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क्यों होती दुधारू पशुओं में बांझपन की समस्या, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

हमारे देश में आजकल डेयरी फार्मिंग का कारोबार काफी तेजी फल फूल रहा है. लेकिन कई बार इसमें भारी नुकसान भी होता है. इसका मुख्य कारण पशुओं का बांझपन है.

Infertility in milch animals
क्यों होती दुधारू पशुओं में बांझपन की समस्या, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके
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Published : May 27, 2022, 1:39 PM IST

करनाल: हमारे देश में लोग कृषि के साथ-साथ पशु पालन का भी काम करते हैं. इस वजह से भारत दुग्ध उत्पादन में दुनिया में पहले स्थान पर है. लेकिन समय के साथ-साथ अब पशुपालकों के सामने पशुपालन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. क्योंकि पशुओं में बांझपन की समस्या देखने को मिल रही (Infertility in milch animals) है. इससे पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके बाद पशुपालक को विवश होकर इन पशुओं को आधे दाम में बेचना पड़ता है.

करनाल के पशु चिकित्सा विभाग के वेटरनरी सर्जन डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि आजकल डेयरी फार्म का बिजनेस काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन कई बार इस में भारी नुकसान भी होता है. इसका मुख्य कारण पशुओं में बांझपन की समस्या का पैदा होना है. बांझ पशुओं को पालना एक आर्थिक बोझ होता है. देश में ऐसे जानवरों को पालने की बजाय पशुपालक बूचड़खाना में भेज देते हैं. अगर भारत की बात करें भारत में लगभग 30 प्रतिशत पशुओं में बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित मामले सामने आ रहे हैं.

क्या है पशुओं में बांझपन का कारण- डॉक्टर तरसेम राणा ने कहा कि पशुओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं. पशुओं में गर्भ धारण कर एक बच्चे को जन्म देने में विफलता होना, मादा पशुओं में कुपोषण का होना, हार्मोन्स का असंतुलन होना, किसी कारणवश पशुओं में संक्रमण होना या पशुपालकों के द्वारा उसका गलत प्रबंधन करना तमाम कारण हो सकते हैं.

राणा ने कहा कि पहले पशुओं में यह समस्या बहुत कम देखने को मिलती थी. क्योंकि कुछ सालों पहले चारे के लिए काफी जगह होती थी. उस दौरान लोग अपने पशुओं को चराने के लिए अलग अलग जगहों पर ले जाते थे लेकिन अब वह खत्म हो चुके हैं. इस वजह से पशुओं में यह समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि जब पशु जंगल या कहीं बाहर चरने के लिए जाते हैं तो ये घास के साथ-साथ अन्य जड़ी बूटियां भी खाते थे जिससे इनका स्वास्थ्य ठीक रहता था. लेकिन अब एक ही जगह पर बंधे रहने से पशुओं का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है जिसके चलते यह समस्या भी पशुओं में मिलनी शुरू हो गई है.

Infertility in milch animals
भारत में लगभग 30 प्रतिशत पशुओं में बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित मामले सामने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आज के समय में जितने भी पशुओं को चारा खिलाया जाता है सभी पेस्टीसाइड वाला चारा होता है. जैसे ही इंसानों के स्वास्थ्य पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इसी तरीके से पशुओं पर भी उसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण बांझपन की समस्या में पैदा हो रही है. आजकल किसान अपने पशुओं को जो फूड खिलाते हैं वह कोई पशु पालन विभाग के द्वारा सर्टिफाइड ना होकर अन्य दूसरे फूड खिला देते हैं जिसके चलते पशुओं पर उसका विपरीत असर पड़ता है. पशुओं को वही फूड खिलाना चाहिए जो विभाग द्वारा सर्टिफाइड हो ताकि पशुओं स्वास्थ्य अच्छा बना रहे.
Infertility in milch animals
पशुओं काइलाज अच्छे पशु चिकित्सक से करवाएं
क्या है पशुओं को बांझपन से बचाने के तरीके- डॉक्टर राणा ने कहा कि सबसे पहले पशुपालक अपने पशुओं का इलाज अच्छे पशु चिकित्सक से करवाएं जिससे उनको यह पता लगे कि उनके पशुओं में बांझपन का मुख्य कारण क्या है. इसमें कई तरीके के ट्रीटमेंट पशु को दिए जाते हैं जिससे पशु ठीक हो जाते हैं. अगर पशु कामोत्तेजना नहीं दिखाते हैं या फिर जिन्हें यौन चक्कर नहीं आ रहे हो तो उनकी जांच समय रहते पशु चिकित्सक से करवाएं.
Infertility in milch animals
पहले पशुओं में बांझपन की समस्या बहुत कम देखने को मिलती थी
डॉक्टर राणा ने कहा कि पशुओं को खाने में ऊर्जा के साथ प्रोटीन खनिज विटामिन वाला संतुलित आहार देना चाहिए यह गर्भाधान की दर में वृद्धि करता है. इसके अलावा जब किसी पशु में गर्भाधान हो जाता है तब 70 से 90 दिन के बाद गर्भ अवस्था की पुष्टि के लिए पशुओं की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पशुओं को बांध कर रखने की बजाय खुले में रखना चाहिए. ऐसे में पशु पालकों के सामने यह समस्या नहीं आएगी.

उन्होंने कहा कि अगर किसी पशु में समस्या आ रही है तो उसको खुले में छोड़कर रखें जिससे यह समस्या दूर हो सकती है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि कुपोषण के चलते पशुओं में बांझपन के कारण बनते जाते हैं इसलिए उसको पौस्टिक चारा और फिर देनी चाहिए जिससे उसका स्वास्थ्य दुरुस्त होगा तो यह समस्या पैदा नहीं होगी. पशुओं में बांझपन की समस्या आती है. अगर समय रहते वह अपनी पशु की इन तरीकों से प्रबंधन करें तो वह इस समस्या से निजात पा सकते हैं.

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करनाल: हमारे देश में लोग कृषि के साथ-साथ पशु पालन का भी काम करते हैं. इस वजह से भारत दुग्ध उत्पादन में दुनिया में पहले स्थान पर है. लेकिन समय के साथ-साथ अब पशुपालकों के सामने पशुपालन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. क्योंकि पशुओं में बांझपन की समस्या देखने को मिल रही (Infertility in milch animals) है. इससे पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके बाद पशुपालक को विवश होकर इन पशुओं को आधे दाम में बेचना पड़ता है.

करनाल के पशु चिकित्सा विभाग के वेटरनरी सर्जन डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि आजकल डेयरी फार्म का बिजनेस काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन कई बार इस में भारी नुकसान भी होता है. इसका मुख्य कारण पशुओं में बांझपन की समस्या का पैदा होना है. बांझ पशुओं को पालना एक आर्थिक बोझ होता है. देश में ऐसे जानवरों को पालने की बजाय पशुपालक बूचड़खाना में भेज देते हैं. अगर भारत की बात करें भारत में लगभग 30 प्रतिशत पशुओं में बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित मामले सामने आ रहे हैं.

क्या है पशुओं में बांझपन का कारण- डॉक्टर तरसेम राणा ने कहा कि पशुओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं. पशुओं में गर्भ धारण कर एक बच्चे को जन्म देने में विफलता होना, मादा पशुओं में कुपोषण का होना, हार्मोन्स का असंतुलन होना, किसी कारणवश पशुओं में संक्रमण होना या पशुपालकों के द्वारा उसका गलत प्रबंधन करना तमाम कारण हो सकते हैं.

राणा ने कहा कि पहले पशुओं में यह समस्या बहुत कम देखने को मिलती थी. क्योंकि कुछ सालों पहले चारे के लिए काफी जगह होती थी. उस दौरान लोग अपने पशुओं को चराने के लिए अलग अलग जगहों पर ले जाते थे लेकिन अब वह खत्म हो चुके हैं. इस वजह से पशुओं में यह समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि जब पशु जंगल या कहीं बाहर चरने के लिए जाते हैं तो ये घास के साथ-साथ अन्य जड़ी बूटियां भी खाते थे जिससे इनका स्वास्थ्य ठीक रहता था. लेकिन अब एक ही जगह पर बंधे रहने से पशुओं का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है जिसके चलते यह समस्या भी पशुओं में मिलनी शुरू हो गई है.

Infertility in milch animals
भारत में लगभग 30 प्रतिशत पशुओं में बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित मामले सामने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आज के समय में जितने भी पशुओं को चारा खिलाया जाता है सभी पेस्टीसाइड वाला चारा होता है. जैसे ही इंसानों के स्वास्थ्य पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इसी तरीके से पशुओं पर भी उसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण बांझपन की समस्या में पैदा हो रही है. आजकल किसान अपने पशुओं को जो फूड खिलाते हैं वह कोई पशु पालन विभाग के द्वारा सर्टिफाइड ना होकर अन्य दूसरे फूड खिला देते हैं जिसके चलते पशुओं पर उसका विपरीत असर पड़ता है. पशुओं को वही फूड खिलाना चाहिए जो विभाग द्वारा सर्टिफाइड हो ताकि पशुओं स्वास्थ्य अच्छा बना रहे.
Infertility in milch animals
पशुओं काइलाज अच्छे पशु चिकित्सक से करवाएं
क्या है पशुओं को बांझपन से बचाने के तरीके- डॉक्टर राणा ने कहा कि सबसे पहले पशुपालक अपने पशुओं का इलाज अच्छे पशु चिकित्सक से करवाएं जिससे उनको यह पता लगे कि उनके पशुओं में बांझपन का मुख्य कारण क्या है. इसमें कई तरीके के ट्रीटमेंट पशु को दिए जाते हैं जिससे पशु ठीक हो जाते हैं. अगर पशु कामोत्तेजना नहीं दिखाते हैं या फिर जिन्हें यौन चक्कर नहीं आ रहे हो तो उनकी जांच समय रहते पशु चिकित्सक से करवाएं.
Infertility in milch animals
पहले पशुओं में बांझपन की समस्या बहुत कम देखने को मिलती थी
डॉक्टर राणा ने कहा कि पशुओं को खाने में ऊर्जा के साथ प्रोटीन खनिज विटामिन वाला संतुलित आहार देना चाहिए यह गर्भाधान की दर में वृद्धि करता है. इसके अलावा जब किसी पशु में गर्भाधान हो जाता है तब 70 से 90 दिन के बाद गर्भ अवस्था की पुष्टि के लिए पशुओं की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पशुओं को बांध कर रखने की बजाय खुले में रखना चाहिए. ऐसे में पशु पालकों के सामने यह समस्या नहीं आएगी.

उन्होंने कहा कि अगर किसी पशु में समस्या आ रही है तो उसको खुले में छोड़कर रखें जिससे यह समस्या दूर हो सकती है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि कुपोषण के चलते पशुओं में बांझपन के कारण बनते जाते हैं इसलिए उसको पौस्टिक चारा और फिर देनी चाहिए जिससे उसका स्वास्थ्य दुरुस्त होगा तो यह समस्या पैदा नहीं होगी. पशुओं में बांझपन की समस्या आती है. अगर समय रहते वह अपनी पशु की इन तरीकों से प्रबंधन करें तो वह इस समस्या से निजात पा सकते हैं.

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