करनाल: मौजूदा समय में हरियाणा सहित दूसरे राज्यों के छात्र बेरोजगारी के चलते हैं विदेशों की तरफ रुख करने लगे हैं विदेशों में पढ़ाई करने जाने के लिए सबसे पहली पसंद ऑस्ट्रेलिया को भारत के छात्र रखते हैं. छात्र वहां पर जाकर पढ़ाई के साथ-साथ पैसा भी कमाते हैं जिसे वह कुछ ही सालों में विदेश में रहकर अच्छा पैसा कमा कर खुद भी सेटल हो जाते हैं और अपने परिवार जो भारत में रह रहा है उनके लिए भी अच्छा पैसा भेज देते हैं. मौजूदा समय में 12वीं पास करने वाले छात्र ज्यादातर यहां पर नौकरी लेने की बजाय विदेशों में ही जाना पसंद करते हैं. कुछ दशक पहले यह चलन सिर्फ पंजाब में दिखाई देता था, लेकिन अब हरियाणा ने पंजाब को भी विदेशों में जाने के मामले में पीछे छोड़ दिया है.
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हर साल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं हजारों युवा ऑस्ट्रेलिया: युवाओं की अगर बात युवा 12वीं की परीक्षा देने के बाद से ही हरियाणा में भारत में नौकरी की तैयारी करने के बजाए विदेश में जाने के लिए इमीग्रेशन इंस्टीट्यूट पर हाइलाइट्स और पीटीई करने जाते हैं. जिसके चलते हरियाणा में गांव के गांव खाली हो गए हैं और इसमें युवाओं के बाहर जाने की सबसे पहली पसंद ऑस्ट्रेलिया होती है. पूरे हरियाणा में करनाल और कुरुक्षेत्र इमीग्रेशन इंस्टीट्यूट का हब बन गया है. और इन दोनों जिलों में करीब 500 के आस पास इमीग्रेशन इंस्टीट्यूट चल रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया की कुछ यूनिवर्सिटीज ने भारत पांच राज्य के छात्रों को किया बैन: पिछले कुछ समय से एक खबर पूरे भारत में फैली हुई है कि ऑस्ट्रेलिया की कुछ यूनिवर्सिटी ने भारत के कुछ राज्यों के छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने से मना कर दिया है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया में भारत से बड़े स्तर पर जाकर पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के 5 स्टेट के छात्रों को बैन करने से जो छात्र भविष्य में वहां जाना चाहते थे उनके लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया की कई यूनिवर्सिटी ने भारत के 4 राज्यों और UT जम्मू-कश्मीर के छात्रों के एडमिशन पर बैन लगा दिया है.
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इन राज्यों के छात्रों पर ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी में प्रतिबंध: इसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के छात्रों का दाखिला नहीं देने का निर्देश दिया गया था. जिसका सख्ती से पालन करने के लिए वहां की सरकार ने भी आदेश दिया है. इन पांच राज्यों के छात्रों को वहां की यूनिवर्सिटी के द्वारा एडमिशन देने से मना करने के पीछे का कारण यह है कि इन राज्यों से बड़े स्तर पर ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने के लिए छात्र जाते हैं और सब से ज्यादा मात्रा में इन राज्यों के छात्र ही बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं. जिससे वहां की यूनिवर्सिटी को काफी नुकसान होता है. क्योंकि 6 महीने के सेमेस्टर के 1 बच्चे की फीस करीब 10 से 15 लाख रुपए होती है.
इमीग्रेशन एजेंट के द्वारा छात्र के डॉक्यूमेंट पूरे ना होने के चलते छात्रों को आ रही समस्या: वीजा एक्सपर्ट विंकल शर्मा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के 4 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने से मना करने के पीछे भारत के इमीग्रेशन का काम करने वाले एजेंट ही हैं. क्योंकि जो छात्र ऑस्ट्रेलिया में स्टडी करने के लिए जा रहे थे, उनसे ज्यादा पैसे लेकर उनका वीजा लगवाने के लिए और एडमिशन करवाने के लिए कुछ फर्जी डॉक्यूमेंट दिखाए गए थे. जिसके चलते यूनिवर्सिटी के द्वारा स्टूडेंट्स को बैन कर दिया गया है.
इमीग्रेशन एजेंट करते हैं छात्रों को गुमराह: विंकल शर्मा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा ऑस्ट्रेलिया की कुछ यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के स्टूडेंट्स को बैन करने का मुख्य कारण यह भी है कि जो इमीग्रेशन एजेंट होते हैं वह छात्रों का वीजा लगाते समय और उनका एडमिशन करवाते समय छात्रों को कोर्स कुछ और बताते हैं जबकि उनका कोर्स कुछ और ही निकलता है. और ना ही छात्रों को यह जानकारी दी जाती की छात्र को 1 हफ्ते में कितने घंटे क्लास लगानी है और कितने घंटे उसको वर्क करना है. इसलिए जब वह वहां पर जाते हैं तो उनको काम करने से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा काम करने के लिए उनको कम समय मिलने के चलते और मनचाहा कोर्स में एडमिशन होने के चलते अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देते हैं जिसके चलते उस यूनिवर्सिटी को काफी नुकसान होता है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की सरकार को भी यूनिवर्सिटी की तरफ से उन छात्रों का पूरा ब्यौरा देना होता है, जिसे उनके सामने कई समस्याएं खड़ी होती हैं. इसी के चलते उन्होंने भारत के 5 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने से मना कर दिया है.
दूसरे छात्रों को होगा भारी नुकसान: ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के द्वारा जो भारत के 5 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने से मना किया गया. इसका नुकसान हरियाणा समेत भारत के 5 राज्यों को होगा. क्योंकि हरियाणा और दूसरे राज्यों में बेरोजगारी का आलम है. जिसके चलते युवा छात्र 12वीं पास करने के तुरंत बाद ही विदेशों में चले जाते हैं. वहीं, अगर ऑस्ट्रेलिया की बात करें पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा छात्र भारत से ही जाते हैं. ऐसे में वहां की यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के 5 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने से मना करने के चलते जो नए छात्र वहां पर जाने चाहते हैं उनके लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने वीजा देना किया बहुत कम: विजा एक्सपर्ट विंकल शर्मा ने बताया कि, लॉकडाउन खुलने के तुरंत बाद ऑस्ट्रेलिया ने बहुत ज्यादा वीजा भारत के छात्रों को दिए. अगर 100 छात्र वहां पर वीजा के लिए अप्लाई करते थे तो उनमें से करीब 80 से 90 छात्रों को वीजा मिल जाता था. लेकिन, अब वीजा मिलने की प्रतिशत भी वहां की सरकार ने कम कर दी है. अब 100 में से 20 से 30 फीसदी छात्रों को ही वहां की सरकार वीजा दे रही है.
ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए छात्रों के लिए किए कई बदलाव: ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के 5 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने से मना करने के चलते अब जो भी छात्र पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में जाना चाहता है. उसमें एडमिशन मिलने की प्रॉसेस में कई बदलाव किए गए हैं. पहले जो भी एडमिशन लेने के लिए अप्लाई करता था, उसको सिर्फ यूनिवर्सिटी को एक इंटरव्यू के बाद ही एडमिशन दे दिया जाता था. लेकिन, अब ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ने इसमें बदलाव करते हुए एक के बजाय तीन इंटरव्यू कर दिए है. तीन इंटरव्यू क्लियर करने के बाद ही वहां के यूनिवर्सिटी उसको एडमिशन और वीजा देती है.
एडमिशन लेने के लिए डॉक्यूमेंट में भी बदलाव: वहीं, एडमिशन लेने के लिए डॉक्यूमेंट में भी कई बदलाव किए गए हैं. जिस छात्र को पहले हाइलाइट्स व पीटीई के पेपर में छह बैंड पर ही एडमिशन मिल जाता था. अब उसके लिए भी 7 बैंड कर दिए गए हैं. 7 बैंड लेने वाले को सिर्फ ठीक-ठाक यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलेगा. अगर ज्यादा अच्छी यूनिवर्सिटी में वह एडमिशन लेना चाहता है तो उसके लिए उसको 8 प्लस ग्रेड के बैंड लेने होंगे. ऐसे में ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के द्वारा भारत के 5 राज्यों के छात्रों को एडमिशन देने पर बैन लगने के कारण हरियाणा के युवा पीढ़ी को काफी नुकसान होगा.