दूर रहना चाहिए.

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