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किसानों को इस साल मिलेंगी गेहूं की चार नई किस्में, 112 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद, जानें इन किस्मों की खासियत

इस बार देश में गेहूं की रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना है. किसानों को इस वर्ष गेहूं की चार नई किस्में मिलेंगी. गेहूं की ये चार किस्में क्वालिटी और उत्पादन के साथ-साथ क्लाइमेट चेंज से लड़ने में सक्षम भी होंगी.

four new varieties of wheat in Haryana
four new varieties of wheat in Haryana
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Published : May 17, 2023, 5:55 PM IST

किसानों को इस साल मिलेंगी गेहूं की चार नई किस्में

करनाल: देश में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की संभावना है. कम तापमान, गेहूं की उन्नत किस्मों की बुवाई और वातावरण के साथ से देश में गेहूं उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड कायम होने जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा जारी दूसरे अनुमान के अनुसार देश में गेहूं का उत्पादन 112 मिलियन टन होने की संभावना है. वहीं, इस बार किसान को गेहूं की चार किस्में मिलेंगी.

34 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं: राष्ट्रीय गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया इस बार देश में कुल 34 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हुई थी. इस बार कुल उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहेगा. क्योंकि मार्च के अंत में मौसम में जो परिवर्तन आया था, उसका गेहूं की फसल पर ज्यादा असर नहीं हुआ. इस बार प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन 35 क्विंटल से ऊपर रहेगा. हमने जो पहले 112 मिलियन टन उत्पादन का आंकड़ा सोचा था, हम उसके ऊपर जा सकते हैं.

गेहूं की क्वालिटी इस बार अच्छी रहेगी: डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप ने कहा खराब मौसम के कारण इस बार गेहूं की क्वालिटी को लेकर जो आशंकाएं थी, वह भी गलत साबित हुई है. कुछ छोटे पॉकेट्स को छोड़कर गेहूं की क्वालिटी इस बार अच्छी है. नमी का प्रतिशत भी 9 से 10% है, जो गेहूं की स्टोरेज के लिए आदर्श माना जाता है. इस बार गेहूं की 4 नई किस्में किसानों तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं. जिसमें डीबीडब्ल्यू 370, 371, 372 और डीबीडब्ल्यू 360 शामिल है. गेहूं की यह किस्में न केवल अधिक उत्पादन देंगी, बल्कि यह बायो फोर्टिफाइड, बीमारी रोधी और क्लाइमेट चेंज से लड़ने में भी सक्षम हैं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में धान की सीधी बिजाई करने पर मिल रहे हैं 4 हजार रुपये प्रति एकड़, रजिस्ट्रेशन जारी

सीड ट्रेसीबिलिटी पोर्टल बनाया गया: डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप ने कहा भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एक सीड ट्रेसीबिलिटी पोर्टल बनाया है. जिसमें गेहूं के बीज को संस्थान से लेकर किसान तक पहुंचने की प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सकेगा. इससे जहां वैरायटी की जेनेटिक शुध्दता कायम रहेगी और अगर बीच में कहीं कुछ गड़बड़ होगा तो, उसको भी ट्रैक किया जा सकेगा. निदेशक ने कहा गेहूं के अधिक उत्पादन के इस बार जो कारण रहे, उसमें बारिश से पहले दाना बन चुका था. फसल गिरने से दाने के साइज पर कोई खास असर नहीं हुआ. साथ ही बारिश के कारण तापमान कम रहा. जिसकी वजह से गेहूं की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है.

किसानों को इस साल मिलेंगी गेहूं की चार नई किस्में

करनाल: देश में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की संभावना है. कम तापमान, गेहूं की उन्नत किस्मों की बुवाई और वातावरण के साथ से देश में गेहूं उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड कायम होने जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा जारी दूसरे अनुमान के अनुसार देश में गेहूं का उत्पादन 112 मिलियन टन होने की संभावना है. वहीं, इस बार किसान को गेहूं की चार किस्में मिलेंगी.

34 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं: राष्ट्रीय गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया इस बार देश में कुल 34 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हुई थी. इस बार कुल उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहेगा. क्योंकि मार्च के अंत में मौसम में जो परिवर्तन आया था, उसका गेहूं की फसल पर ज्यादा असर नहीं हुआ. इस बार प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन 35 क्विंटल से ऊपर रहेगा. हमने जो पहले 112 मिलियन टन उत्पादन का आंकड़ा सोचा था, हम उसके ऊपर जा सकते हैं.

गेहूं की क्वालिटी इस बार अच्छी रहेगी: डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप ने कहा खराब मौसम के कारण इस बार गेहूं की क्वालिटी को लेकर जो आशंकाएं थी, वह भी गलत साबित हुई है. कुछ छोटे पॉकेट्स को छोड़कर गेहूं की क्वालिटी इस बार अच्छी है. नमी का प्रतिशत भी 9 से 10% है, जो गेहूं की स्टोरेज के लिए आदर्श माना जाता है. इस बार गेहूं की 4 नई किस्में किसानों तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं. जिसमें डीबीडब्ल्यू 370, 371, 372 और डीबीडब्ल्यू 360 शामिल है. गेहूं की यह किस्में न केवल अधिक उत्पादन देंगी, बल्कि यह बायो फोर्टिफाइड, बीमारी रोधी और क्लाइमेट चेंज से लड़ने में भी सक्षम हैं.

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सीड ट्रेसीबिलिटी पोर्टल बनाया गया: डॉ ज्ञानेंद्र प्रताप ने कहा भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एक सीड ट्रेसीबिलिटी पोर्टल बनाया है. जिसमें गेहूं के बीज को संस्थान से लेकर किसान तक पहुंचने की प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सकेगा. इससे जहां वैरायटी की जेनेटिक शुध्दता कायम रहेगी और अगर बीच में कहीं कुछ गड़बड़ होगा तो, उसको भी ट्रैक किया जा सकेगा. निदेशक ने कहा गेहूं के अधिक उत्पादन के इस बार जो कारण रहे, उसमें बारिश से पहले दाना बन चुका था. फसल गिरने से दाने के साइज पर कोई खास असर नहीं हुआ. साथ ही बारिश के कारण तापमान कम रहा. जिसकी वजह से गेहूं की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है.

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