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कैथल की मंडियों में धक्के खाने को मजबूर किसान! देखिए ग्राउंड रिपोर्ट - गुहला चीका अनाज मंडी सुविधा कमी

गुहला चीका की अनाज मंडी में फसल खरीद को लेकर किसान परेशान दिखे. सरकार के दावे सच्चाई से कोसों दूर हैं. अनाज मंडी में किसानों को घंटों धूप में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है, और फिर भी फसल नहीं बिक पा रही है.

kaithal anaj mandi ground report
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Published : Oct 18, 2020, 2:36 PM IST

कैथल: प्रदेश में धान, जीरी और अन्यों फसलों की खरीद की जा रही है. हरियाणा सरकार का दावा है कि मंडी में किसानों को कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी. इसके लिए अधिकारियों को भी निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने गुहला चीका की अनाज मंडी का दौरा किया तो सरकार के दावे धरे के धरे रह गए. फसल खरीद से लेकर मूलभूत सुविधाओं तक के लिए किसान लाचार दिखे.

किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अनाज मंडी के हालत सरकार के दावे से बिल्कुल अलग नजर आए. मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल से हो रही दिक्कतों से भी किसान परेशान दिखे, वहीं गेट पास ना कटने पर किसानों को कड़ी धूप में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.

कैथल की मंडियों में धक्के खाने को मजबूर किसान! देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

जब इस बारे में कमीशन एजेंट से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो नई प्रणाली बनाई गई है उसमें किसान को फसल बेचने के लिए कई मापदंडों से होकर गुजरना पड़ता है जैसे कि किसान को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और अपनी फसल का ब्योरा उस पर देना होता है. जो किसान इस पर अपनी फसल का विवरण देगा उसी की फसल सरकार खरीदेगी, लेकिन एक साल पहले तक ऐसी कोई नीति किसान के लिए नहीं थी, वे बिना विवरण दिए ही अपनी फसल को बेच सकते थे.

ये भी पढ़ें- ब्रह्मसरोवर पर फिर शुरू हुई महाआरती, भक्तिमय हुआ माहौल

वहीं मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी अजय ने कहा कि मंडी में उस किसान की फसल बेची जाएगी और खरीदी जाएगी जो मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाएगा. अगर कोई भी इससे बाहर अपनी फसल लेकर मंडी में आता है तो उसकी खरीद के लिए कोई भी प्रबंध नहीं किया गया है.

मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ने बताया कि धान खरीद का कार्य सुचारु रूप से जारी है. उन्होंने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों की फसल को खरीदा जा रहा है. किसानों को शुरू में दिक्कत थी, लेकिन अब कोई भी समस्या किसानों और आढ़तियों के सामने नहीं है.

कुल मिलाकर जो नई फसल खरीद प्रणाली बनाई गई है उसमें किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मौजूदा समय में अभी तक किसानों की सरकारी रेट पर ध्यान नहीं खरीदी गई है जबकि सरकार का कहना है कि हम किसान की धान खरीद रहे हैं लेकिन धरातल पर कुछ और ही है.

ये भी पढ़ें- बरोदा उपचुनाव: सबसे अमीर है बीजेपी का उम्मीदवार, जानें कांग्रेस-इनेलो की कैसी है स्थिति ?

कैथल: प्रदेश में धान, जीरी और अन्यों फसलों की खरीद की जा रही है. हरियाणा सरकार का दावा है कि मंडी में किसानों को कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी. इसके लिए अधिकारियों को भी निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने गुहला चीका की अनाज मंडी का दौरा किया तो सरकार के दावे धरे के धरे रह गए. फसल खरीद से लेकर मूलभूत सुविधाओं तक के लिए किसान लाचार दिखे.

किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अनाज मंडी के हालत सरकार के दावे से बिल्कुल अलग नजर आए. मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल से हो रही दिक्कतों से भी किसान परेशान दिखे, वहीं गेट पास ना कटने पर किसानों को कड़ी धूप में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.

कैथल की मंडियों में धक्के खाने को मजबूर किसान! देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

जब इस बारे में कमीशन एजेंट से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो नई प्रणाली बनाई गई है उसमें किसान को फसल बेचने के लिए कई मापदंडों से होकर गुजरना पड़ता है जैसे कि किसान को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और अपनी फसल का ब्योरा उस पर देना होता है. जो किसान इस पर अपनी फसल का विवरण देगा उसी की फसल सरकार खरीदेगी, लेकिन एक साल पहले तक ऐसी कोई नीति किसान के लिए नहीं थी, वे बिना विवरण दिए ही अपनी फसल को बेच सकते थे.

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वहीं मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी अजय ने कहा कि मंडी में उस किसान की फसल बेची जाएगी और खरीदी जाएगी जो मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाएगा. अगर कोई भी इससे बाहर अपनी फसल लेकर मंडी में आता है तो उसकी खरीद के लिए कोई भी प्रबंध नहीं किया गया है.

मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ने बताया कि धान खरीद का कार्य सुचारु रूप से जारी है. उन्होंने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों की फसल को खरीदा जा रहा है. किसानों को शुरू में दिक्कत थी, लेकिन अब कोई भी समस्या किसानों और आढ़तियों के सामने नहीं है.

कुल मिलाकर जो नई फसल खरीद प्रणाली बनाई गई है उसमें किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मौजूदा समय में अभी तक किसानों की सरकारी रेट पर ध्यान नहीं खरीदी गई है जबकि सरकार का कहना है कि हम किसान की धान खरीद रहे हैं लेकिन धरातल पर कुछ और ही है.

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