करनाल: मॉनसून नजदीक है, लिहाजा प्रदेश के किसान धान की रोपाई की तैयारी कर रहे हैं. उनकी गेहूं की फसल ओलावृष्टी और तूफान की वजह से पहले ही 40 प्रतिशत तक बर्बाद हो चुकी है. अब लॉकडाउन की वजह से धान की रोपाई अधर में लकटती दिखाई दे रही है.
इसकी बड़ी वजह ये भी है कि किसानों को बीज महंगे दामों पर मिल रहे हैं. 40 से 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब मिलने वाला बीज अब 90 से 100 रुपये किलो में भी किसानों को आसानी से नहीं मिल रहा. जो बीज मिल भी रहा है उसके दाम दोगुने हो चुके हैं. किसानों के सामने बड़ी समस्या मजदूरों का ना मिलना है.
इतना ही नहीं बाजार में मुनाफाखोरी का धंधा जोरों से चल रहा है. आर्थिक संकट की मार से जूझ रहे धरतीपुत्रों के धान की बुआई करना मुश्किल हो रहा है. वहीं कृषि-किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक आदित्य डबास बाजार में मुनाफाखोरी की बात को नकारते नजर आए. उन्होंने किसानों से आग्रह किया है कि किसान धान की एक ही किस्म के पीछे ना भागे. बाकि कई सारी किस्मों का इस्तेमाल कर वो ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
किसानों की टूटती उम्मीद!
कृषि और किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक आदित्य डबास ने बताया कि किसान 15 जून से पहले धान की रोपाई ना करें. करनाल जिले में 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर धान की रोपाई का एरिया है. इस बार कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से मजदूरों की कमी है. इसलिए बासमती धान लगाने में 10% एरिया की कमी आएगी. क्योंकि बासमती की कटाई सिर्फ मजदूरों के माध्यम से ही होती है.
कृषि-कल्याण विभाग के उप निदेशक किसानों को धान की सीधी बिजाई करने की सलाह दे रहे हैं. सीधी बिजाई में 25 से 30% पानी की बचत के साथ-साथ मजदूरों की भी जरूरत नहीं रहती है. आदित्य डब्बास ने बताया कि ये किसानों के अंदर एक भ्रम है कि धान की सीधी बिजाई उसकी पैदावार कम होती है. जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
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हरियाणा में धान की खेती पूरी तरह मजदूरों पर निर्भर होती है. मजदूरों के पलायन की वजह से धान की खेती पर संकट मंडरा रहा है...अगर धान की रोपाई नहीं हुई तो किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएगा.