करनाल: हिंदू धर्म में नवरात्रि की काफी मान्यता है और नवरात्रों के इन 9 दिनों के दौरान माता रानी का विशेष पूजन किया जाता है. ऐसे में अपने परिवार में सुख समृद्धि बनाए रखने और परिवार में धन वृद्धि के लिए नवरात्रों में माता रानी के 9 स्वरूपों का पूजन किया जाता है. इस बार 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि 2023 की शुरुआत हो रही है. इस दौरान भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए अपने मंदिर को सजाते हैं और कई प्रकार के शुभ कार्य करते हैं. नवरात्रि के पहले दिन माता रानी के मंदिर में कलश की स्थापना की जाती है.
पंडित विश्वनाथ ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रों में पहले दिन देवी देवताओं का आह्वान कर माता रानी के दरबार में कलश की स्थापना की जाती है. कलश की स्थापना करने से पहले माता रानी के दरबार को सजा लेना चाहिए. आपको बता दें कि माता रानी के दरबार में कलश को स्थापित करने के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है. जहां पर हमें कलश स्थापित करना चाहिए.
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पहले वहां पर गंगाजल के छींटे देकर उसे शुद्ध करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार कलश स्थापना से पहले हमें मिट्टी से भरे एक बड़े बर्तन को लेकर उसमें मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बो देने चाहिए और उसके बाद उस पर थोड़ी मिट्टी डाल देनी चाहिए. नवरात्रि में माता रानी के दरबार में जौ उगाना काफी लाभकारी माना जाता है. उसके बाद एक कलश लेना चाहिए. अगर कलश मिट्टी से बना हुआ है तो वह ज्यादा बेहतर होता है.
मौजूदा समय में तांबा, पीतल व स्टील के कलश बाजार में मिल रहे हैं. उन्हें भी माता रानी के दरबार में स्थापित कर सकते हैं. कलश को सजा कर तैयार करना चाहिए. कलश पर मौली बांधनी चाहिए और कलश पात्र पर तिलक लगाना चाहिए. इसके बाद कलश में स्वच्छ पानी या गंगा जल भरें. कलश में चंदन, सुपारी, इत्र, दुर्वा घास और एक सिक्का डाल दें. उसके बाद कलश के किनारों पर अशोक या आम के पांच पत्ते लेकर रखें और उसको कलश के ढक्कन से ढक दें.
इस पर एक नारियल को लाल चुन्नी और मौली के साथ बांधे या उस नारियल पर इसको लपेट दें. इस चुन्नी में एक सिक्का भी रखना चाहिए. इन सभी चीजों को तैयार करने के उपरांत जिस बर्तन में हमने जौ के बीज डाले थे, उस पात्र को रख दें और उसके ऊपर इस कलश को स्थापित कर दें और उसको ढक्कन के साथ ढक दें. ढक्कन से ढकने के बाद उसके ऊपर नारियल रखना चाहिए.
इसके बाद कलश को स्थापित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- 'ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दवरू। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः'. यह सभी कार्य करने के बाद भक्तों को देवी देवताओं का आह्वान करके नवरात्रि का पूजन शुरू करना चाहिए. इस दौरान यह ध्यान रखे कि यह कलश 9 दिनों तक माता रानी के दरबार में स्थापित रहेगा. और इसमें जरूरत अनुसार गंगाजल डालते रहें. ध्यान रखें कि कलश सोने-चांदी, मिट्टी, तांबे या स्टील का हो लेकिन लोहे का कलश पूजा में कभी नहीं रखा जाता है. इसलिए आप भी ऐसी गलती ना करें. अगर ऐसा करते हैं तो उसका अशुभ फल मिलता है.