कैथल: हरियाणा के कैथल में 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं को खुले में रखकर षड्यंत्र के तहत सड़ाने के मामले को सरकार के उच्च अधिकारी दबाने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि सरकार ने जो इस मामले की निष्पक्ष जांच करने के लिए हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक सचिव के साथ चार अन्य उच्च अधिकारियों की एक टीम बनाकर इस पूरे मामले की जांच कर 1 महीने में रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए थे. उन आदेशों को आज 2 महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन आज तक न तो मौके पर सरकार द्वारा गठित की गई टीम पहुंची है और ना ही उसका कोई सदस्य. ऐसे में पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.
बता दें कि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई थी. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि 2 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ से दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली है. वहीं, कैथल डीसी संगीता तेतरवाल ने भी इस मामले को लेकर पहले ही दोषी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी.
हालांकि, मीडिया में मामला आने के बाद सरकार द्वारा इस पूरे मामले की प्रशासनिक लेवल के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी से दोबारा जांच करवाने की बात कही गई थी. जिसको लेकर कैथल डीसी संगीता तेतरवाल ने अब चुप्पी साधी ली है. जिससे इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं न कहीं तो अधिकारी और कर्मचारियों को बचाने में जिला प्रशासन का तो हाथ नहीं है. शायद इसीलिए इस पूरे मामले को दबाया जा रहा हो.
क्या है पूरा मामला?: बताते दें कि कैथल के अलग-जगहों पर 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं को खुले में रखकर षड्यंत्र के तहत सड़ा दिया गया था. ताकि शराब बनाने वालों को यह गेहूं सस्ते दामों पर दिया जा सके. यह गेहूं लगभग 22 करोड़ रुपये से ज्यादा का था और लगभग 22 लाख लोगों का पांच किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1 महीने का निवाला बन सकता था, जो भ्रष्ट और लालची अधिकारियों ने छीन लिया.
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