कैथल: लोकतंत्र का पर्व चल रहा है. देश की जनता अपने अधिकार का प्रयोग कर रही है, लेकिन इस लोकतंत्र का एक हिस्सा अपने अधिकारों से वंचित है. हरियाणा-पंजाब सीमा से सटी घग्गर नदी के पार 12 गांव बसे हैं. इन गांव के ग्रामीणों के वोट तो हरियाणा में हैं, लेकिन सुविधाएं पंजाब से लेने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इन गावों का दौरा किया और जानने की कोशिश की इन गांवों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. देखिए खास ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट
कुरुक्षेत्र लोकसभा के जिले कैथल में घग्गर पार के बसे गांव हरनौली, कमहेड़ी, बौपूर, कसौली, घघड़पुर, पाबसर, छन्ना, जोदवा, सौंगलपुर, लंडाहेड़ी का ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने दौरा किया तो नेताओं के नाम पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों का कहना हैं कि चुनाव से पहते तो नेता वोट मांगने के लिए आते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई सुध तक नहीं लेता.
ग्रामीणों का कहना है कि पिछली बार राजकुमार सैनी को उन्होंने सिर्फ विकास के नाम पर जिता दिया था, लेकिन मिला तो सिर्फ धोखा. ना काम हुए ना सांसद साहब इन गांवों में दिखे. इसी तरह विधायक कुलवंत बाजीगर ने भी इस गांव को अनदेखा कर दिया. गांव के लोगों का कहना है कि ये नेता सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं. इस बार उन्हें भी वोट की चोट मिलेगी.
गांवों को देश की रीढ़ माना जाता है. कहा भी जाता है कि देश के विकास का रास्ता गांव की गलियों से होकर ही गुजरता है. अगर देश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाना है तो सबसे पहले गांवों का विकास जरूरी है, लेकिन ये गांव सबूत हैं कि नेताओं के विकास के दावे और वादे कहां तक कारगर साबित होते हैं. आजादी से आजतक ये गांव अपने अधिकारों को हासिल नहीं कर पाए हैं.