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किसानों ने ईटीवी भारत की मुहिम को सराहा, बोले अब कराएंगे रजिस्ट्रेशन

सरकारें बहुत सारी योजनाएं जनता के लिए हमेशा से चलाती आई हैं. लेकिन उनका जमीन पर बहुत ज्यादा असर दिखता नहीं है. इसीलिए ईटीवी भारत ने 'मनोहर योजनाओं का रियलिटी चेक' नाम से एक मुहिम चलाई है जिसमें हम रोज किसी योजना पर जनता से जानते हैं कि उसका लाभ उन्हें मिला या नहीं. आज कैथल से देखिए भावांतर भरपाई योजना पर किसानों की राय.

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Published : Aug 29, 2019, 4:19 PM IST

कैथलः ईटीवी भारत की टीम भावांतर भरपाई योजना की जमीनी हकीकत जानने के लिए कैथल के अलग-अलग हिस्सों में जाकर किसानों से बात कर रही थी. कैथल में जो हमारी टीम ने देखा वो बाकी जगहों जैसा ही नजारा था यहां भी ज्यादातर किसानों को इस योजना की जानकारी नहीं थी. जिन्हें जानकारी थी भी वो कागजी कार्रवाई और ऑनलाइन सिस्टम को देख पीछे हट गए. किसानों की इस समस्या के हल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने किसानों को न सिर्फ योजना के बारे में समझाया बल्कि उन्हें बताया कि कैसे रजिस्ट्रेशन होगा और कैसे इसका लाभ मिलेगा.

भावांतर भरपाई योजना की जमीनी हकीकत

ज्यादातर किसानों को योजना की जानकारी नहीं
हमारी टीम ने बहुत सारे किसानों से बात की लेकिन ज्यादातर किसान हरियाणा सरकार की भावांतर भरपाई योजना से अनजान ही दिखे. उनका कहना था कि हमें किसी ने कभी कोई जानकारी ही नहीं दी.

किसानों ने ईटीवी भारत की मुहिम को सराहा
जिन किसानों को योजना की जानकारी नहीं थी उन्हें ईटीवी भारत की टीम ने योजना के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें ये भी बताया कि रजिस्ट्रेशन कैसे कराना है और इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा. जिससे किसान काफी खुश हुए और ईटीवी भारत की मुहिम को भी खूब सराहा.

जिन्हें जानकारी है वो भी रजिस्ट्रेशन से दूर
कुछ किसान हमें ऐसे भी मिले जिन्हें भावांतर भरपाई योजना की जानकारी तो थी लेकिन उन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि सरकार ने जो कागजी कार्रवाई इसमें रखी है वो काफी पेचीदा है. किसान उसको समझ ही नहीं पाते हैं. इसीलिए जानने के बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं.
कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन ?

  • ⦁ सबसे पहले www.agriharyana.in वेबसाइट पर जाएं
  • ⦁ इसके बाद किसान पंजीकरण पर क्लिक करें
  • ⦁ अब पंजीकरण फॉर्म आपके सामने खुलेगा
  • ⦁ पंजीकरण फॉर्म में अपना पूरा विवरण भरें
  • ⦁ ध्यान रहे दी गई जानकारी बिल्कुल सही हो
  • ⦁ सही जानकारी न देने पर आपको लाभ नहीं मिलेगा
  • ⦁ फॉर्म भरने के बाद सेव बटन पर क्लिक करें
  • ⦁ इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी कागजात
भावांतर भरपाई योजना का लाभ उठाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको कुछ कागजातों की जरूरत होगी. जैसे आपके पास आधार कार्ड का होना जरूरी है, वोटर कार्ड भी आवश्यक है और बैंक पासबुक भी जरूरी है.

किस फसल का कितना एमएसपी ?
सरकार ने इस योजना के तहत टमाटर और आलू का न्यूनतम मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल किया है. इसके अलावा गोभी और प्याज के लिए सरकार ने 500 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम भाव तय किया है.

योजना से कैसे मिलता है लाभ ?
इस योजना का मकसद किसानों को नुकसान से बचाना है. मान लीजिए आपके पास एक क्विंटल आलू है अब उसे बेचने आप मंडी में गए वहां आपको 200 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिला और सरकार ने तय किया है 400 रुपये प्रति क्विंटल तो बाकी बचे 200 रुपये की भरपाई सरकार करेगी. मतलब बाकी 200 रुपये प्रति क्विंटल सरकार आपको देगी.

कैथलः ईटीवी भारत की टीम भावांतर भरपाई योजना की जमीनी हकीकत जानने के लिए कैथल के अलग-अलग हिस्सों में जाकर किसानों से बात कर रही थी. कैथल में जो हमारी टीम ने देखा वो बाकी जगहों जैसा ही नजारा था यहां भी ज्यादातर किसानों को इस योजना की जानकारी नहीं थी. जिन्हें जानकारी थी भी वो कागजी कार्रवाई और ऑनलाइन सिस्टम को देख पीछे हट गए. किसानों की इस समस्या के हल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने किसानों को न सिर्फ योजना के बारे में समझाया बल्कि उन्हें बताया कि कैसे रजिस्ट्रेशन होगा और कैसे इसका लाभ मिलेगा.

भावांतर भरपाई योजना की जमीनी हकीकत

ज्यादातर किसानों को योजना की जानकारी नहीं
हमारी टीम ने बहुत सारे किसानों से बात की लेकिन ज्यादातर किसान हरियाणा सरकार की भावांतर भरपाई योजना से अनजान ही दिखे. उनका कहना था कि हमें किसी ने कभी कोई जानकारी ही नहीं दी.

किसानों ने ईटीवी भारत की मुहिम को सराहा
जिन किसानों को योजना की जानकारी नहीं थी उन्हें ईटीवी भारत की टीम ने योजना के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें ये भी बताया कि रजिस्ट्रेशन कैसे कराना है और इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा. जिससे किसान काफी खुश हुए और ईटीवी भारत की मुहिम को भी खूब सराहा.

जिन्हें जानकारी है वो भी रजिस्ट्रेशन से दूर
कुछ किसान हमें ऐसे भी मिले जिन्हें भावांतर भरपाई योजना की जानकारी तो थी लेकिन उन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि सरकार ने जो कागजी कार्रवाई इसमें रखी है वो काफी पेचीदा है. किसान उसको समझ ही नहीं पाते हैं. इसीलिए जानने के बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं.
कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन ?

  • ⦁ सबसे पहले www.agriharyana.in वेबसाइट पर जाएं
  • ⦁ इसके बाद किसान पंजीकरण पर क्लिक करें
  • ⦁ अब पंजीकरण फॉर्म आपके सामने खुलेगा
  • ⦁ पंजीकरण फॉर्म में अपना पूरा विवरण भरें
  • ⦁ ध्यान रहे दी गई जानकारी बिल्कुल सही हो
  • ⦁ सही जानकारी न देने पर आपको लाभ नहीं मिलेगा
  • ⦁ फॉर्म भरने के बाद सेव बटन पर क्लिक करें
  • ⦁ इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी कागजात
भावांतर भरपाई योजना का लाभ उठाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको कुछ कागजातों की जरूरत होगी. जैसे आपके पास आधार कार्ड का होना जरूरी है, वोटर कार्ड भी आवश्यक है और बैंक पासबुक भी जरूरी है.

किस फसल का कितना एमएसपी ?
सरकार ने इस योजना के तहत टमाटर और आलू का न्यूनतम मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल किया है. इसके अलावा गोभी और प्याज के लिए सरकार ने 500 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम भाव तय किया है.

योजना से कैसे मिलता है लाभ ?
इस योजना का मकसद किसानों को नुकसान से बचाना है. मान लीजिए आपके पास एक क्विंटल आलू है अब उसे बेचने आप मंडी में गए वहां आपको 200 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिला और सरकार ने तय किया है 400 रुपये प्रति क्विंटल तो बाकी बचे 200 रुपये की भरपाई सरकार करेगी. मतलब बाकी 200 रुपये प्रति क्विंटल सरकार आपको देगी.

Intro:अधिकतर किसान नहीं जानते भावांतर भरपाई योजना के बारे में तो सरकार की इस स्कीम का कैसे उठा पाएंगे वह लाभ।


Body:हरियाणा सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए विभिन्न योजना चला रखी हैं जिसके तहत विभिन्न वर्ग के लोग उनका फायदा उठा सकते हैं ऐसे ही मनोहर योजना में आने वाली भावांतर भरपाई योजना के बारे में आज हम बात करते हैं और जानते हैं कि कैथल जिले के कितने किसान इसका लाभ ले रहे हैं। भावांतर भरपाई योजना के बारे में जब हमने कैथल जिले के किसानों से बात की तो उनमें से ज्यादातर किसानों को इस योजना के बारे में नहीं पता तो वह इसका लाभ कैसे उठा पाएंगे उनका कहना है कि सरकार का कोई भी नुमाइंदा हमारे पास नहीं आया जो हमें इन योजनाओं के बारे में अवगत करा सकें। हालांकि सरकार तो योजना शुरू कर देती है लेकिन योजनाओं से संबंधित विभाग के अधिकारी कहीं ना कहीं इस योजना को आमजन तक पहुंचाने के लिए प्रचार अच्छी तरह से नहीं कर पाते जिसके कारण इस योजना के बारे में लोगों को पता नहीं लग पाता। जब हमने जिले के किसानों से बात की तो ज्यादातर किसानों ने कहा कि हमें इस योजना के बारे में कुछ भी नहीं पता चला कि हम किसान हैं और सब्जी भी लगाते हैं लेकिन इस योजना के बारे में हमें कोई भी मालूम नहीं। किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से या बागवानी विभाग की तरफ से कभी भी कोई भी अधिकारी हमारे गांव चौपाल में नहीं आया जिससे वह गांव वासियों को इन योजनाओं के बारे में बता सके जिससे हम उसका फायदा उठा सकें सरकार ने तो कहीं ना कहीं लोगों के हित में योजनाएं शुरू की लेकिन अधिकारियों की वजह से वह योजना आमजन तक नहीं पहुंच पा रही। भावांतर भरपाई योजना के बारे में हम आपको थोड़ा शब्द आते हैं जिससे जो हमारे किसान दर्शक है आने वाले समय में इस योजना का लाभ ले सकें। भावांतर भरपाई योजना मनोहर सरकार द्वारा चलाई हुई एक ऐसी योजना है जो चार मुख्य सब्जियों में काम करती है इस योजना का यह लक्ष्य है कि 4 सब्जियों में से अगर किसानों को उनके सब्जियों का समर्थन मूल्य कम मिलता है तो सरकार उनकी भरपाई करेगी लेकिन उससे पहले किसान को अपने खेतों में लगाई गई सब्जियों का विवरण या ब्यौरा बागवानी विभाग में देना पड़ेगा जिससे वह वहां पर जाकर वहां पर गिरदावरी करवाकर आगे लिख कर भेज सकते हैं और उनका भावांतर भरपाई योजना के तहत पैसा मिल जाता है। इस योजना में मुख्य चार सब्जियां आती हैं आलू प्याज गोभी और टमाटर फिलहाल अभी तक यह चार समझा ही इस योजना में लागू की गई हैं वहीं पर अधिकारी ने बताया कि आने वाले समय में इनके साथ और भी सब्जियों को जोड़ा जाएगा ताकि किसानों को 2022 का जो नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है 2022 तक उनकी आय दोगुनी की जा सके और किसानों को मंदी की मार ना झेलनी पड़े। यह योजना 1 जनवरी 2018 को लागू की गई थी इस योजना के अंतर्गत होने वाले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 7 मई 2018 को शुरू है इन योजना में जो सबसे शामिल की गई हैं चारों सब्जियों के एमएसपी मूल्य इस प्रकार निर्धारित किए गए थे प्याज का एमएसपी मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल आलू का एमएसपी मूल्य ₹400 प्रति क्विंटल गोभी का एमएसपी मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल और टमाटर का एमएसपी मूल्य ₹400 प्रति क्विंटल के हिसाब से निर्धारित किया गया था।


Conclusion:लेकिन इस योजना के बारे में ज्यादातर किसान नहीं जानते तो फायदा उठाने की बात तो बहुत दूर है किसानों को चाहिए कि गांव-गांव जाकर सरकार के नुमाइंदे इन योजनाओं के बारे में किसानों को बताएं ताकि किसान इसका फायदा उठा सकें और हमारा कृषि प्रधान देश कृषि प्रधान देश ही बना रहे क्योंकि इस मंदी की मार के कारण किसान खेती को छोड़ने को मजबूर हैं। बागवानी विभाग के अधिकारी से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 600 किसान निर्धारित किए गए थे कि 600 किसानों का पंजीकरण इस स्कीम के साथ करना है कर दिया था लेकिन क्या जिले में सिर्फ 600 किसान ही है साथ ही उन्होंने कहा कि हम लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप पर लगा रहे हैं लेकिन हमने जितने भी किसानों से बात की किसी ने यह भी माना कि सरकार की तरफ से कोई भी कैंप किसानों के लिए नही लगाया गया ताकि इन योजनाओं के प्रति जागरूक हो सकें। लेकिन ईटीवी भारत लगातार आम हित के मुद्दों को उठाता है और हमें पूरा यकीन है भावांतर भरपाई योजना का रिजल्ट चेक करने के बाद सरकार जरूर जागेगी और किसानों को इस योजना का पूरा लाभ मिल पाएगा।
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