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कैथल: किसानों को नहीं भाया बजट, बोले- 10 लाख रुपये तक हो क्रेडिट कार्ड की लिमिट

किसानों का मानना है कि उन्हें सरकार के बजट से कुछ खास नहीं मिला है. किसान तो ये भी कहते है कि उन्हें सरकार से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन सरकार ने उनके लिए बजट में कुछ नहीं दिया है.

किसान को नहीं भाया मोदी का कृषि बजट
किसान को नहीं भाया मोदी का कृषि बजट
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Published : Feb 1, 2020, 2:32 PM IST

कैथल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के लिए आम बजट 2020-21 पेश कर दिया है. इस बजट से हर वर्ग को काफी उम्मीदें थी, क्योंकि पिछला वर्ष भारत वासियों के लिए काफी महंगाई का रहा. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है.

हम अगर किसानों की बात करें तो किसानों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि दिन प्रतिदिन किसान महंगाई के बोझ तले दबता जा रहा है, लेकिन इस बजट से भी किसानों को निराशा ही हाथ लगी.

किसान को नहीं भाया मोदी का कृषि बजट, देखें वीडियो

'सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट को करे लागू'

जब हमने किसानों से बात की तो किसानों ने कहा कि ये बजट भी किसानों के साथ सरकार का ऐसा बर्ताव है जैसे ऊंट के मुंह में जीरा देने वाली बात होती है. किसानों ने कहा कि अगर सच में सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती है तो सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करे तभी किसानों का भला हो सकता है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसानों को तंगी के दौर से तभी उतारा जा सकता है जब किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 10 लाख तक बढ़ाई जा सके.

ये भी पढ़ें- बजट 2020 : किसानों की आय बढ़ाने के लिए हुए 16 अहम फैसले

'किसान ऐसे ही आत्महत्या करेंगे'

अगर सरकार का किसानों के साथ ऐसा ही बर्ताव रहा तो किसान की स्थिति लगातार खराब होती जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बजट से उम्मीदें तो किसानों को काफी थी, लेकिन बजट आने के बाद किसान काफी निराश दिखाई दिए. किसानों ने ये भी कहा कि किसानों की आत्महत्या करने की कहानी ऐसे ही जारी रहेगी, क्योंकि किसानों के बारे में सोचने के लिए सरकार बिल्कुल भी तैयार नहीं है.

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में बजट 2020-21 पेश किया. उन्होंने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने 16 अहम फैसले लिए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम कुसुम योजना के तहत 20 लाख किसानों के पंप को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा.

कैथल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के लिए आम बजट 2020-21 पेश कर दिया है. इस बजट से हर वर्ग को काफी उम्मीदें थी, क्योंकि पिछला वर्ष भारत वासियों के लिए काफी महंगाई का रहा. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है.

हम अगर किसानों की बात करें तो किसानों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि दिन प्रतिदिन किसान महंगाई के बोझ तले दबता जा रहा है, लेकिन इस बजट से भी किसानों को निराशा ही हाथ लगी.

किसान को नहीं भाया मोदी का कृषि बजट, देखें वीडियो

'सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट को करे लागू'

जब हमने किसानों से बात की तो किसानों ने कहा कि ये बजट भी किसानों के साथ सरकार का ऐसा बर्ताव है जैसे ऊंट के मुंह में जीरा देने वाली बात होती है. किसानों ने कहा कि अगर सच में सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती है तो सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करे तभी किसानों का भला हो सकता है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसानों को तंगी के दौर से तभी उतारा जा सकता है जब किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 10 लाख तक बढ़ाई जा सके.

ये भी पढ़ें- बजट 2020 : किसानों की आय बढ़ाने के लिए हुए 16 अहम फैसले

'किसान ऐसे ही आत्महत्या करेंगे'

अगर सरकार का किसानों के साथ ऐसा ही बर्ताव रहा तो किसान की स्थिति लगातार खराब होती जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बजट से उम्मीदें तो किसानों को काफी थी, लेकिन बजट आने के बाद किसान काफी निराश दिखाई दिए. किसानों ने ये भी कहा कि किसानों की आत्महत्या करने की कहानी ऐसे ही जारी रहेगी, क्योंकि किसानों के बारे में सोचने के लिए सरकार बिल्कुल भी तैयार नहीं है.

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में बजट 2020-21 पेश किया. उन्होंने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने 16 अहम फैसले लिए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम कुसुम योजना के तहत 20 लाख किसानों के पंप को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा.

Intro:केंद्रीय बजट नहीं है किसानों के हित में.

ऐसे ही करते रहेंगे किसान आत्महत्या


Body:आज केंद्रीय बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है और इसमें हर वर्ग को इस बजट से काफी उम्मीदें थी क्योंकि पिछला वर्ष भारत वासियों के लिए काफी महंगाई का रहा.

अगर हम बात करें पूरा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है तो वहीं पर भारत वासियों को इस बजट से काफी उम्मीदें थी लेकिन हम अगर किसानों की बात करें किसानों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें थी क्योंकि दिन प्रतिदिन किसान महंगाई के बोझ तले दबता जा रहा है लेकिन इस बजट से भी किसानों को निराशा ही हाथ लगी.

जब हमने किसानों से बात की तो किसानों ने कहा कि यह बजट भी किसानों के साथ सरकार का ऐसा बर्ताव है जैसे ऊंट के मुंह में जीरा देने वाली बात होती है.

अगर सच में सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती है तो सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करें तभी किसानों का भला हो सकता है और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को तंगी के दौर से तभी उतारा जा सकता है जब किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 10 लाख तक बढ़ाई जा सके.


Conclusion:अगर सरकार का किसानों के साथ ऐसा ही बर्ताव रहा तो किसान की स्थिति लगातार खराब होती जाएगी और इस बजट से उम्मीदें तो किसानों को काफी थी लेकिन बजट आने के बाद किसानों को इस बजट ने काफी निराश किया साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की आत्महत्या करने की कहानी ऐसे ही जारी रहेगी क्योंकि किसानों के बारे में सोचने के लिए सरकार बिल्कुल भी तैयार नहीं है.
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