कैथल: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुछ दिन पहले एक घोषणा की थी कि हरियाणा के जितने भी डार्क जोन के अंदर आने वाले ब्लॉक हैं, उन पर धान की खेती नहीं की जाएगी. इस पर कैथल के कुछ किसानों ने नाराजगी जताई थी. इस पर जब कैथल के जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर करमचंद ने बताया कि जो भी किसान धान की खेती लगाना छोड़ेगा, उसको प्रोत्साहन के तौर पर सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से देगी.
किसानों को ऐसे होगा लाभ
जो किसान धान की फसल छोड़ेगा. उसको लगभग 5 हजार रुपये का फायदा होगा. जैसे कि धान की नर्सरी तैयार करना, उसमें पानी देना, दवाई डालना, उसके बाद धान को मजदूरों से लगवाना, खेत को कई बार जोतना, इस काम में काफी खर्च आता था. इस सब के बाद किसान को धान लगाने के लिए काफी मात्रा में खाद भी डलना पड़ता है.
इस सब काम में किसान का लगभग 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है. अगर किसान हिसाब लगाए तो 20 हजार वो और 7 हजार ये, लगभग 27 हजार रुपये का किसान को सीधा धान की फसल छोड़ने से फायदा हो रहा है. अगर किसान वैकल्पिक फसल बोएगा तो इतना खर्च भी नहीं होगा.
पानी बचाएं किसान
अगर किसान दूसरी फसल बुआई करेगा तो उसमें ना ही खेत को तैयार करने में इतना पैसा खर्च होता और ना ही उसमें ज्यादा खाद और कीटनाशक दवाओं को प्रयोग होगा. इसलिए किसान को एक अच्छा मुनाफा दूसरी फसल लगाने से भी हो सकता है. मेरे हिसाब से जितनी आमदनी वो धान की फसल से लेता है, उतनी ही आमदनी किसान को इस फसल से होगी.
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साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की कि आप लोग धान की खेती छोड़ देते हैं तो हमारी पानी की धरोहर को बचाया जा सकता है. जो किसान धान लगाना छोड़ सकता है, वो अपने आप ऐसा करके जिला कृषि कार्यालय में अपना नाम दर्ज कराएं और इस योजना का लाभ उठाएं.