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निजी बस मालिकों ने रोडवेज विभाग पर लगाए आरोप, ई-टेंडरों में बरती गई है लापरवाही - रोडवेज ई-टेंडरों में बरती गई लापरवाही

जिलें में निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि रोडवेज विभाग किलोमीटर स्कीम को लागू करने में टालम-टोल कर रहा है. वहीं निजी बस मालिको ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

private bus owners accuse roadways department in kaithal
निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि रोडवेज विभाग किलोमीटर स्कीम को लागू करने में टालम-टोल कर रहा है
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Published : Dec 27, 2019, 12:26 PM IST

कैथल: जिलें में निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि रोडवेज विभाग किलोमीटर स्कीम को लागू करने में टालम-टोल कर रहा है. वहीं निजी बस मालिको में सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा सरकार परिवहन विभाग द्वारा जून 2018 में 700 बसें हायर करने के लिए आनलाइन टेंडर निकाला था. जिसके दौरान विभाग द्वारा 02.07.2018 को टेंडर खोले गए, जिसमें 700 बसों में से 510 बसें आई थी. जिसमें कैथल डिपो के लिए नटराज बस सर्विस के नाम से 15 बसें भी थी. निविदाएं खुलने के बाद दिनांक 13.07.2018 को महानिदेशक राज्य परिवहन हरियाणा चंडीगढ़ के कार्यालय में नेगो शेसन मिटिंग की जिसमें सभी 510 बसों के रेट कम करके फाइनल रेट पर सहमति की गई थी. लेकिन करीब 2 महीने बाद दिनांक 19.09.2018 को महामहिम राज्यपाल के आदेश पर संबंधित महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन के साथ पट्टा करार (Lease Agreement) हो हुआ था.

उन्होंने बताया कि संबंधित कानूनी कागजातों के करार की शर्तों के अनुसार 150 दिनों के अदर हमने कैथल डिपो की सभी 15 बसें तैयार करा ली और पूरे हरियाणा में लगभग 400 बस तैयार हो गई हैं. इसी दौरान दिनांक 16.10.2018 से 02.11.2018 तक लगभग 18 दिन राज्य परिवहन के कर्मचारियों द्वारा इस स्कीम के विरोध में हडताल की गई थी. साथ ही कर्मचारी नेताओं द्वारा झूठे व बेबुनियाद बयान दिए गए. इन्ही की तर्ज पर विपक्षी पार्टियों द्वारा भी झूठे व बेबुनियाद बयान दिए थे. राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल आदि के कारण विभाग द्वारा जनवरी 2019 तक तैयार हो चुकी लगभग 400 बसों की रजिस्ट्रेशन व संचालन प्रक्रिया को मौखिक तौर पर रोक दिया गया है.

बाकी बसों के लिए फिर से निकाला गया था ई-टेंडर
वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा बाकी 190 बसों के लिए फरवरी 2019 को ई-टेंडर निकाला गया था . जिसे 05.03.2019 को ओपन किया गया था, जिसमें न्यूनतम रेट 22 रुपये प्रति किमी था. जिसका कर्मचारी नेताओं व राजनैतिक पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाया गया कि पहले व दूसरे सेंटर में 12 से 15 रुपये प्रति किमी का अंतर आया है.

निजी बस मालिकों ने रोडवेज विभाग पर लगाए आरोप

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'पहले टेंडर में हुआ भ्रष्टाचार'
वहीं पहले टेंडर में विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोपी भी लगे हैं. लेकिन इस न्यूनतम रेट पर 190 बसों में से केवल 15 बसों के लिए 10 डिपो में टेंडर भरा गया था. जो जान-बुझकर पहले टेंडर को गलत साबित करने के लिए भरा गया था. इससे पता चलते है कि करार (Lease Agreement) के अनुसार 150 दिन का समय होने के बाद भी उनके द्वारा एक भी बस नहीं खरीदी गई. जिस कारण विभाग इनके पटा करार (Lense Agreement) दिनांक 17.12.2019 को रद्द कर दिए है.

टेंडर की सीमा समाप्त होने को लेकिन नहीं तैयार हुई बस
190 बसों के टेण्डर में 223 बिडर्सों द्वारा 979 बसों के टेडर भरे गए थे. इस टेंडर में अधिकतर बिडर्सों द्वारा 30 रुपये से 41 रुपये प्रति किमी तक रेट के टेंडर भरे गए थे. वहीं जब कोई भी बिडर्सों एल-1 रेट पर बस चलाने को तैयार नहीं हुआ तो विभाग द्वारा कुछ वैंडरों से मिलकर 26,92 रुपये प्रति किमी रेट फाइनल करके सरकार से रेट की अनुमति लेकर वैंडरों को ऑफर दे दिया. जिसमें बाकी बचे 964 बसों के वैंडरों में से केवल 151 बसों के बिडर्सोंद्वारा रेट पर इकरारनामा किया था. वहीं जानकारी के अनुसार इनके भी करारों का भी समय पूरा होने को है लेकिन इनमें से भी अधिकतर वैंडरों द्वारा बसें तैयार नहीं कराई गई हैं.

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सीएम ने दिए जांच के आदेश
वहीं दोनों टेंडरों के रेटों के अंतर को आधार बनाकर सीएम खट्टर ने स्टेट विजीलैंस से मामले की जांच करने ने आदेश दिए थे. विजीलैंस ने अपनी जांच रिपोर्ट 26 जुलाई को पेश कर दी है.
विजीलैंस के अपनी रिपोर्ट में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की बात कहीं है और कुछ बिडर्सों के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज किया है. वहीं इन बिडर्सों का ने विभाग पर आरोपी लगाए हैं कि झूठे बयानों के आधार पर विभाग ने 23 जुलाई 2019 को बिडर्सों के इकरारनामे को रद्द करने का आदेश दिया था.
वहीं उन्होंने जानकारी दी कि उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने बिडर्सों पर दर्ज केसों को वापस ले लिया और साथ ही कोर्ट के आदेश पर फिर से 510 बसों के इकरारनामे के आदेश को रद्द कर दिया.

'राजस्व में होती बढ़ेतरी'
वहीं बिडर्सों ने बताया कि 16 सितंबर को 510 बसों के बिडर्सों द्वारा विभाग में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 104 के तहत अस्थाई परमिट का आवेदन दिया गया था. जिसमें हरियाणा प्रदेश में बसों की भारी कमी को दूर करने का प्रयास होता साथ ही जनता को परिवहन सुविधा में इजाफा होता. इसके साथ ही सरकार को राजस्व भी प्राप्त होती. लेकिन दिनाक 23 नंवबर को विभाग द्वारा इन सभी आवेदनों को गलत जानकारी के आधार पर खारिज करने के आदेश जारी कर दिया गया.

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कैथल: जिलें में निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि रोडवेज विभाग किलोमीटर स्कीम को लागू करने में टालम-टोल कर रहा है. वहीं निजी बस मालिको में सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा सरकार परिवहन विभाग द्वारा जून 2018 में 700 बसें हायर करने के लिए आनलाइन टेंडर निकाला था. जिसके दौरान विभाग द्वारा 02.07.2018 को टेंडर खोले गए, जिसमें 700 बसों में से 510 बसें आई थी. जिसमें कैथल डिपो के लिए नटराज बस सर्विस के नाम से 15 बसें भी थी. निविदाएं खुलने के बाद दिनांक 13.07.2018 को महानिदेशक राज्य परिवहन हरियाणा चंडीगढ़ के कार्यालय में नेगो शेसन मिटिंग की जिसमें सभी 510 बसों के रेट कम करके फाइनल रेट पर सहमति की गई थी. लेकिन करीब 2 महीने बाद दिनांक 19.09.2018 को महामहिम राज्यपाल के आदेश पर संबंधित महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन के साथ पट्टा करार (Lease Agreement) हो हुआ था.

उन्होंने बताया कि संबंधित कानूनी कागजातों के करार की शर्तों के अनुसार 150 दिनों के अदर हमने कैथल डिपो की सभी 15 बसें तैयार करा ली और पूरे हरियाणा में लगभग 400 बस तैयार हो गई हैं. इसी दौरान दिनांक 16.10.2018 से 02.11.2018 तक लगभग 18 दिन राज्य परिवहन के कर्मचारियों द्वारा इस स्कीम के विरोध में हडताल की गई थी. साथ ही कर्मचारी नेताओं द्वारा झूठे व बेबुनियाद बयान दिए गए. इन्ही की तर्ज पर विपक्षी पार्टियों द्वारा भी झूठे व बेबुनियाद बयान दिए थे. राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल आदि के कारण विभाग द्वारा जनवरी 2019 तक तैयार हो चुकी लगभग 400 बसों की रजिस्ट्रेशन व संचालन प्रक्रिया को मौखिक तौर पर रोक दिया गया है.

बाकी बसों के लिए फिर से निकाला गया था ई-टेंडर
वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा बाकी 190 बसों के लिए फरवरी 2019 को ई-टेंडर निकाला गया था . जिसे 05.03.2019 को ओपन किया गया था, जिसमें न्यूनतम रेट 22 रुपये प्रति किमी था. जिसका कर्मचारी नेताओं व राजनैतिक पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाया गया कि पहले व दूसरे सेंटर में 12 से 15 रुपये प्रति किमी का अंतर आया है.

निजी बस मालिकों ने रोडवेज विभाग पर लगाए आरोप

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'पहले टेंडर में हुआ भ्रष्टाचार'
वहीं पहले टेंडर में विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोपी भी लगे हैं. लेकिन इस न्यूनतम रेट पर 190 बसों में से केवल 15 बसों के लिए 10 डिपो में टेंडर भरा गया था. जो जान-बुझकर पहले टेंडर को गलत साबित करने के लिए भरा गया था. इससे पता चलते है कि करार (Lease Agreement) के अनुसार 150 दिन का समय होने के बाद भी उनके द्वारा एक भी बस नहीं खरीदी गई. जिस कारण विभाग इनके पटा करार (Lense Agreement) दिनांक 17.12.2019 को रद्द कर दिए है.

टेंडर की सीमा समाप्त होने को लेकिन नहीं तैयार हुई बस
190 बसों के टेण्डर में 223 बिडर्सों द्वारा 979 बसों के टेडर भरे गए थे. इस टेंडर में अधिकतर बिडर्सों द्वारा 30 रुपये से 41 रुपये प्रति किमी तक रेट के टेंडर भरे गए थे. वहीं जब कोई भी बिडर्सों एल-1 रेट पर बस चलाने को तैयार नहीं हुआ तो विभाग द्वारा कुछ वैंडरों से मिलकर 26,92 रुपये प्रति किमी रेट फाइनल करके सरकार से रेट की अनुमति लेकर वैंडरों को ऑफर दे दिया. जिसमें बाकी बचे 964 बसों के वैंडरों में से केवल 151 बसों के बिडर्सोंद्वारा रेट पर इकरारनामा किया था. वहीं जानकारी के अनुसार इनके भी करारों का भी समय पूरा होने को है लेकिन इनमें से भी अधिकतर वैंडरों द्वारा बसें तैयार नहीं कराई गई हैं.

ये भी पढ़ें:हरियाणा में सर्दी का सितम जारी, 20 साल का तोड़ा रिकॉर्ड

सीएम ने दिए जांच के आदेश
वहीं दोनों टेंडरों के रेटों के अंतर को आधार बनाकर सीएम खट्टर ने स्टेट विजीलैंस से मामले की जांच करने ने आदेश दिए थे. विजीलैंस ने अपनी जांच रिपोर्ट 26 जुलाई को पेश कर दी है.
विजीलैंस के अपनी रिपोर्ट में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की बात कहीं है और कुछ बिडर्सों के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज किया है. वहीं इन बिडर्सों का ने विभाग पर आरोपी लगाए हैं कि झूठे बयानों के आधार पर विभाग ने 23 जुलाई 2019 को बिडर्सों के इकरारनामे को रद्द करने का आदेश दिया था.
वहीं उन्होंने जानकारी दी कि उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने बिडर्सों पर दर्ज केसों को वापस ले लिया और साथ ही कोर्ट के आदेश पर फिर से 510 बसों के इकरारनामे के आदेश को रद्द कर दिया.

'राजस्व में होती बढ़ेतरी'
वहीं बिडर्सों ने बताया कि 16 सितंबर को 510 बसों के बिडर्सों द्वारा विभाग में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 104 के तहत अस्थाई परमिट का आवेदन दिया गया था. जिसमें हरियाणा प्रदेश में बसों की भारी कमी को दूर करने का प्रयास होता साथ ही जनता को परिवहन सुविधा में इजाफा होता. इसके साथ ही सरकार को राजस्व भी प्राप्त होती. लेकिन दिनाक 23 नंवबर को विभाग द्वारा इन सभी आवेदनों को गलत जानकारी के आधार पर खारिज करने के आदेश जारी कर दिया गया.

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Intro:निजी बस मालिकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

-किलोमीटर स्कीम को लागू करने में सरकार कर रही है टाल-मटोल

-खड़ी-खड़ी बस हो रही है कबाड़, सरकार जल्द करे कोई समाधान 

-अगर सरकार नहीं करती कोई समाधान वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार-निजी बस मालिक 








 Body:हरियाणा सरकार परिवहन विभाग द्वारा जून 2018 में 700 बसें हायर करने के लिए आनलाईन टेंडर निकाला था। जिस उपरांत विभाग द्वारा 02.07.2018 को टेंडर खोले गए। जिसमें 700 बसों में से 510 बसें ही आ पाई जिसमें कैथल डिपो के लिए नटराज बस सर्विस के नाम से 15 बसें भी थी। निविदाएं खुलने के बाद दिनांक 13.07.2018 को महानिदेशक राज्य परिवहन हरियाणा चंडीगढ़ के कार्यालय में नेगो शेसन मिटिंग हुई। जिसमें सभी 510 बसों के रेट कम करके फाईनल रेट पर सहमति की गई। करीब 2 महीने बाद दिनांक 19 ,09.2018 को महामहिम राज्यपाल के behalf पर सम्बंधित महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन के साथ पट्टा करार (Lease Agreement) हो गया था। करार की श्तो के अनुसार 150 दिनों के अदर हमने कैथल डिपो की सभी 15 बसें तैयार करवा ली व पूरे हरियाणा में लगभग 400 बस तैयार हो गई। इसी दौरान दिनांक 16.10.2018 से 02.11.2018 तक लगभग 18 दिन राज्य परिवहन के कर्मचारियों द्वारा इस स्कीम के विरोध में हडताल की गई व कर्मचारी नेताओं द्वारा झूठे व बेबुनियाद ब्यान दिए गए। इन्ही की तर्ज पर विपक्षी पार्टियों द्वारा भी झूठे व
बेबुनियाद ब्यान दिए गए। राज्य परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल आदि के कारण विभाग द्वारा जनवरी 2019 तक तैयार हो चुकी लगभग 400 बसों की रजिस्ट्रेशन व संचालन प्रक्रिया को
मौखिक तौर पर रोक दिया गया। इसी दौरान विभाग द्वारा बाकि बची 190 बसों के लिए भी फरवरी 2019 को ई-टेंडर निकाल दिया गया। जिसे 05.03.2019 को ओपन किया गया। जिसमें न्यूनतम रेट 22 रूप्ये प्रति कि0 मी0 आया जिसका कर्मचारी नेताओं व राजनैतिक पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाया गया कि पहले व दूसरे सेंटर में 12 से 15 रूप्ये प्रति कि0 मी0 का अंतर आया है।

व पहले टैण्डर में भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन इस न्यूनतम रेट पर 190 बसों में से केवल 15 बसों के लिए 10 डिपो में टेण्डर भरा गया था जो जान-बुझकर पहले टैण्डर को गलत साबित करने के
लिए भरा गया। यह इसी से प्रतीत होता है कि पटा करार (Lease Agreement) के अनुसार 150 दिन का समय होने के बाद भी उनके द्वारा एक भी बस खरीदी नहीं गई। जिस कारण विभाग इनके पटा करार (Lense Agreement) दिनांक 17.12.2019 को रद्द कर दिए।

190 बसों के टेण्डर में 223 बिडरों द्वारा 979 बसो के टैण्डर भरे गए थे । इस टेंडर में अधिकतर बिडरो द्वारा 30 रुपये से 41 रुपये प्रति कि0 मी0 तक रेट के टेण्डर भरे गए थे। इस टेण्डर में जब कोई भी बिडर एल-1 रेट पर बस चलाने को तैयार नही हुआ तो विभाग द्वारा कुछ बिडरो से मिलकर 26,92 रुपये प्रति कि0 मी० रेट फाईनल करके सरकार से इस रेट की अनुमति लेकर इस रेट की बिडरो को ऑफर दे दी । जिसमें बाकि बचे 964 बसों के बिडरो में से केवल 151 बसों के विडरो द्वारा इस रेट पर इकरारनामा किया गया लेकिन इनके भी करार का समय पूरा होने को है लेकिन इनमें से भी अधिकतर बिडरो द्वारा बसे तैयार नही करवाई गई है।

दोनों टेंडरो के रेट के अंतर को आधार बनाकर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा स्टेट विजीलैस से जाच करवाई गई। स्टेट विजीलेस में अपनी जांच रिपोर्ट दिनांक 26.06.2019 को पेश की।

जिसमें मुख्यतः विभागीय अधिकारियों की लापरवाही दिखाई गई और कुछ विडरो के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज किया गया। इन्ही कुछ बिडरों के आरोपों को आधार बनाकर व झूठे तथ्य रखकर दिनांक 23.07.2019 को विभाग द्वारा सभी बिडरों के इकरारनामे रद्द करने के आदेश दिए गए। जब सभी 510 बसों के बिडरो के टेंडर सामान आरोप लगाकर रद्द किए गए तो बाकि सभी बिडरो पर भी मुकदमें दर्ज करने चाहिए थे या उनकी बसों का संचालन करवाना चाहिए था। दिनांक 09.09.2019 को माननीय उच्च न्यायालय में माननीय मुख्य न्यायधीश की कोर्ट में सरकार द्वारा 23.07.2019 के आदेश को वापस ले लिया गया।

दिनांक 09.09.2019 के माननीय उच्च न्यायालय के आदेशो की अनुपालना में विभाग द्वारा 19.09.2019 को हम कारण बताओ नोटिस की औपचारिकता पूरी करके दिनांक 16.11.2019 को दोबारा सभी 510 बसों के इकरारनामे रद्द करने के आदेश कर दिए। 

इन आदेशों में जिन बिडरो पर मुकदमा दर्ज किए गए थे उन्हें छोडकर बाकि सभी बिडरों को 26.92 पैसे रेट पर बस चलाने के लिए आफर दी गई। इस रेट पर बसे चलाना असंभव है क्योकि आज के डीजल के रेट के अनुसार यह रेट 26.35 रुपये पडता है व इसमें जीएसटी भी है व बस के 300 कि0मी0 से ज्यादा चलने पर यह कम होता रहेगा। इसलिए इस रेट पर बसे चलाने में हमें बहुत घाटा उठाना पडेगा।


दिनांक 16.09.2019 को 510 बसों के बिडरो द्वारा विभाग में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 104 के तहत अस्थाई परमिट का आवेदन दिया गया। जिसमें हरियाणा राज्य में बसों की
भारी कमी को दूर करने का प्रयास होता व जनता को परिवहन सुविधा में इजाफा होता व राज्य को राजस्व की भी प्राप्ति होती लेकिन दिनाक 23.11.2019 को विभाग द्वारा इन आवेदनों को भी गलत तथ्यों के आधार पर खारिज करने के आदेश जारी कर दिए गए।


आज पुनः हम प्रेस व मीडिया के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री से अपील करते है कि पिछले एक साल से खडी हमारी बसों के कारण हमें बहुत अधिक नुक्सान हो रहा है। हमारी आर्थिक व मानसिक परेशानी को देखते हुए जल्दी हमारी बसों का संचालन करवाया गए। हम
आपके द्वारा जबरदस्ती थोपे गए रेट पर बस संचालन नही कर सकते। लगातार 10 साल घाटे व तिल-तिल गिरने से अच्छा है कि हमें एक बार ही अपनी बसों के साथ क्यों ना कितना भी बड़ा बलिदान देना पडे।Conclusion:निजी बस मालिक यूनियन प्रधान विरेन्द्र सांगवान पीसी

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