करनाल: अगर जीवन में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो सफलता भी कदम चूमती है. इसी को साबित करते हुए 65 वर्षीय बुजुर्ग विजय गुलिया (karnal farmer doing study in college), करनाल स्थित बाबू मूलचंद जैन राजकीय आईटीआई संस्थान में मिट्टी परीक्षण व फसल तकनीकी का कोर्स कर रहे हैं. वह सोनीपत के गन्नौर से रोजाना बस में 64 किलोमीटर का सफर तय कर आईटीआई संस्थान, करनाल पहुंचते हैं. किसान विजय गुलिया अपनी 5 एकड़ की खेती से संबंधित अधिक जानकारी लेने व उसमें सुधार करने के लिए आईटीआई में पढ़ाई कर रहे हैं.
जहां इस उम्र में बुजुर्ग परिवार का सहारा लेना शुरू कर देते हैं या बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं वहीं विजय गुलिया को खेती में सुधार करने के लिए पढ़ने का शौक चढ़ा है. इससे पहले बीए पास गुलिया अलग-अलग संस्थानों से चार अन्य ट्रेड्स में प्रशिक्षण ले चुके हैं. गुलिया की पत्नी सरकारी अध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं. उनको दो बच्चे भी हैं. उनकी बेटी दिल्ली के सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं और शादीशुदा हैं. वहीं बेटा एमबीए करने के बाद प्राइवेट जॉब कर रहा है.
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करनाल आईटीआई में विजय गुलिया को कक्षा में विद्यार्थी ताऊ व अंकल जी कह कर बुलाते हैं और अनुभवी गुलिया से विद्यार्थी भी काफी कुछ सिख रहे हैं. आईटीआई के अनुदेशक रामविलास शर्मा ने बताया कि गुलिया अपने युवा सहपाठियों से थ्यौरी व प्रैक्टिकल दोनों में आगे हैं. उन्होंने बताया कि विजय गुलिया काफी सालों से पहले सुनने की शक्ति खो चुके हैं. वह केवल बोल, व लिखकर बात को समझते हैं. वह आईटीआई में मिट्टी परीक्षण व फसल तकनीकी का कोर्स कर आधुनिक किसान बनना चाहते हैं. इससे पहले उन्होंने प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, कंप्यूटर जैसे कोर्स भी किए हुए हैं. उनसे ये फायदा हुआ है कि वह अपने ट्रेड से संबंधित काम को खुद कर लेते हैं.
वहीं विजय गुलिया ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि परिवार की ओर से पढ़ने की पूरी सहायता मिल रही है. जिसकी वजह से वह इस उम्र में आईटीआई में पढ़ पा रहे हैं. वे रोजाना आईटीआई का होमवर्क पूरा करने के लिए 3 घंटे पढ़ाई करते हैं और प्रतिदिन 64 किलोमीटर का सफर बस द्वारा तय कर करनाल आईटीआई पहुंचते हैं. विजय गुलिया ने बताया कि आज खेती भी आधुनिक होती जा रही है. मशीनरी का जमाना है इसलिए जमाने के साथ चलने के लिए पढ़ाई जरूरी है. वे एलएलबी भी करना चाहते थे, लेकिन फिलहाल खेती के बारे में पढ़ाई कर रहे हैं.
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बहरहाल जिस उम्र लोग बिस्तर नहीं उठ पाते और किसी के सहारे के मोहताज हो जाते हैं उस उम्र में किसान विजय गुलिया 64 किलोमीटर का सफर तय कर पढ़ाई करने के लिए करनाल आते हैं. उनको सुनाई भी नहीं देता, लेकिन लगता है कि उन्होंने अपनी सभी मुश्किलों पर जीत हासिल कर ली है और आज दूसरों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं.