करनाल: देश में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है, क्योंकि नमी की भरपाई से किसानों ने ज्यादा क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की है. करनाल के गेहूं एवं जौ संस्थान (National Institute of Wheat and Barley in Karnal) ने इस वर्ष गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद जताई है. पिछले वर्ष अधिक गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में थोड़ी कमी दर्ज की गई थी. गेहूं के ज्यादा उत्पादन के चलते मई में लगी गेहूं निर्यात पर रोक को हटाने पर भी सरकार विचार कर सकती है. इसके साथ ही उच्च खुदरा महंगाई पर चिंताओं को कम करने में भी मदद मिलेगी.
करनाल के राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार गेहूं का उत्पादन क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी बढ़ा है. उच्च तकनीक के चलते देश के बंजर इलाकों में भी गेहूं उत्पादन के आसार बने हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार के मुकाबले इस बार 31.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई होने जा रही है. यह पिछले वर्ष के मुकाबले 1.5 मिलियन हेक्टेयर अधिक है.
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यही कारण है कि इस वर्ष हम 112 मिलियन गेहूं के (produce 112 million tonnes Wheat) उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. इस बार मौसम को देखते हुए जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं, उसे देखकर लगता है कि हम यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार बीमारी की संभावना भी बहुत कम है. डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित नई किस्मों को इस बार 70% से अधिक किसानों ने अपनाया है.
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ये जलवायु प्रतिरोधी और बीमारी रहित हैं. उन्होंने कहा कि इस बार मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में गेहूं का रकबा बढ़ा है. संस्थान के निदेशक सिंह ने बताया कि उनके संस्थान ने एक ऐसी रोटरी ड्रिल मशीन विकसित की है, जो हर तरह के अनाज अवशेष को खेत में ही मिला देता है. इसके साथ हम सीधी बुवाई कर काफी बचत कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से पर्यावरण भी बचेगा, साथ ही खेत को खाद भी मिलेगी.