कैथलः ईटीवी भारत की टीम भावांतर भरपाई योजना की जमीनी हकीकत जानने के लिए कैथल के अलग-अलग हिस्सों में जाकर किसानों से बात कर रही थी. कैथल में जो हमारी टीम ने देखा वो बाकी जगहों जैसा ही नजारा था यहां भी ज्यादातर किसानों को इस योजना की जानकारी नहीं थी. जिन्हें जानकारी थी भी वो कागजी कार्रवाई और ऑनलाइन सिस्टम को देख पीछे हट गए. किसानों की इस समस्या के हल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने किसानों को न सिर्फ योजना के बारे में समझाया बल्कि उन्हें बताया कि कैसे रजिस्ट्रेशन होगा और कैसे इसका लाभ मिलेगा.
ज्यादातर किसानों को योजना की जानकारी नहीं
हमारी टीम ने बहुत सारे किसानों से बात की लेकिन ज्यादातर किसान हरियाणा सरकार की भावांतर भरपाई योजना से अनजान ही दिखे. उनका कहना था कि हमें किसी ने कभी कोई जानकारी ही नहीं दी.
किसानों ने ईटीवी भारत की मुहिम को सराहा
जिन किसानों को योजना की जानकारी नहीं थी उन्हें ईटीवी भारत की टीम ने योजना के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें ये भी बताया कि रजिस्ट्रेशन कैसे कराना है और इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा. जिससे किसान काफी खुश हुए और ईटीवी भारत की मुहिम को भी खूब सराहा.
जिन्हें जानकारी है वो भी रजिस्ट्रेशन से दूर
कुछ किसान हमें ऐसे भी मिले जिन्हें भावांतर भरपाई योजना की जानकारी तो थी लेकिन उन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि सरकार ने जो कागजी कार्रवाई इसमें रखी है वो काफी पेचीदा है. किसान उसको समझ ही नहीं पाते हैं. इसीलिए जानने के बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं.
कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन ?
- ⦁ सबसे पहले www.agriharyana.in वेबसाइट पर जाएं
- ⦁ इसके बाद किसान पंजीकरण पर क्लिक करें
- ⦁ अब पंजीकरण फॉर्म आपके सामने खुलेगा
- ⦁ पंजीकरण फॉर्म में अपना पूरा विवरण भरें
- ⦁ ध्यान रहे दी गई जानकारी बिल्कुल सही हो
- ⦁ सही जानकारी न देने पर आपको लाभ नहीं मिलेगा
- ⦁ फॉर्म भरने के बाद सेव बटन पर क्लिक करें
- ⦁ इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा
रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी कागजात
भावांतर भरपाई योजना का लाभ उठाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको कुछ कागजातों की जरूरत होगी. जैसे आपके पास आधार कार्ड का होना जरूरी है, वोटर कार्ड भी आवश्यक है और बैंक पासबुक भी जरूरी है.
किस फसल का कितना एमएसपी ?
सरकार ने इस योजना के तहत टमाटर और आलू का न्यूनतम मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल किया है. इसके अलावा गोभी और प्याज के लिए सरकार ने 500 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम भाव तय किया है.
योजना से कैसे मिलता है लाभ ?
इस योजना का मकसद किसानों को नुकसान से बचाना है. मान लीजिए आपके पास एक क्विंटल आलू है अब उसे बेचने आप मंडी में गए वहां आपको 200 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिला और सरकार ने तय किया है 400 रुपये प्रति क्विंटल तो बाकी बचे 200 रुपये की भरपाई सरकार करेगी. मतलब बाकी 200 रुपये प्रति क्विंटल सरकार आपको देगी.